बुढ़ापा हमारे जीवन का एक चरण है। आयु बढ़ने के साथ साथ हमारी मांसपेशियों की क्षति भी होने लगती है जिसे सार्कोपीनिया भी कहा जाता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि उम्र सम्बंधित मांसपेशियों की क्षति 30 वर्ष की उम्र से ही शुरू हो जाती है। अगर हम बिलकुल भी सक्रीय नहीं हैं यानी व्यायाम नहीं करते हैं तो 30 वर्ष की उम्र से ही हमारी आयु से संबंधित मांसपेशियों की क्षति हर दशक 3 से 5 प्रतिशत के बीच होने लगती है। यहां तक कि सक्रिय लोग, मतलब जो प्रतिदिन एक्सरसाइज करते हैं, उनकी भी मांसपेशियों की कुछ क्षति अभी से होनी शुरू हो सकती है।

आज के समय में सार्कोपीनिया एक आम बात हो गयी है। मांसपेशियों की ताकत और मास केवल बुढ़ापे के दौरान के आहार और व्यायाम से जुड़े नहीं हैं। यह आपकी युवा उम्र के मसल मास के साथ भी जुड़े हुए हैं। इसका मतलब यह है कि सार्कोपीनिया को रोकने का सबसे अच्छा समय अभी ही है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप जवान हैं या मध्य-आयु के हैं। इसलिए इसका बचाव अभी से ही करें और अपने आहार और व्यायाम पर ध्यान दें। तो चलिए जानते हैं कैसे सार्कोपीनिया से हम बच सकते हैं।

  1. मांसपेशियों की कमजोरी दूर करने के लिए लें प्रोटीन - Protein for muscle mass gain in hindi
  2. मांसपेशियों को मजबूत बनाए रखने के लिए लें विटामिन डी - Vitamin D increases muscle strength in hindi
  3. मसल मास खोने से बचने के लिए करें एक्सरसाइज - Exercise as a remedy for sarcopenia in hindi
  4. मांसपेशियों के नुकसान को रोकने के लिए बीमारियों से बचें - Control illnesses to prevent age related muscle loss in hindi
  5. सारांश

जब मांसपेशियों के विकास की बात आती है तो इनके लिए प्रोटीन सबसे अच्छा तरीका होता है। शोध के अनुसार प्रोटीन के सेवन में वृद्धि वास्तव में मसल्स प्रोटीन संश्लेषण को बढ़ाती है। अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि आपके आहार में जितना प्रोटीन दैनिक रूप से होना चाहिए, उस आवश्यकता को पूरा करने के अलावा बुजुर्गों को अपने हर भोजन में 25 से 30 ग्राम उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन को शामिल करना चाहिए। अगर बुजुर्ग अपने आहार में 20 ग्राम के नीचे प्रोटीन का सेवन करते हैं तो उनकी मांसपेशियों का प्रोटीन संश्लेषण ख़त्म हो जाता है।

इसके लिए बुजुर्गों को मसूर और सेम, दूध, नट्स,  दही, टोफू, पनीर, अन्य डेयरी उत्पादों, मछली, चिकन, अंडा और मांस आदि का सेवन करना चाहिए।

कभी-कभी आपको प्रोटीन पाउडर लेने की सलाह भी दी जाती है, इसका उपयोग मूल रूप से फिटनेस प्रेमी और बॉडी बिल्डर्स वर्कआउट के बाद प्रोटीन शेक के रूप में करते हैं। फिर भी आप बहुत सारे विकल्प के साथ भ्रमित हो जाते हैं कि आपको व्हे आधारित प्रोटीन पाउडर का सेवन करना चाहिए या दूध में मिलने वाले केसीन प्रोटीन का सेवन करना चाहिए। व्हे प्रोटीन आपके लिए अच्छा विकल्प है क्योंकि रिसर्च के आधार पर व्हे प्रोटीन केसीन प्रोटीन के मुकाबले मांसपेशी प्रोटीन संश्लेषण को बढ़ाने में अच्छा साबित हुआ है। यदि आप अभी भी उलझन में हैं तो अपने डॉक्टर या पोषण विशेषज्ञ से सलाह लें। 

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न्यूरोमस्कुलर समारोह और मांसपेशियों की ताकत को बनाए रखने के लिए आपके शरीर को विटामिन डी की आवश्यकता होती है। सोसाइटी फॉर सार्कोपीनिया, कैकेक्सिया और वेस्ट इंडीज़ द्वारा किए गए अध्ययन ने यह बताया कि जिन लोगों में विटामिन डी की कमी है, उन्हें सार्कोपीनिया के लिए विटामिन डी का सेवन सामान्य मात्रा में करने की आवश्यकता है।

धूप की रोशनी के साथ साथ आप अपने आहार के माध्यम से भी विटामिन डी प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए आप अंडे, विटामिन डी युक्त अनाज आदि का सेवन करें।

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विशेषज्ञों के मुताक मांसपेशियों को टोन करने और उम्र से संबंधित मांसपेशियों की हानि को रोकने के लिए एरोबिक और रेजिस्टेंस एक्सरसाइज दोनों नियमित रूप से करनी चाहिए।

यहां तक कि सबसे सक्रिय लोग भी उम्र से संबंधित मांसपेशियों की क्षति पूरी तरह से रोक नहीं सकते पर जो बिलकुल भी सक्रीय नहीं हैं, उनमें यह क्षति और भी पहले से शुरू होने लगती है। 

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उच्च स्तर की शारीरिक गतिविधि बड़े पैमाने पर वृद्धावस्था की विकलांगता को रोकने में मदद करती है। कुछ लोगों के लिए प्रगतिशील प्रतिरोध प्रशिक्षण (progressive resistance training) सबसे प्रभावी हो सकता है।

अगर आप बुजुर्ग हैं तो आपकी क्षमता, शक्ति और सहनशक्ति समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ेगी। आप डंबल्स का उपयोग करने के बजाय रेजिस्टेंस ट्रेनिंग के लिए बस अपने शरीर के वजन का उपयोग करें जो आपके लिए अच्छा होगा। इसके लिए आप ताई ची, योग, पिलेट्स एक्सरसाइज, स्क्वाट्स एक्सरसाइज आदि करें।

मांसपेशियों के मास को बढ़ाने और बनाए रखने के लिए स्ट्रेंथ एक्सरसाइज लाभकारी होती हैं। इन्हें हफ्ते में दो बार आधे घंटे के लिए किया जाना चाहिए। इसके लिए आप चेयर डिप्स, एल्बो एक्सटेंशन्स, आर्म या रिस्ट कर्ल्स (Arm or wrist curls), साइड आर्म रेज, नी कर्ल एक्सरसाइज, टो स्टैंड्स, पैर को सीधा करने की एक्सरसाइज आदि कर सकते हैं।

फ्लेक्सिबिलिटी एक्सरसाइज भी आपके लिए बहुत अच्छी होंगी। इसमें आप अपने हाथों और पैरों को स्ट्रेच करें, अपने हाथों की अँगुलियों से अपने घुटनों को छुएं। इन एक्सरसाइज की सबसे अच्छी बात यह है कि आप इन्हें बिस्तर पर या सीट पर बैठे हुए भी कर सकते हैं।

बुजुर्गों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए वह प्रतिदिन 30 मिनट के लिए एरोबिक एक्सरसाइज जैसे चलना, तैरना या नृत्य भी कर सकते हैं।

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योग भी सार्कोपीनिया के लिए बहुत फायदेमंद होता है। उदाहरण के लिए अंतरिक्ष यात्रियों में मांसपेशियों का क्षय वरिष्ठ नागरिकों में मांसपेशियों के क्षय के समान है। एक रिपोर्ट में पाया गया कि योग उन अंतरिक्ष यात्रियों की मांसपेशियों के क्षय में सुधार करने में उपयोगी साबित हुआ जिससे ऐसा लगता है कि यह वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी फायदेमंद सिद्ध होगा। विशेष रूप से चार प्रकार के योग हैं - पद्मासन, सर्वांगासनहलासन और शीर्षासन जो मांसपेशियों को टोन करने में मदद करते हैं। कपालभाती और शक्ति मुद्रा आसन चयापचय को बढ़ाने, मांसपेशियों के ऊतकों का निर्माण करने, न्यूरोमस्कुलर संचरण में वृद्धि करने में सक्षम हैं। इन सबसे सार्कोपीनिया जैसी समस्या को रोका जा सकता है। 

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कई अध्ययनों ने मौजूदा बीमारियों के साथ संयोजन के रूप में सार्कोपीनिया को देखा है। सामान्य स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में मोटापे, ऑस्टियोपोरोसिस, ओस्टियोपेनिया, टाइप -2 डायबिटीज, और ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित लोगों में सार्कोपीनिया का होना आम बात है। इन बीमारियों से लड़ने या इन्हें नियंत्रित करने से मांसपेशियों की हानि धीमी हो सकती है।

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बढ़ती उम्र के कारण मांसपेशियों के नुकसान को रोकने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय अपनाए जा सकते हैं। सबसे पहले, नियमित रूप से शारीरिक व्यायाम, विशेषकर शक्ति प्रशिक्षण और वेट लिफ्टिंग, मांसपेशियों को मजबूत बनाए रखने में मदद करते हैं। प्रोटीन युक्त आहार, जैसे दालें, अंडे, चिकन, और मछली, मांसपेशियों की मरम्मत और वृद्धि के लिए आवश्यक होते हैं। इसके अलावा, विटामिन डी और कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे दूध और हरी पत्तेदार सब्जियां, हड्डियों और मांसपेशियों की मजबूती बनाए रखने में सहायक होते हैं। पर्याप्त नींद और तनाव प्रबंधन भी मांसपेशियों की क्षति को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। साथ ही, नियमित स्वास्थ्य जांच और सही जीवनशैली अपनाकर मांसपेशियों के नुकसान को कम किया जा सकता है।

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