मौसम के बदलाव के कारण जो एलर्जी होती है, आयुर्वेद के अनुसार यह एलर्जी कफ दोष के कारण होती है। आयुर्वेद के अनुसार कफ दोष पृथ्वी और पानी से सम्बन्ध रखता है। क्योंकि पृथ्वी भारी और पानी ठंडा का होता है इसलिए इन गुणों के कारण कफ दोष में बलगम, कफ, छींक आना और नाक से पानी बहने लगता है।

इसके अतिरिक्त धीमी पाचन आग भी एलर्जी का कारण होती है। अगर हमें इस एलर्जी से बचना है तो हमें इन गुणों के विपरीत गर्म और हल्के आहार का सेवन करना चाहिए।

  1. एलर्जी का घरेलू इलाज है गर्म डेयरी उत्पाद - Allergy Se Bachne Ke Tarike use Hot Dairy products In Hindi
  2. एलर्जी से बचाव के लिए गर्म भोजन करें - Allergy Se Bachne Ka Upay Hai Garam Khana In Hindi
  3. एलर्जी का उपचार है नेटी पौट का उपयोग - Neti Pot Use For Allergies In Hindi
  4. नाक की एलर्जी का इलाज है नस्य - Nasya For Allergies In Hindi
  5. प्राणायाम हैं एलर्जी से बचने के उपाय - Pranayama For Nasal Allergy In Hindi
  6. एलर्जी का आयुर्वेदिक उपचार गर्म मसालों का सेवन - Spices Good For Allergies In Hindi

हमें ठंडे डेयरी उत्पादों मतलब ठंडा दूध, आइसक्रीम, कोल्ड कॉफ़ी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इन के उपयोग से हमे मौसम के बदलाव के समय एलर्जी जैसी समस्या हो सकती है। इसलिए हमें गर्म डेयरी उत्पादों का सेवन करना चाहिए जिससे मौसम की एलर्जी जैसी समस्या से बचा जा सके।

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आयुर्वेद के अनुसार गर्म पके हुए भोजन का ही सेवन करना चाहिए। इससे पाचन अग्नि को आराम मिलता है। अगर हम कच्चे और ठंडे भोजन का सेवन करते हैं तो पाचन अग्नि इसे सही से नहीं पचा पाती है। खराब पाचन भोजन से विषाक्त पदार्थ पैदा करते हैं जो कई तरह की एलर्जी का कारण हो सकते हैं। इसलिए हमेशा गर्म पके हुए भोजन का ही सेवन करना चाहिए।

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मौसमी एलर्जी के लिए नेटी पौट (neti pot) का उपयोग करना चाहिए। इसके उपयोग से नाक के मार्ग में गंदगी के कारण जो एलर्जी होती है, उसे निकालने में मदद मिलती है। सर्दी हो या गर्मी सप्ताह में कम से कम सुबह एक या दो बार इसका उपयोग करना चाहिए।

नस्य (Nasya) एक आयुर्वेदिक प्रथा है जिसमें आयुर्वेदिक तेल को नाक में डाला जाता है। इस अभ्यास से सुखी नाक को नमी मिलती है और जड़ी-बूटियां का लाभ सीधे नाक में जाता है। इससे नाक की परेशानी और एलर्जी से राहत मिलती है। इस का उपयोग रात को सोने से पहले करना चाहिए।

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अपने वजन को नियंत्रित रखने और हृदय के स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए हमें सप्ताह में कम से कम तीन बार व्यायाम करना चाहिए। इससे भी अच्छा परिणाम पाने के लिए हमें प्रतिदिन 30 मिनट प्राणायाम यानी सांस की तकनीक (breathing techniques) करनी चाहिए। सांस की एलर्जी से बचने के लिए हमें अनुलोम विलोम (anuloma-viloma), भस्त्रिका (bhastrika) और कपालभाती (kapalbhati) जैसे प्राणायाम करने चाहिए।

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कमज़ोर पाचन अग्नि को ठीक करने के लिए गर्म मसालों का इस्तेमाल करना चाहिए। विशेष रूप से अदरक, दालचीनी, हल्दी और काली मिर्च, इसके साथ साथ हमें तुलसी और पिप्पली और मुलेठी का भी सेवन करना चाहिए जो हमारी श्वसन प्रणाली को अच्छा रखने में मदद करते हैं।


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