तुलसी की कई प्रजातियों में से एक है - जंगली तुलसी. इसे स्वीट बेसिल के नाम से भी जाना जाता है. इसका वानस्पतिक नाम ओसीमम बेसिलिकम एल. (Ocimum basilicum) है. जंगली तुलसी एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-ट्यूमर, एंटी-हाइपर लिपिडेमिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होती है. आयुर्वेद में जंगली तुलसी का उपयोग कई समस्याओं, जैसे - सिरदर्द, कफ, डायरिया व कब्ज आदि के लिए किया जाता है.

आज इस लेख में आप जानेंगे कि जंगली तुलसी के फायदे व नुकसान क्या-क्या हैं -

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  1. जंगली तुलसी के फायदे
  2. जंगली तुलसी के नुकसान
  3. सारांश
जंगली तुलसी के फायदे और नुकसान के डॉक्टर

तुलसी की विभिन्न प्रजातियों की तरह जंगली तुलसी के भी कई फायदे हैं. जंगली तुलसी के इस्तेमाल से कब्ज, कफ व डायरिया आदि समस्याओं को दूर किया जा सकता है. फिलहाल, जंगली तुलसी के संबंध में वैज्ञानिक शोध कम ही उपलब्ध हैं. इस संबंध में और रिसर्च किया जा रहा है. ऐसे में जंगली तुलसी को औषधि के रूप में इस्तेमाल करने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह जरूर लें. आइए, जंगली तुलसी के कुछ खास फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं -

त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए

आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा में दादचकत्तेमुंहासे और अन्य त्वचा संबंधी समस्याओं को ठीक करने के लिए जंगली तुलसी का कई तरह से इस्‍तेमाल किया जाता है. किसी कीड़े व सांप के काटने या फिर स्किन इंफेक्शन के उपचार में जंगली तुलसी का इस्तेमाल पारंपरिक रूप से किया जाता है. इसके तेल में इन्सेक्ट रेपलिंग गुण पाया जाता है, जिस कारण यह कीट आदि के काटने पर लाभकारी हो सकता है.

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सिरदर्द के लिए

पारंपरिक रूप से जंगली तुलसी का इस्तेमाल सिरदर्द को ठीक करने के लिए किया जा सकता है. इसके तेल को अरोमाथेरेपी के तरह इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में अगर किसी को सिरदर्द हो रहा हो या माइग्रेन की समस्या हो, तो इसके तेल को अरोमाथेरेपी की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. वहीं, आयुर्वेद में कहा गया है कि इसके पत्तों से निकले रस की बूंदें नाक में डालने से सिरदर्द से कुछ आराम मिल सकता है.

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पाचन के लिए

पेट खराब होने या पाचन तंत्र के ठीक प्रकार से काम न करने पर जंगली तुलसी का इस्तेमाल किया जा सकता है. ऐसा माना जाता है कि इसके पत्तों में डायजेस्टिव गुण पाया जाता है. इस लिहाज से पेट संबंधी रोग होने पर इसके पत्तों को खाया जा सकता है या इसका रस निकालकर पिया जा सकता है. ऐसा करने से कब्जडायरिया व गैस आदि की समस्या कम हो सकती है.

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एंटी कंवलसेंट गुण

एक शोध में पाया गया है कि जंगली तुलसी में एंटी-कंवलसेंट गुण पाया जाता है. इस गुण के कारण इसका इस्तेमाल मिर्गी के रोग में किया जा सकता है. हालांकि, दौरे को रोकने में ये आयुर्वेदिक रूप से कितना कारगर है, इस संबंध में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है. इसलिए, बेहतर यही होगा कि डॉक्टर की सलाह पर ही इसे इस्तेमाल किया जाए.

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एंटी कैंसर गुण

वैज्ञानिक शोध में यह भी माना गया है कि जंगली तुलसी में एंटी कैंसर प्रभाव भी होता है. इसका सेवन करने से शरीर में कैंसर सेल्स के पनपने की समस्या कुछ हद तक कम हो सकती है. फिलहाल, इस संबंध में इससे ज्यादा और कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.

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अभी तक की रिसर्च में इसके नुकसान के बारे में ज्यादा नहीं बताया गया है. कुछ शोध में इतना जरूर कहा गया है कि गर्भवती महिला व स्तनपान कराने वाली महिला को इसका सेवन डॉक्टर से पूछकर ही करना चाहिए.

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जंगली तुलसी कई औषधीय गुणों से भरपूर होती है. इसमें कई तरह के गुण उपलब्ध होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद हैं. बेशक, पारंपरिक तौर पर इसका इस्तेमाल हर घर में किया जाता है, लेकिन औषधि के रूप में इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए.

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