प्रेगनेंसी, ज्यादातर महिलाओं के लिए खुशियों से भरा अनुभव होता है। इस दौरान होने वाली मां से कहा जाता है कि वह अपना ध्यान रखें, सावधानियां बरतें और हो भी क्यों ना, उनके गर्भ में एक और जीवन जो पल रहा है। इस दौरान गर्भवती महिला को अपने खानपान का पूरा ध्यान रखना चाहिए, थोड़ी बहुत जरूरी एक्सर्साइज करनी चाहिए, प्रेगनेंसी के दौरान रेग्युलर और जरूरी चेकअप करवाने चाहिए और साथ ही खूब सारा आराम और अच्छी नींद लेनी चाहिए। ये सब करना इसलिए जरूरी है ताकि गर्भावस्था के दौरान किसी भी तरह की जटिलताएं न हों।
हालांकि ऊपर बताई गई सभी सावधानियां बरतने और अपना पूरा ध्यान रखने के बावजूद कई बार कॉम्प्लिकेशन्स आ ही जाते हैं। ये समस्याएं या जटिलताएं या तो जेनेटिक कारणों से हो सकती हैं, आपकी पर्सनल मेडिकल हिस्ट्री की वजह से या फिर प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में होने वाले कई तरह के नैचरल बदलावों की वजह से। ऑब्स्टेट्रिक कोलेस्टेसिस जिसे इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस ऑफ प्रेगनेंसी आईसीपी भी कहते हैं- स्वास्थ्य से जुड़ी ऐसी ही एक जटिलता है जो प्रेगनेंसी के दौरान हो सकती है।
(और पढ़ें: कोलेस्टेसिस के लक्षण, कारण और इलाज)
अमेरिकन प्रेगनेंसी एसोसिएशन (एपीए) की मानें तो आईसीपी, लिवर से जुड़ी बीमारी है जिसमें बाइल यानी पित्त का सामान्य फ्लो बाधित होता है। प्रेगनेंसी के दौरान, पित्त में यह बाधा इसलिए होती है क्योंकि प्रेगनेंसी से जुड़े हार्मोन्स जैसे- एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरॉन की मात्रा शरीर में काफी बढ़ जाती है। वैसे तो आमतौर पर कोलेस्टेसिस प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही यानी 6 से 9 महीने के दौरान होता है लेकिन कुछ मामले में यह दूसरी तिमाही यानी 3 से 6 महीने के दौरान भी हो सकता है।
इस बारे में हो चुके कई शोधों की मानें तो भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वाली महिलाओं को ऑब्स्टेट्रिक्स कोलेस्टेसिस होने का खतरा अधिक है। इसका मतलब है कि भारतीय महिलाएं जो प्रेगनेंट हो रही हैं उन्हें इस कॉम्प्लिकेशन को लेकर ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है और जरूरी ऐहतियात बरतने की भी। सावधानी बरतनी इसलिए भी जरूरी है क्योंकि ऑब्स्टेट्रिक्स कोलेस्टेसिस की वजह से गर्भ में पल रहे भ्रूण पर संकट उत्पन्न हो सकता है, समय से पहले डिलिवरी हो सकती है या फिर मृत बच्चे का जन्म भी हो सकता है। प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली इस जटिलता के बारे में यहां जानें सारी बातें।
(और पढ़ें: बार-बार गर्भपात हो जाता है, जानें इसका कारण और बचने के उपाय)