प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली मां से तरह-तरह की बातें कही जाती हैं। कुछ बातें मां और बच्चे के स्वास्थ्य से जुड़ी होती हैं, तो कुछ बातें होने वाले बच्चे के भविष्य और लिंग से जुड़ी होती हैं। कहने का मतलब यह है कि गर्भावस्था के दौरान महिला से कई तरह की बातें कही जाती हैं, उनमें से कुछ मिथक होती हैं। इनका सच से कोई सरोकार नहीं होता। यहां हम आपको गर्भावस्था से जुड़ी कुछ ऐसी ही कही सुनी बातों के बारे में बता रहे हैं। इस लेख को पढ़कर जानें कि ये कितने मिथ (असत्य या मिथक) हैं और कितने सच।

  1. बच्चे के लिंग की पहचान से जुड़े मिथक और तथ्य - Pregnancy se jude mithak ke piche ke sach
  2. प्रेगनेंसी में पपीता और अनानास खाने से जुड़े मिथक और तथ्य
  3. बच्चे के गोरा पैदा होने से जुड़े मिथक और तथ्य
  4. गर्भावस्था में सेक्स करने से जुड़े मिथक और तथ्य
  5. प्रसव पीड़ा को कम करने से जुड़े मिथक और तथ्य
  6. गर्भावस्था में एक्सरसाइज से जुड़े मिथक और तथ्य
  7. प्रेगनेंसी में हवाईयात्रा करने से जुड़े मिथक और तथ्य
  8. प्रेगनेंसी में मसालेदार खाने से जुड़े मिथक और तथ्य
  9. प्रेगनेंसी के दौरान सीने में जलन से जुड़े मिथक और तथ्य
  10. प्रेगनेंसी में ग्रहण से जुड़े मिथक और तथ्य
  11. गर्भावस्था में सोने से जुड़े मिथक और तथ्य
  12. प्रेगनेंसी में नहाने से जुड़े मिथक और तथ्य
  13. प्रेगनेंसी में तनाव से जुड़े मिथक और तथ्य
  14. प्रेगनेंसी में मीठा खाने से जुड़े मिथक और तथ्य
  15. सारांश

मिथक:

बच्चे का लिंग गर्भवती महिला के पेट के साइज और भ्रूण के दिल की धड़कनों पर निर्भर करता है। माना जाता है कि अगर गर्भवती महिला के पेट का आकार कम बड़ा है तो बेटा पैदा होता है। जबकि पेट का उभार ऊपर की तरफ है तो बेटी पैदा होती है। इसी तरह यह भी कहा जाता है कि यदि भ्रूण की हृदय गति तेज है तो लड़की होगी और धीमी है तो लड़का होगा। 

तथ्य:
गर्भवती महिला के पेट का आकार पूरी तरह उसके शारीरिक कारकों पर निर्भर करता है। इसमें मांसपेशियों का विकास, पेट से जुड़ी मांसपेशियों की क्षमता, महिला ने कितने बच्चों को जन्म दिया है, शरीर की स्थिति और गर्भाशय की मांसपेशियों का आकार शामिल है। जहां तक बात भ्रूण की हृदय गति की है, तो गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के स्वास्थ्य और उम्र के अनुसार उसका हृदय गति करता है। अतः यह महज एक मिथक है कि हृदय गति से बच्चे के लिंग के बारे में पता लगाया जा सकता है।

(और पढ़ें - प्रेगनेंसी में देखभाल)

मिथक:
गर्भवती महिला के पेट की स्थिति (पोजीशन) से पता चलता है कि उसके गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है या लड़की।

तथ्य:
इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि आप या आपके सभी जानने वाले होने वाले शिशु के लिंग पर जो भी भविष्यवाणी करेंगे, वह 50 फीसदी सही और 50 फीसदी गलत होगी। इसलिए इस मिथक पर बिल्कुल भी ध्यान न दें कि आपके पेट की स्थिति से पता चलेगा कि आपका बच्चा लड़का होगा या लड़की। यह भी ध्यान रखें कि हर महिला गर्भ में पल रहे अपने शिशु को अलग-अलग तरह से कैरी करती है। यह गर्भवती महिला के शरीर के आकार और उसके कूल्हों पर निर्भर करता है। इसका शिशु के लिंग से कोई सरोकार नहीं है।

(और पढ़ें - गर्भावस्था में आरएच संवेदनशीलता के लक्षण)

मिथ:
सेक्स पाॅजिशन से बच्चे के लिंग के बारे में पता लगाया जा सकता है।

तथ्य:
कुछ महिलाओं ने इस ‘आइडिया’ के बारे में सुना होगा। उन्हें लगता होगा कि सेक्स की पाॅजिशन से बच्चे का लिंग निश्चित किया जा सकता है। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। आपको बता दें कि सेक्स पाॅजिशन का बच्चे के लिंग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

मिथक: 
गर्भवती महिला का भरा हुआ चेहरा या उसके चेहरे का आकार देखकर बच्चे के लिंग के बारे में पता लगाया जा सकता है।

(और पढ़ें - गर्भावस्था में क्या खाएं)

तथ्य:
हर गर्भवती महिला का वजन अलग-अलग तरह से बढ़ता है। यही नहीं हर महिला को गर्भावस्था के दौरान त्वचा में अलग तरह के बदलाव भी होते हैं। अगर कोई कहे कि आपका चेहरा गोल है और गाल लाल है, तो लड़की होगी। संभवतः वे सही साबित हो, लेकिन बच्चे के लिंग का पता लगाने के लिए इसका कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है।

Women Health Supplements
₹719  ₹799  10% छूट
खरीदें

मिथक:
पपीता और अनानास खाने से गर्भपात हो सकता है या फिर प्रसव पीड़ा हो सकती है। अतः महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान पपीता और अनानास नहीं खाना चाहिए।

तथ्य:
छीले हुए पपीते में लैटेक्स होता है जिसे काईमोपपाइन कहा जाता है। काईमोपपाइन गर्भाशय के संकुचन से जुड़ा होता है। इसी तरह अनानास में ब्रोमेलाइन नाम का एंजाइम होता है। ज्यादा मात्रा में अनानास खाने से भी गर्भाशय में संकुचन हो सकता है। हालांकि गर्भवती महिलाएं इन फलों को काफी ज्यादा मात्रा में खाती हैं, तभी इसका नकारात्मक असर देखने को मिलता है। जबकि सीमित मात्रा में इन फलों का सेवन किया जाए, तो गर्भावस्था में इसके कई लाभ मिल सकते हैं।

(और पढ़ें - प्रेगनेंसी (गर्भावस्था) में होने वाली समस्याएं)

मिथक:
गर्भावस्था के दौरान केसर और संतरा खाने से गर्भ में पल रहा बच्चा गोरा पेदा होता है। खासकर हमारे यहां यह माना जाता है कि नियमित दूध में केसर का सेवन करने से और संतरा खाने से बच्चे का रंग साफ होता है।

तथ्य:
आमतौर पर बच्चे का रंग आनुवांशिक गुणों पर निर्भर करता है। किसी भी तरह के फल या सब्जी के सेवन से बच्चे का रंग साफ हो, इस पर अब तक कोई शोध सामने नहीं आया है और न ही खानपान का बच्चे के रंग पर कोई प्रभाव पड़ता है।

(और पढ़ें - क्या गर्भावस्था में अदरक का सेवन कर सकते हैं)

मिथक:
कुछ आहार खाने से बच्चे का रंग गोरा हो जाता है।

तथ्य:
यह भी निराधार मिथक है। जिस तरह कहा जाता है कि केसर का सेवन करने से शिशु गोरा होता है, लेकिन यह सच नहीं है। इसी तरह किसी भी आहार का बच्चे के रंग से कोई लेना देना नहीं है। कुछ बुजुर्ग तो इस संबंध में चौंकाते हैं। वे गर्भवती महिलाओं को आयरन युक्त आहार और आयरन सप्लीमेंट से दूर रहने को कहते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे बच्चा सांवला पैदा होता है। जबकि आहार विशेष का बच्चे के रंग पर कोई असर नहीं पड़ता, जैसा कि पहले भी बताया गया है। दूसरी बात यह है, कि आयरन सप्लीमेंट न लेना शिशु और मां दोनों के लिए घातक हो सकता है। अतः इस तरह के मिथक पर बिल्कुल भरोसा न करें।

मिथक:
गर्भावस्था में सेक्स नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि गर्भावस्था में सेक्स करने से गर्भपात हो सकता है। यहां तक कि प्रसव पीड़ा भी बढ़ सकती है।

तथ्य:
सबसे पहली बात यह कि सेक्स प्रसव पीड़ा को नहीं बढ़ाता। विशेषज्ञों के अनुसार गर्भावस्था के दौरान सेक्स करना सुरक्षित है। लेकिन इन दिनों संभोग करते हुए सेक्स पाॅजिशन का ध्यान रखना आवश्यक है। गर्भावस्था में सेक्स के दौरान पेट पर दबाव नहीं बनना चाहिए। दरअसल गर्भावस्था में भ्रूण, भ्रूणावरण (एम्नियोटिक सैक) के अंदर होता है, जिसमें वह सुरक्षित रहता है। इसके अलावा गर्भाशय ग्रीवा आपके भ्रूण को बाहरी संक्रमण से बचाती है।

यदि आपमें कुछ जटिलताएं हैं जैसे प्लेसेंटा प्रिविआ, कमजोर गर्भाशय ग्रीवा, सर्विकल अपर्याप्तता, विकृत झिल्ली (योनिस्राव), असामान्य स्राव और समय से पहले डिलीवरी होने की आशंकाएं हों तो डाॅक्टर आपको गर्भावस्था के दौरान सेक्स न करने की सलाह दे सकते हैं ।

मिथक :
घी या मक्खन खाने से प्रसव आसानी से हो जाता है। अक्सर सुनने में आता है कि उम्रदराज महिलाएं गर्भवती महिला को प्रसव के कुछ घंटों पहले घी या मक्खन खाने को देती हैं। उनका मानना है कि घी खाने से गर्भाशय सिकुड़ता है और गर्भाशय ग्रीवा को स्मूथ बनाता है। नतीजतन प्रसव आसानी से हो जाता है।

तथ्य:
एक सामान्य प्रसव कई कारकों पर निर्भर करता है। इसमें भ्रूण का आकार, साइज, बच्चे की मौजूदगी, पेल्विस का आकार शामिल हैं। घी या मक्खन का प्रसव पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। यह महज एक मिथक है।

गर्भावस्था में दमकती त्वचा से जुड़े मिथक और तथ्य

मिथक:
गर्भावस्था के दौरान त्वचा दमकती है। यह माना जाता है कि गर्भावस्था में त्वचा की चमक बढ़ती है और प्राकृतिक ग्लो बढ़ता है।

तथ्य:
यह सच है कि गर्भावस्था के दौरान महिला का चेहरा चमकता है। वास्तव में गर्भावस्था के दौरान शरीर का रक्त संचार बढ़ता है, जिससे त्वचा को पोषण मिलता है और त्वचा माॅइस्चराइज भी होती है। इसमें हार्मोन में हो रहे बदलाव भी अहम भूमिका निभाते हैं। यही वजह है कि गर्भवती महिलाएं खूबसूरत और उनकी त्वचा दमकती हुई नजर आती है।

हालांकि, यह तथ्य सभी महिलाओं पर लागू नहीं होता। कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान चेहरे पर कील-मुंहासें, त्वचा रोग हो जाते हैं। यहां तक कि उनकी त्वचा सामान्य दिनों की तुलना में ज्यादा खराब नजर आती है। ऐसी महिलाओं के लिए सिर्फ यही कहा जा सकता है कि प्रसव के बाद उनकी यह समस्या कम हो जाती है।

मिथक:
गर्भवती महिलाओं को एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए। कहते हैं कि एक्सरसाइज करने से गर्भवती महिला को नुकसान हो सकता है। उनका गर्भपात हो सकता है। यहां तक कि समय से पहले भी प्रसव हो सकता है।

तथ्य:
तथ्य यह है कि नियमित हल्की एक्सरसाइज करना गर्भवती महिला के लिए अच्छा है और सुरक्षित भी। विशेषज्ञों के अनुसार नियमित हल्की एक्सरसाइज करने से आप प्रसव के लिए शारीरिक रूप से तैयार रहती हैं। डाॅक्टर भी गर्भवती महिलाओं को एक्सरसाइज करने की सलाह देते हैं। हालांकि, यह जरूरी है कि गर्भवती महिलाएं ओवर एक्सरसाइज न करें। उन्हें किस-किस तरह की एक्सरसाइज करनी है, इस संबंध में डॉक्टर की राय लें।

Chandraprabha Vati
₹359  ₹400  10% छूट
खरीदें

मिथक:
गर्भवती महिलाएं प्लेन में ट्रैवल नहीं कर सकतीं। कहा जाता है कि गर्भावस्था के दौरान प्लेन में ट्रैवल करना सेफ नहीं है, क्योंकि ट्रैवलिंग के दौरान उन्हें कई बार स्कैनर से होकर गुजरना पड़ता है, जिससे रेडिएशन निकलते हैं। इसी तरह लंबी फ्लाइट भी गर्भ में पल रहे शिशु को नुकसान पहुंचा सकती है।

तथ्य:
यह सच है कि 5 घंटे से लंबी हवाई यात्रा की वजह से शारीरिक समस्या हो सकती है। विशेषकर उन्हें जिन्हें रक्त के थक्के जमने की दिक्कत हो। अतः गर्भवती महिलाओं को लंबी यात्रा नहीं करनी चाहिए। यदि गर्भवती महिला का स्वास्थ्य सही है, इस दौरान उसे कोई दिक्कत नहीं हो रही है तो वे हवाई यात्रा आसानी से कर सकती हैं। स्वस्थ होने पर हवाई यात्रा न करने के पीछे कोई ठोस वजह नहीं है। हालांकि कुछ एयरलाइन्स गर्भावस्था के आखिरी दिनों में महिला को हवाई यात्रा करने की अनुमति नहीं देती हैं ताकि सफर के दौरान प्रसव की संभावना न रहे।

मिथक:
माना जाता है कि मसालेदार खाना खाने से गर्भपात और प्रसव पीड़ा की आशंका बढ़ जाती है।

तथ्य:
इस मिथक को सपोर्ट करे, ऐसा कोई भी तथ्य अब तक सामने नहीं आया है। हालांकि स्पाइसी यानी मसालेदार खाना खाने से सीने में जलन और गैस की समस्या हो सकती है। अगर गर्भवती महिलाएं सीमित या सामान्य मात्रा में मसालेदार आहार का सेवन करती हैं, तो इससे उन्हें किसी तरह का नुकसान नहीं होता।

मिथक:
गर्भवती महिला के सीने में जितनी ज्यादा जलन होती है, बच्चे के सिर पर उतने ही ज्यादा बाल होते हैं।

तथ्य:
बच्चे के सिर पर बाल ज्यादा या कम होंगे, यह आनुवांशिक कारकों पर निर्भर करता है। इसका गर्भावस्था के दौरान महिला के सीने में जलन होने से कोई संबंध नहीं है। भ्रूण का बढ़ता वजन अक्सर पाचन तंत्र को सीने की ओर धकेलता है जिससे एसिड बनने लगता है। गर्भवती महिला के सीने में जलन की यही वजह है। इसके इतर, कई ऐसे मामले देखने में मिले हैं कि गर्भावस्था के दौरान महिला को बुरी तरह सीने में जलन की समस्या थी, लेकिन प्रसव के बाद महिला ने कम बाल वाले या बिना बाल वाले बच्चे को जन्म दिया।

मिथक:
ग्रहण बच्चे में आनुवांशिक दोष का कारण बन सकते हैं।

तथ्य:
अंतर्जातीय विवाह की वजह से बच्चे में आनुवांशिक दोष नजर आ सकते हैं। लेकिन इसका सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण से कोई लेना-देना नहीं है।

मिथ:
गर्भावस्था के दौरान पीठ के बल सोना सही नहीं है।

तथ्य:
गर्भावस्था के दौरान पीठ के बल लेटने से शरीर में रक्त प्रवाह धीमा हो सकता है। लेकिन अब तक इस संबंध में कोई वैज्ञानिक तथ्य साबित नहीं हुए हैं कि गर्भवती महिला का पीठ के बल लेटना बच्चे के लिए सही नहीं है। लेटने के दौरान सुविधा-असुविधा की स्थिति सभी महिलाओं में भिन्न होती है। आमतौर पर डाॅक्टर महिलाओं को बाईं ओर करवट लेकर सोने की सलाह देते हैं। इससे शरीर के निचले हिस्से में रक्त प्रवाह बेहतर रहता है।

मिथ:
गर्भावस्था के दौरान पीठ के बल सोना सही नहीं है।

तथ्य:
गर्भावस्था के दौरान पीठ के बल लेटने से शरीर में रक्त प्रवाह धीमा हो सकता है। लेकिन अब तक इस संबंध में कोई वैज्ञानिक तथ्य साबित नहीं हुए हैं कि गर्भवती महिला का पीठ के बल लेटना बच्चे के लिए सही नहीं है। लेटने के दौरान सुविधा-असुविधा की स्थिति सभी महिलाओं में भिन्न होती है। आमतौर पर डाॅक्टर महिलाओं को बाईं ओर करवट लेकर सोने की सलाह देते हैं। इससे शरीर के निचले हिस्से में रक्त प्रवाह बेहतर रहता है।

मिथक:
तनाव भ्रूण के लिए सही नहीं है।

तथ्य:
हममें से ज्यादातर लोग यही मानते हैं कि गर्भावस्था में तनाव लेना सही नहीं है। लेकिन हाल में हुए एक शोध से पता चला है कि सामान्य स्तर का तनाव भ्रूण के लिए सही है। इससे बच्चे के विकास को गति मिलती है और तंत्रिका तंत्र भी बेहतर होता है। यही नहीं जो गर्भवती महिलाएं सामान्य स्तर का तनाव लेती हैं, उनके गर्भ में पल रहे भ्रूण का मस्तिष्क तेजी से काम करता है। जबकि तनाव न लेने वाली गर्भवती महिलाओं के भ्रूण के साथ ऐसा नहीं होता। इसके अलावा तनाव लेने वाली मांओं के बच्चों का मानसिक स्तर भी अच्छा होता है।

मिथक:
गर्भवती महिलाओं को मीठा नहीं खाना चाहिए।

तथ्य:
मीठा खाने को लेकर चाॅकलेट को अपवाद माना जा सकता है। कई अध्ययनों ने यह खुलासा किया है कि जो गर्भवती महिलाएं नियमित चाॅकलेट खाती हैं, उनके बच्चे हमेशा हंसते-मुस्कुराते रहते हैं। उन्हें अन्य बच्चों की तुलना में डर भी कम लगता है। इसके अलावा जो महिलाएं अपनी गर्भावस्था की आखिरी तिमाही में हैं, वे यदि एक सप्ताह में पांच बार डार्क चाॅकलेट खाती हैं, तो उन्हें हाई बीपी का रिस्क 40 फीसदी तक कम हो जाता है।

जैसे-जैसे गर्भावस्था का सफर गुजरता है, महिला को कई कहानियां, मिथक सुनने को मिलते हैं। लेकिन आप हमेशा ध्यान रखें कि जब भी गर्भावस्था से जुड़ी कोई बात हो, तो तुरंत डाॅक्टर से संपर्क करें। यह भी समझें कि हर गर्भवती महिला की जर्नी अन्य गर्भवती महिलाओं से भिन्न होती है। इसका मतलब यह है कि अगर कोई आपके शरीर के आकार, प्रकार को देखकर किसी तरह की भविष्यवाणी करते हैं तो इस पर भरोसा न करें। बस, उनकी कही हुई बातों को सुनें और उसका आनंद लें। अगर किसी तरह का कोई संदेह महसूस हो तो जैसा कि पहले ही बताया गया है, डाॅक्टर से संपर्क करें। 

Ashokarishta
₹359  ₹400  10% छूट
खरीदें

प्रेगनेंसी से जुड़े कई सच और मिथक आम लोगों में प्रचलित हैं। जैसे, यह सच है कि गर्भावस्था के दौरान संतुलित आहार और नियमित व्यायाम माँ और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद होते हैं। वहीं, यह मिथक है कि पेट के आकार या स्थिति से बच्चे का लिंग पता चल सकता है। गर्भवती महिलाओं को पपीता और अनानास से बचने की सलाह दी जाती है, लेकिन सही मात्रा में पका हुआ फल नुकसानदायक नहीं होता। एक और मिथक है कि गर्भावस्था में उड़ान भरना खतरनाक है; जबकि स्वस्थ प्रेगनेंसी में डॉक्टर की सलाह से यात्रा करना सुरक्षित हो सकता है। सही जानकारी के लिए हमेशा विशेषज्ञों की सलाह पर भरोसा करना चाहिए।

ऐप पर पढ़ें