दुधारु पशुओं में थनैला रोग होना अब काफी आम समस्या हो गई है। यह रोग मुख्यत: गाय और भैंसों में पाया जाता है, जिनके कारण दूग्ध उत्पादन काफी प्रभावित हो जाता है। गाय के थन में सूजन, लालिमा व दर्द की स्थिति को थनैला रोग कहा जाता है। थन संबंधी समस्याएं ही इस रोग के सबसे प्रमुख लक्षण होते हैं, इसके अलावा कुछ गाय के स्वास्थ्य से संबंधित लक्षण भी हो सकते हैं जैसे गाय को बुखार, चारा-पानी न लेना और जुगाली न करना आदि।

गाय के थनों में संक्रमण, एलर्जी या चोट आदि लगना गाय को थनैला रोग होने का सबसे मुख्य कारण है। ये सभी कारण स्वच्छता न रख पाने के परिणामस्वरूप विकसित होते हैं। थनैला रोग कई बार अपने आप ठीक हो जाता है, जबकि कुछ मामलों में इसका इलाज कराना बेहद जरूरी होता है।

थनैला रोग का इलाज पशु चिकित्सक रोग के अंदरुनी कारण व गंभीरता के अनुसार करते हैं। इसके इलाज में संक्रमण व एलर्जी रोकने वाली दवाएं और दर्द निवारक दवाएं शामिल हैं। कुछ मामलों में पशु चिकित्सक कुछ घरेलू उपायों की मदद से भी इस रोग का इलाज करने की सलाह दे सकते हैं।

(और पढ़ें - गाय के घी के फायदे)

  1. गाय को थनैला रोग होना क्या है - Gaay ko thanaila rog hona kya hai
  2. गाय को थनैला रोग के लक्षण - Gaay ko thanaila rog hone ke lakshan
  3. गाय को थनैला रोग के कारण - Gaay ko thanaila rog hone ka karan
  4. गाय को थनैला रोग से बचाव - Gaay ko thanaila rog se bachav
  5. गाय को थनैला रोग का परीक्षण - Gaay ko thanaila rog ka parikshan
  6. गाय को थनैला रोग का इलाज - Gaay ko thanaila rog ka ilaaj

गाय के थन में सूजन, जलन, अकड़न और दर्द होने की स्थिति को थनैला रोग कहा जाता है। कुछ मामलों में थनैला रोग इतना गंभीर हो जाता है, जिससे गाय के थन में स्थायी रूप से नुकसान पहुंचता है।

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Long Time Capsule
₹712  ₹799  10% छूट
खरीदें

गाय के थन में सूजन, लालिमा व दर्द होना थनैला रोग का सबसे मुख्य लक्षण है। हालांकि, गाय के स्वास्थ्य, रोग की गंभीरता व अंदरूनी कारणों के अनुसार थनैला रोग के लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं। थनैला रोग से होने वाले कुछ स्पष्ट संकेत जिनमें निम्न शामिल हैं -

  • एक या अधिक थनों में सूजन आना
  • थनों का आकार छोटा-बड़ा होना
  • थनों को छूने पर दर्द होना
  • दूध निकालते समय थन से द्रव, पस या रक्त आना
  • दूध के रंग में बदलाव होना
  • थन के छेद में घाव होना

कुछ गायों में थनैला रोग गंभीर हो जाता है, जिसके कारण थन में तीव्र दर्द रहता है। ऐसी स्थिति में गाय बार-बार अपनी टांगों को पटकती है और दूध निकालने के लिए थन को हाथ लगाने पर लात मारने लगती है। थनैला रोग विभिन्न कारणों से हो सकता है, जिसके कारण गाय के स्वास्थ्य से जुड़े अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं -

  • गाय के तेज बुखार होना
  • एक या दोनों आंखों से पानी आना
  • जुगाली न करना
  • पानी, घास व अनाज खाना बंद कर देना
  • गाय का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाना
  • बार-बार पेशाब व गोबर करना
  • पतला गोबर करना (गाय को दस्त होना)
  • बार-बार लेवटी या थनों को अपनी जीभ से चाट कर खुजाने की कोशिश करना

पशु चिकित्सक को कब दिखाएं

कुछ गायों में थनैला रोग ज्यादा गंभीर नहीं होता है, जिसमें न तो थन से पस या खून आता है और न ही थन में दर्द होता है। ऐसी स्थिति अक्सर घरेलू उपायों से एक या दो दिन में ठीक हो जाती है। इसके विपरीत यदि थनैला रोग गंभीर हो गया है या फिर एक या दो दिन के भीतर ठीक नहीं हो पा रहा है, तो फिर ऐसी स्थिति में पशु चिकित्सक को दिखा लेना चाहिए।

गाय को थनैला रोग होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ के बारे में अभी तक पता भी नहीं चल पाया है। हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार पशु के थनों व उसके शरीर के अन्य अंगों की स्वच्छता न रख पाना ही मुख्य रूप से थनैला रोग को जन्म देता है। थनैला रोग के प्रमुख कारणों में संक्रमण, एलर्जी और चोट आदि लगना शामिल है, जिनके बारे में नीचे बताया गया है -

संक्रमण -
अधिकतर मामलों में थनैला रोग बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होता है, जबकि अन्य कुछ मामलों में यह वायरल रोगों के कारण भी हो सकता है। इसके कारणों में मुख्यत: निम्न शामिल हैं -

  • किसी संक्रमित जानवर के संपर्क में आने से
  • अस्वच्छ जगह पर बैठने से
  • गंदे तालाब में जाने से
  • दूध निकालने से पहले हाथ अच्छे से न धोने से

उपरोक्त स्थितियों में गाय के थन में संक्रमण हो सकता है और परिणामस्वरूप थनैला रोग विकसित हो सकता है।

एलर्जी -
कई बार किसी विशेष वस्तु या पदार्थ के कारण गाय को एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है जैसे किसी दवा, मानव नाखून या मिट्टी आदि। ऐसी स्थिति में जब थन इनमें से किसी के संपर्क में आते हैं, तो उनमें एलर्जी होने लगती है। एलर्जी के कारण सूजन व लालिमा विकसित हो जाती है, जिससे थनैला रोग विकसित हो सकता है।

चोट लगना -
थन या लेवटी पर किसी प्रकार की चोट लगना भी थनैला रोग का एक कारण हो सकता है। ऐसी कई स्थितियां हैं, जिनके कारण थनों में चोट लग सकती है। इनमें मुख्यत : -

  • बछड़ा/बछड़ी के दांत लगना
  • मानव नाखून लगना
  • बैठते समय थन टांग या खुर के नीचे आ जाना
myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Kesh Art Hair Oil बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने 1 लाख से अधिक लोगों को बालों से जुड़ी कई समस्याओं (बालों का झड़ना, सफेद बाल और डैंड्रफ) के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Bhringraj Hair Oil
₹546  ₹850  35% छूट
खरीदें

गाय की शारीरिक स्वच्छता बनाए रखना और जहां उसे रखा गया है उस जगह को समय-समय पर साफ करते रहना ही थनैला रोग की रोकथाम करने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है। इसके लिए निम्न बातों का ध्यान रखा जा सकता है -

  • गाय की जगह को समय-समय पर साफ करते रहें
  • गोबर व मूत्र का तुरंत निपटान करते रहें
  • समय-समय पर उचित कीटनाशकों का स्प्रे करते रहें

शारीरिक स्वच्छता के अलावा गाय के खान-पान में भी सुधार करें उसे ताजा व स्वास्थ्यकर आहार भी दें। स्वास्थ्यकर आहार की मदद से रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। इस रोग के दौरान दूध निकालने के लिए पशु चिकित्सक से सलाह लें और उनके दिशा-निर्देशों का पालन करें।

थनैला रोग का परीक्षण सामान्य रूप से थन को करीब से देख या स्पर्श करके किया जा सकता है। हांलाकि, कुछ मामलों में पशु चिकित्सक थन से निकलने वाले पस या खून का सैंपल ले लेते हैं। सैंपल को लैबोरेटरी में जांच के लिए भेजा जा सकता है, जिसकी मदद से थनैला रोग के अंदरूनी कारण का पता लगा लिया जाता है।

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Energy & Power Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को शारीरिक व यौन कमजोरी और थकान जैसी समस्या के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Power Capsule For Men
₹719  ₹799  10% छूट
खरीदें

यदि थनैला रोग अधिक गंभीर नहीं है, तो यह अक्सर एक या दो दिन में अपने आप ही ठीक होने लग जाता है। यदि रोग गंभीर हो गया है या फिर एक या दो दिन के भीतर ठीक नहीं हुआ है, तो पशु चिकित्सक इलाज करने पर विचार करते हैं। थनैला रोग का इलाज भी उसके अंदरूनी कारण के अनुसार किया जाता है। यदि संक्रमण के कारण थनैला रोग हुआ है, तो सबसे पहले परीक्षण की मदद से संक्रमण की पहचान की जाती है। संक्रमण के अनुसार ही पशु चिकित्सक दवाएं देते हैं, जिनमें मुख्यत: एंटीबायोटिक व एंटीवायरल दवाएं शामिल हैं।

यदि एलर्जी के कारण थनैला रोग हुआ है, तो रिएक्शन को रोकने के लिए पशु चिकित्सक गाय को कुछ एंटी-एलर्जिक दवाएं दे सकते हैं। साथ ही लक्षणों को कम करने के लिए कुछ विशेष दवाएं भी दी जा सकती हैं।

जिन मामलों में थन में चोट लगने के कारण थनैला रोग हुआ है, ऐसे में थन पर हुए घाव को जल्दी ठीक करने वाली दवाएं देते हैं। साथ ही सूजन को रोकने वाली और दर्द को कम करने वाली दवाएं भी दी जा सकती हैं।

ऐप पर पढ़ें