विशेषज्ञों के मुताक मांसपेशियों को टोन करने और उम्र से संबंधित मांसपेशियों की हानि को रोकने के लिए एरोबिक और रेजिस्टेंस एक्सरसाइज दोनों नियमित रूप से करनी चाहिए।
यहां तक कि सबसे सक्रिय लोग भी उम्र से संबंधित मांसपेशियों की क्षति पूरी तरह से रोक नहीं सकते पर जो बिलकुल भी सक्रीय नहीं हैं, उनमें यह क्षति और भी पहले से शुरू होने लगती है।
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उच्च स्तर की शारीरिक गतिविधि बड़े पैमाने पर वृद्धावस्था की विकलांगता को रोकने में मदद करती है। कुछ लोगों के लिए प्रगतिशील प्रतिरोध प्रशिक्षण (progressive resistance training) सबसे प्रभावी हो सकता है।
अगर आप बुजुर्ग हैं तो आपकी क्षमता, शक्ति और सहनशक्ति समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ेगी। आप डंबल्स का उपयोग करने के बजाय रेजिस्टेंस ट्रेनिंग के लिए बस अपने शरीर के वजन का उपयोग करें जो आपके लिए अच्छा होगा। इसके लिए आप ताई ची, योग, पिलेट्स एक्सरसाइज, स्क्वाट्स एक्सरसाइज आदि करें।
मांसपेशियों के मास को बढ़ाने और बनाए रखने के लिए स्ट्रेंथ एक्सरसाइज लाभकारी होती हैं। इन्हें हफ्ते में दो बार आधे घंटे के लिए किया जाना चाहिए। इसके लिए आप चेयर डिप्स, एल्बो एक्सटेंशन्स, आर्म या रिस्ट कर्ल्स (Arm or wrist curls), साइड आर्म रेज, नी कर्ल एक्सरसाइज, टो स्टैंड्स, पैर को सीधा करने की एक्सरसाइज आदि कर सकते हैं।
फ्लेक्सिबिलिटी एक्सरसाइज भी आपके लिए बहुत अच्छी होंगी। इसमें आप अपने हाथों और पैरों को स्ट्रेच करें, अपने हाथों की अँगुलियों से अपने घुटनों को छुएं। इन एक्सरसाइज की सबसे अच्छी बात यह है कि आप इन्हें बिस्तर पर या सीट पर बैठे हुए भी कर सकते हैं।
बुजुर्गों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए वह प्रतिदिन 30 मिनट के लिए एरोबिक एक्सरसाइज जैसे चलना, तैरना या नृत्य भी कर सकते हैं।
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योग भी सार्कोपीनिया के लिए बहुत फायदेमंद होता है। उदाहरण के लिए अंतरिक्ष यात्रियों में मांसपेशियों का क्षय वरिष्ठ नागरिकों में मांसपेशियों के क्षय के समान है। एक रिपोर्ट में पाया गया कि योग उन अंतरिक्ष यात्रियों की मांसपेशियों के क्षय में सुधार करने में उपयोगी साबित हुआ जिससे ऐसा लगता है कि यह वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी फायदेमंद सिद्ध होगा। विशेष रूप से चार प्रकार के योग हैं - पद्मासन, सर्वांगासन, हलासन और शीर्षासन जो मांसपेशियों को टोन करने में मदद करते हैं। कपालभाती और शक्ति मुद्रा आसन चयापचय को बढ़ाने, मांसपेशियों के ऊतकों का निर्माण करने, न्यूरोमस्कुलर संचरण में वृद्धि करने में सक्षम हैं। इन सबसे सार्कोपीनिया जैसी समस्या को रोका जा सकता है।
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