दिल्ली- एनसीआर (Delhi- NCR) पिछले कुछ महीनों से जहरीली हवा की समस्या से जूझ रहा है। जबकि हाल ही में दीवाली में हवा प्रदूषण में पहले से ही बढ़त हो चुकी थी। इसके अलावा उसके कुछ हफ्ते बाद ही, हरियाणा और पंजाब में फसलें जलाने की वजह से भी हवा की गुणवत्ता खराब हो गई। हालांकि इन सबके लिए सख्त निगरानी रखने के लिए राज्य सरकार को आदेश दिए गए हैं। सामान्यतः वायु गुणवत्ता सूचकांक  (Air quality index- AQI) 150 से ज्यादा होने पर हवा को प्रदूषित माना जाता है। दिल्ली के कई क्षेत्रों में यह अब 1000 का आंकड़ा पार कर चुका है। अब आप खुद ही अंदाज़ा लगा सकते हैं कि दिल्ली के लोगों का स्वास्थ्य कितने खतरे में है।

बीते मंगलवार को, शहर में धुंध की एक मोटी परत और वायु की गुणवत्ता के स्तरों को गंभीर पाया गया है। मंगलवार को सुबह 9 बजे दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 411 था। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, दृश्यता भी कम हो गई है जो 200 मीटर हो गयी है। मतलब जिस प्रकार पानी में सूरज की किरणें तो 1000 मीटर तक जाती हैं लेकिन मनुष्यों को 200 मीटर से ज्यादा कुछ दिखाई नहीं देता ठीक उसी प्रकार आजकल दिल्ली की हवा का ये हाल है।

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, दिल्ली में व्यक्तिगत स्टेशनों में वायु गुणवत्ता सूचकांक मंगलवार सुबह 9:30 बजे, 446 दर्ज किया गया। एनसीआर में 19 स्टेशनों की जांच करने पर, 12 में गंभीर वायु गुणवत्ता दर्ज की गई है। सबसे कम वायु गुणवत्ता सूचकांक गुरूग्राम में सुबह 9.30 बजे 357 था। जिसे एनसीआर की अन्य जगहों की तुलना में सही माना गया है।

भारतीय मेडिकल एसोसिएशन ने भी सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति घोषित कर दी है और सरकार को सभी बाहरी गतिविधियों को बंद करने और स्कूलों में खेल गतिविधियों आदि को रोकने के लिए पत्र लिखा है। उन्होंने घर से बाहर निकलने के सम्बन्ध में भी निवासियों को चेतावनी दी है।

न केवल दिल्ली में बल्कि पूरे भारत में वायु प्रदूषण हर दिन सांस लेने के लिए और भी खतरनाक होता जा रहा है। देश की राजधानी की स्थिति के अनुसार, वहां की वायु में अधिक प्रदूषण इस बात का गवाह है कि यह धीरे धीरे वहां की आबादी के जीवन को खतरे में डाल रहा है। दृश्यता कम होना और वहां के निवासियों का हांफते हुए सांस लेना आदि स्थितियों और इस धुँध को समझना बहुत जरुरी है कि आखिर ये है क्या? ताकि आप उसके कारण जानकर उसके प्रभाव और इससे प्रभावित होने से बचने के लिए कर सकने वाले उपाय अपना सकें। 

(और पढ़ें - अपने स्वास्थ्य को प्रदूषण से दूर रखने के लिए अपनाएं ये सरल उपाय)

  1. धुंध क्या है? - What is smog in Hindi
  2. धुंध के कारण - Smog causes in Hindi
  3. धुंध का स्वास्थ्य पर प्रभाव - Effects of smog on health in Hindi
  4. धुंध से बचाव - Prevention from smog in Hindi

धुंध एक प्रकार का वायु प्रदूषण है। यह धुएं और कोहरे का मिश्रण है जो धुएंदार कोहरे अर्थात धुंध के रूप में जाना जाता है। इस प्रकार के दिखाई देने वाले वायु प्रदूषण में नाइट्रोजन आक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, ओजोन, धुआं या अन्य कण [न दिखने वाले प्रदूषक जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, सीएफसी (क्लोरोफ्लूरोकार्बन- CFCs) और रेडियोऐक्टिव स्रोत] मिले होते हैं।

मानव निर्मित धुंध, कोयला बनाने में निकलने वाले धुएं (Coal emissions), वाहनों से निकलने वाले धुएं, जंगल या फसलों को जलाने से होने वाले धुएं, और फोटोकेमिकल क्रियाओं (Photochemical reactions) से होता है।

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चूंकि दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों की सीमा है, इसलिए भी दिल्ली में इस प्रकार के वायु प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ा हुआ है। हरियाणा और उत्तर प्रदेश में फसलें और कचरा जलाना, सड़कों की धूल जैसी समस्या बहुत अधिक पायी जाती है।

दूसरा कारण यह है कि इतने प्रतिबंध के बावजूद, दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में दिवाली में लोगों ने पटाखे जलाये जो धुंध बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं।

कार, ट्रक, बसों और औद्योगिक प्रदूषण की वजह से वाहनों का प्रदूषण मिश्रित होता है और असहनीय स्थिति उत्पन्न करता है। यह इसी साल में दूसरी बार हो रहा है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण का इतना उच्च स्तर मापा गया है। हालांकि, सर्दियों के मौसम में वैसे भी हवा में मौजूद प्रदूषण और धूल के कण स्थिर हवाओं के कारण वातावरण से जल्दी नहीं निकल पाते हैं।

पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (Environmental Protection Agency) के अनुसार, इतनी धुंध में साँस लेना खतरनाक होता है। धुंध में ओजोन नामक एक प्रदूषक होता है, और इस ओजोन का बढ़ा हुआ स्तर आपके फेफड़ों पर कई नकारात्मक प्रभाव डालता है।

धुंध में सांस लेने से कई अलग अलग प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं:

  1. खांसी आना और गले या सीने में जलन होना: ओजोन का उच्च स्तर आपकी श्वसन प्रणाली को परेशान करता है। हालांकि, ओजोन एक ऐसा प्रदूषक है जो इस प्रकार के वायु प्रदुषण के लक्षणों के गायब होने के बाद भी फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है।
  2. अस्थमा की समस्या को और गंभीर कर सकता है: यदि आप अस्थमा से ग्रस्त हैं, तो धुंध में मौजूद ओजोन के उच्च स्तर से अस्थमा और अधिक गंभीर हो सकता है। (और पढ़ें - अस्थमा के घरेलू उपाय)
  3. सांस लेने में कठिनाई और फेफड़ों की समस्या होती है: मायो क्लिनिक के अनुसार, धुंध के कारण सांस लेने में परेशानी होती है। खासतौर से वर्कआउट के दौरान, सांस अधिक तीव्रता से ली जाती है जो फेफड़ों के लिए खतरनाक हो सकता है।

कुल मिलाकर, धुंध से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं जैसे, अस्थमा, एम्फायसेमा (Emphysema- फेफड़ों में अवरोध), क्रोनिक ब्रॉन्काइटिस और अन्य सांस सम्बन्धी समस्याओं के साथ-साथ आंखों में जलन और सर्दी तथा फेफड़ों के संक्रमण के लिए प्रतिरोधक क्षमता कम होना आदि समस्याएं हो सकती है। धुंध में मौजूद ओजोन पेड़ पौधों के विकास को भी रोकता है साथ ही फसलों और जंगलों को भी नुकसान पहुंचा सकता है।

(और पढ़ें - रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसे बढ़ायें)

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  1. आपकी पहली प्राथमिकता अपने आस पास के लोगों, दोस्तों और रिश्तेदारों को ओजोन के स्तर के बारे में सही सूचना देना है।
  2. यदि आप प्रदूषण या सांस सम्बन्धी रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील हैं, तो कोशिश करें कि घर से बाहर न निकलना पड़े। खासतौर पर बच्चों और बुज़ुर्गों को इस समय बाहर नहीं निकलना चाहिए।
  3. जब तक ओजोन का स्तर कम नहीं हो रहा, मॉर्निंग वाक, एक्सरसाइज, जॉगिंग, या बाहर खेलने वाले खेल न खेलें।
  4. बाहरी गतिविधियां कुछ दिनों के लिए कम कर दें। क्योंकि आप जितना बाहर निकलेंगे आपके सांस सम्बन्धी समस्याओं से ग्रस्त होने की संभावना उतनी ही अधिक होती जाएगी।
  5. इस वायु प्रदूषण से बचने का सबसे महत्वपूर्ण और अच्छा उपाय यह है कि आप स्वयं वायु प्रदूषण बढ़ाने वाली चीज़ें न करें न ही अपने आस पास किसी को ऐसा करने दें।
  6. मास्क आदि का प्रयोग करने से कुछ ख़ास असर नहीं पड़ता है क्योंकि आप सांस उसी क्षेत्र में ले रहे हैं। आप वायु को अपने अंदर जाने से नहीं रोक सकते। डॉक्टर के के अग्रवाल के अनुसार तो इन मास्क पर हज़ारों रूपए फूकना बेकार है।
  7. ऑफिस आदि जाना हो तो बंद गाड़ियों में जाने की कोशिश करें अन्यथा मेडिकल छुट्टी ले लें।
  8. बाहर से आने के बाद चेहरा और आँखों को अच्छी तरह से धोएं और पीने के लिए गर्म पानी का उपयोग करें। (और पढ़ें - गर्म पानी पीने के फायदे)
  9. डॉक्टरों के मुताबिक जितना हो सके विटामिन सी युक्त आहार जैसे, नींबूआंवलासंतरा, ओमेगा फैटी एसिड जैसे, अखरोट, मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थ जैसे, काजू, आदि तथा तुलसीअदरक, अपने भोजन में शामिल करें। ये सब चीज़ें वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम करती हैं।

ये कुछ आसान कदम आपके और आपके परिवार को धुंध के प्रदूषण से सुरक्षित रखने में मदद कर सकते हैं, चाहे आप किसी बड़े शहर में रहते हों या वहां से गुजर रहे हों।

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