आयुर्वेद में किसी भी व्यक्ति की त्वचा उसके पाचन का प्रतिबिंब है। जैसे हमारे पेट के अंदर क्या जा रहा है वह ज़रूरी है, वैसे ही हम अपनी त्वचा पर क्या इस्तेमाल कर रहे हैं वह भी ज़रूरी है। पेट की तरह त्वचा को भी वो सब पचाना पड़ता है जो उसके संपर्क में आता है। आयुर्वेद के अनुसार त्वचा की देखभाल के लिए एक बात को ध्यान में रखना बहुत ज़रूरी है। वो बात ये है कि हमें अपने शरीर और त्वचा पर कुछ भी ऐसा नहीं लगाना चाहिए जो हम मौखिक रूप से खा न सकें।

  1. एंटी एक्ने एंटी एजिंग आयुर्वेदिक फेस मास्क
  2. एंटी एक्ने एंटी एजिंग आयुर्वेदिक फेस मास्क बनाने की विधि

यह आयुर्वेदिक स्किन केयर रेसिपी मुहासों और बुढ़ापे को कम करने वाले गुणों के लिए जानी जाती है। यह एक प्राकृतिक रेसिपी है और बहुत ही अच्छी सामग्री से बनी है जो आपके लिए उतनी ही फायदेमंद है, जब आप इसे खाते हैं या जब अपनी त्वचा पर लगाते हैं।

सामग्री- 

  • चंदन पाउडरचंदन सौंदर्य के लिए सबसे लोकप्रिय आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों में से एक है। यह ठंडा, सुखदायक और एक सुखद सुगंध देता है। इसके औषधीय कार्यों में एंटीबायोटिक, एंटीवायरल, एंटिफंगल, रक्तशोधक और बुद्धि को बढ़ाने वाले गुण शामिल हैं। यह अक्सर ब्लीडिंग और बर्निंग को ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • हल्दीहल्दी के मुख्य कार्यों में त्वचा के रंग, टोन और बनावट में सुधार करना शामिल हैं। यह एक एंटीऑक्सिडेंट, एंटेलार्जेनिक, एंटीमायोटिक दवाई है जो हमारे शरीर के भीतर प्रतिरक्षा के निर्माण में सहायता करती है। हल्दी से फेफड़ों को भी बहुत लाभ होता है और यह एनीमिया जैसे रक्त के रोगों में भी मदद करती है। हल्दी के सुंदरता प्रदान करने वाले गुण भारतीयों द्वारा इतनी अच्छी तरह से जाने जाते हैं कि दुल्हन की त्वचा पर शादी से पहले दिन एक रस्म के रूप में यह त्वचा पर लगाई जाती है। 

(और पढ़ें - एनीमिया के कारण)

  • केसरकेसर एक और लोकप्रिय आयुर्वेदिक सौंदर्य बढ़ाने वाला उत्पाद है। क्या आपने कभी लाल बिन्दुओं को देखा है जो भारतीय महिलाएँ भौहों के बीच अपने माथे पर लगाती हैं? परंपरागत रूप से केसर माथे पर लगाया जाता था, जिसे बिंदी कहा जाता है (भौहों के बीच एक छोटा लाल डॉट होता है), जिसमें सिरदर्द को रोकने और ठीक करने का अतिरिक्त लाभ भी था। 

(और पढ़ें – सिर दर्द का देसी इलाज​)

  • मसूर दाल - यह एक लाल-नारंगी रंग की दाल है, जो रक्त को शुद्ध करती है और विशेष रूप से बुखार के लिए फायदेमंद होती है। मुँहासे में शामिल मुख्य दोष को पित्त दोष कहा जाता है। एक असंतुलित पित्त दोष मुँहासे की उपस्थिति में योगदान करने के मुख्य कारकों में से एक है। पित्त दोष को संतुलित करके मसूर दाल एक महान मुँहासे विरोधी घटक के रूप में कार्य करती है। 

(और पढ़ें - इस तरह अगर मसूर दाल का फेस पैक बनाएँगे तो मुहांसे, पिगमेंटेशन, एजिंग को रोक चेहरे पर अनोखा ग्लो पाएंगे)

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  • एक कप मसूर दाल को ब्लेंडर में डालें।
  • इसमें 2 चम्मच हल्दी पाउडर मिलाएँ।
  • मिश्रण में 15-20 रस्से केसर के डालें।
  • दो चम्मच चंदन पाउडर मिलाएँ।
  • अब इस मिश्रण को अच्छे से पीसकर पाउडर बना लें।
  • एक पेस्ट बनाने के लिए पाउडर में थोड़ा पानी मिलाएं।
  • अपने चेहरे पर पेस्ट को लगाएँ।
  • चेहरे पर लगभग 5-10 मिनट तक रखें।
  • और अंत में ठंडे पानी से धो लें।
  • टिप्स : इस फेस मास्क को लगाने का सबसे अच्छा समय सुबह में शॉवर लेने से पहले है।
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