आयुर्वेद में किसी भी व्यक्ति की त्वचा उसके पाचन का प्रतिबिंब है। जैसे हमारे पेट के अंदर क्या जा रहा है वह ज़रूरी है, वैसे ही हम अपनी त्वचा पर क्या इस्तेमाल कर रहे हैं वह भी ज़रूरी है। पेट की तरह त्वचा को भी वो सब पचाना पड़ता है जो उसके संपर्क में आता है। आयुर्वेद के अनुसार त्वचा की देखभाल के लिए एक बात को ध्यान में रखना बहुत ज़रूरी है। वो बात ये है कि हमें अपने शरीर और त्वचा पर कुछ भी ऐसा नहीं लगाना चाहिए जो हम मौखिक रूप से खा न सकें।