दुनियाभर में बढ़ रही स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को देखते हुए आज के समय में ग्रीन टी का चलन तेजी से बढ़ा है। दुनिया के अलग-अलग देशों में ग्रीन टी भी कई तरह की पाई जाती है। ग्रीन टी का ऐसा ही एक रूप है माचा टी। कई तरह के पोषक तत्वों से परिपूर्ण माचा टी का जापान में सबसे ज्यादा सेवन किया जाता है। हालांकि, इससे होने वाले लाभ को देखते हुए अन्य देशों में भी इसकी मांग बढ़ी है।

ग्रीन टी की तरह ही माचा टी को भी 'कैमेलिया साइनेंसिस' नामक पौधे से प्राप्त किया जाता है। हालांकि, यह अलग तरह से उगाया जाता है। फसल के तैयार होने से 20-30 दिन पहले इसे धूप से बचाने के लिए पौधों को ढक दिया जाता है। इससे माचा के पौधे में क्लोरोफिल का उत्पादन बढ़ता है। यह शरीर में अमीनो एसिड को बढ़ाती है। फसल के तैयार होने के बाद इसकी पत्तियों को सुखाकर पाउडर बनाया जाता है, इसी पाउडर का माचा टी के रूप में सेवन किया जाता है।

माचा टी का सेवन कई प्रकार से स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। चूंकि, माचा टी में पत्तियों के संपूर्ण पोषक तत्व समाहित होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप ग्रीन टी की तुलना में इसमें कैफीन और एंटीऑक्सिडेंट अधिक मात्रा में पाई जाती है।

इस लेख में हम आपको इस विशेष टी के सेवन और उससे होने वाले फायदों के बारे में बताएंगे।

  1. माचा टी बनाने का तरीका - Matcha tea banane ka sai tareeka
  2. माचा टी में मौजूद पोषक तत्व और पीने के फायदे - Matcha Tea me Nutrition aur ise peene ke fayde
  3. एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है माचा टी - Antioxidants se bharpoor hai matcha tea
  4. लिवर के लिए काफी फायदेमंद है माचा टी का सेवन - Liver ko kai sari problems se bacha sakti hai matcha tea
  5. कैंसर को बढ़ने से रोक सकती है माचा टी - Cancer ko badhne se rok sakti hai Matcha Tea

कई प्रकार के स्वास्थ्य संबंधी फायदों से युक्त इस चाय को बनाना काफी आसान है। तमाम गुणों वाली इस चाय को काफी स्वादिष्ट भी माना जाता है।

आवश्यक सामग्री

  • माचा टी 1-2 चम्मच
  • गर्म पानी
  • मिलाने के लिए विस्क

चाय को तैयार करने का तरीका

  • सबसे पहले कप में 1-2 चम्मच माचा टी डालें।
  • अब इसमें गर्म पानी मिलाएं।
  • दोनों को विस्क की सहायता से तब तक मिलाएं जब तक पानी में पाउडर अच्छी तरह घुल न जाए।
  • अब इस घोल को छान लें और इसका सेवन करें।

यहां ध्यान रखने की आवश्यकता है कि माचा टी पाउडर की मात्रा बहुत अधिक न लें। बहुत अधिक मात्रा में ग्रीन टी का सेवन करने वाले कई लोगों में लिवर संबंधी शिकायतें देखने को मिली हैं। चाय के संपूर्ण लाभ को प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन एक से दो कप माचा टी के सेवन की सलाह दी जाती है।

तमाम प्रकार के ग्रीन टी की तरह माचा टी में भी कैटेचिन नाम एंटीऑक्सिडेंट पाया जाता है। इस टी की खास बात यह है कि इसमें ईजीसीजी (एपिगैलोकैटेचिन गैलेट) नामक कैटेचिन की उच्च मात्रा होती है, जिसे कैंसर से लड़ने में काफी प्रभावी माना जाता है। कई अध्ययनों से स्पष्ट होता है कि ग्रीन टी, टाइप2 मधुमेह, वजन घटाने और कैंसर जैसे रोगों के लक्षण कम करने में बहुत लाभकारी है।

ग्रीन टी की तुलना में माचा टी में कैफीन की मात्रा अधिक होती है। इतना ही नहीं एक अध्ययन में पाया गया कि एक कप माचा टी से 17 से 109 मिग्रा तक ईजीसीजी प्राप्त किया जा सकता है, ऐसे में यह कैंसर से शरीर की रक्षा करने में काफी प्रभावी है।

माचा टी निम्न प्रकार के स्वास्थ्य संबंधी विकारों में भी काफी फायदेमंद मानी जाती है।

माचा टी को कैटेचिन नामक यौगिक से परिपूर्ण माना जाता है। यह चाय के पौधों में पाए जाने वाला रासायनिक यौगिक होता है, जो प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करता है। एंटीऑक्सिडेंट्स, फ्री रेडिकल्स को स्थिर करने में मदद करते हैं। फ्री रेडिकल्स, कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं जो कई सारी क्रोनिक बीमारियों का कारण बन सकते हैं। जब आप गर्म पानी में माचा पाउडर मिलाते हैं, तो इसकी पत्तियों में मौजूद सभी पोषक तत्व चाय में मिल जाते हैं। माना जाता है कि माचा में कुछ कैटेचिन की संख्या अन्य प्रकार की ग्री-टी की तुलना में 137 गुना अधिक होती है।

माचा टी के प्रभावों को जानने के लिए चूहों पर एक अध्ययन किया गया। इसमें चूहों को माचा सप्लीमेंट्स दिया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि चूहों में फ्री रेडिकल्स के कारण होने वाली क्षति में सुधार आया, साथ ही उनमें एंटीऑक्सिडेंट की सक्रियता भी बढ़ी।

कई अध्ययनों में पाया गया कि माचा टी, लिवर को स्वस्थ बनाए रखने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसी बात की पुष्टि के लिए शोधकर्ताओं ने मधुमेह रोगी चूहों को 16 सप्ताह के लिए माचा दी। शोधकर्ताओं ने परिणामस्वरूप पाया कि इससे किडनी और लिवर दोनों को नुकसान से बचाया जा सकता है।

एक अन्य अध्ययन में नॉनएल्कोहॉलिक फैटी लिवर रोग से पीड़ित 80 लोगों को तीन माह तक प्लेसबो या 500 मिलीग्राम ग्रीन टी अर्क दिया गया। 12 सप्ताह के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि ग्रीन टी के अर्क ने लिवर एंजाइम के स्तर को काफी कम कर दिया। इन एंजाइमों का बढ़ा हुआ स्तर लिवर डैमेज का कारक हो सकता है।

माचा टी को स्वास्थ्य के लिए वरदान के तौर पर देखा जा सकता है। इसमें मौजूद कई सारे यौगिक कैंसर जैसे गंभीर रोगों से आपकी रक्षा कर सकते हैं। कई शोध में इसके सुखद परिणाम देखने को मिले हैं। चूहों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि ग्रीन टी के अर्क ने ट्यूमर के साथ चूहों में स्तन कैंसर की कोशिकाओं की वृद्धि को भी कम कर दिया।

माचा में विशेष रूप से एपिगैलोकैटेचिन-3-गैलेट (ईजीसीजी) की उच्च मात्रा पाई जाती है। यह एक प्रकार का कैटेचिन है, जिसमें कैंसर विरोधी शक्तिशाली गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा एक टेस्ट ट्यूब स्टडी में पाया गया कि माचा में मौजूद ईजीसीजी, प्रोस्टेट कैंसर कोशिकाओं को भी नष्ट करने की क्षमता रखता है।

यहां ध्यान देने की जरूरत है कि ये सारे अध्ययन टेस्ट ट्यूब और पशुओं पर किए गए हैं। इनका इंसानों पर किस प्रकार से प्रभाव होता है, इसे जानने के लिए और विस्तृत शोध की आवश्यकता है।

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