गाय को अफारा होना एक सामान्य पेट फूलने की समस्या मानी जाती है, लेकिन कई बार यह जानलेवा हो सकती है। यह गाय के प्रथम अमाशय में अधिक गैस या झाग जमा होने के कारण होता है। इसके अलावा सड़ा हुआ या बासी घास खाना, दूषित पानी पीना, अधिक अनाज खाना आदि के कारण भी अफारा हो सकता है। 

गाय का पेट फूलना अफारा का प्रमुख लक्षण है इसके अलावा सांस लेने में तकलीफ होना और घरघराहट जैसे लक्षण भी देखे जा सकते हैं।

अफारा को घर पर देशी उपायों से भी ठीक किया जा सकता है, किंतु यदि स्थिति गंभीर है तो जल्द से जल्द पशुचिकित्सक को दिखाना अत्यंत आवश्यक होता है। चिकित्सक स्थिति का अच्छे से परीक्षण करके अफारा के अंदरूनी कारणों का पता लगाने की कोशिश करते हैं। अंदरूनी कारणों के अनुसार ही अफारा का इलाज शुरू किया जाता है।

  1. गाय को अफारा होना क्या है - What is ruminal Tympany in cows in Hindi
  2. गाय को अफारा होने के लक्षण - Gaay ko afara hone ke lakshan
  3. गाय को अफारा होने का कारण - Gaay ko afara hone ka karan
  4. गाय को अफारा होने से बचाव - Gaay ko afara hone se bachav
  5. गाय को अफारा होने की जांच - Gaay ko afara hone par jaanch
  6. गाय को अफारा होने का इलाज - Gaay ko afara hone ka treatment

जब गाय का पेट गंभीर रूप से फूल जाता है, तो इस स्थिति को अफारा और रमिनल टिम्पनी (Ruminal typmapny) कहा जाता है। अफारा आना एक गंभीर रोग है, जिसके कारण गाय के फेफड़े दबाव में आकर ठीक से काम नहीं कर पाते हैं और कुछ गंभीर मामलों में गाय की मृत्यु भी हो सकती है।

(और पढ़ें - भैंस का पेट फूलने की दवा)

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गाय का पेट बायीं तरफ गंभीर रूप से फूल जाना अफारा का सबसे मुख्य लक्षण है। इसके अन्य लक्षण गाय के स्वास्थ्य और इसके अंदरूनी कारणों के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। गाय को अफारा होने पर उसके साथ निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं -

  • गाय को सांस लेने में दिक्कत होना
  • सांस लेते समय जोर लगने जैसी आवाज निकालना जैसे घरघराहट
  • पेट फूलकर कठोर हो जाना
  • बार-बार गोबर व पेशाब करना
  • जुगाली न करना
  • चारा खाना व पानी पीना बंद कर देना

अधिक अफारा होने के कारण कुछ गायों को अधिक समस्याएं होने लगती हैं। स्वास्थ्य के अनुसार उनमें निम्न लक्षण भी देखे जा सकते हैं -

  • गाय का अधिक बेचैन होना जैसे बार-बार उठना व बैठना
  • जीभ बाहर निकाल कर रखना
  • नाक व मुंह से पानी निकलना
  • बार-बार गर्दन हिलाना और चिड़चिड़ापन होना
  • बैठ या लेट कर रंभाने की कोशिश करना

कुछ अत्यधिक गंभीर मामलों में गाय गंभीर रूप से प्रभावित हो जाती है, जिसमें तुरंत लक्षण विकसित होते हैं। ऐसी स्थिति में गाय के फेफड़ों पर दबाव पड़ जाता है और उसकी अचानक मृत्यु हो जाती है।

पशु चिकित्सक को कब दिखाएं?

अफारा की गंभीरता गाय की शारीरिक स्थिति पर निर्भर करती है, जिसमें कुछ गायों को अधिक परेशानी नहीं होती है जबकि अन्य गंभीर रूप से प्रभावित हो जाती हैं। इसलिए यदि आपको लगता है कि गाय का पेट फूल रहा है या फिर उसे उपरोक्त में से कोई भी लक्षण महसूस हो रही है तो जल्द से जल्द पशु चिकित्सक को बुला लेना चाहिए।

अफारा के कई कारण हो सकते हैं, जो गाय के शरीर व अन्य कई स्थितियों पर निर्भर करते हैं। गाय को होने वाले अफारे की आमतौर पर दो प्रकारों में पहचान की जाती है, जिन्हें प्राईमरी रमिनल ब्लॉट और सेकेंड्री रमिनल ब्लॉट के नाम से जाना जाता है।

गाय की जीवनशैली से संबंधी कुछ कारक अफारा का कारण बन सकते हैं, जैसे -

  • खराब या दूषित पानी पीना
  • बासी या सड़ा हुआ चारा खाना
  • चारे में अधिक मात्रा में दाना लेना जैसे बाजरा, गेहूं, मक्का या बिनौला आदि
  • पॉलिथीन, कपड़ा या कोई रस्सी निगल जाना
  • कच्ची सब्जी का साबुत टुकड़ा खा लेना जैसे आलू आदि

इन सबके अलावा गाय के स्वास्थ्य से संबंधित भी कई ऐसे रोग हो सकते हैं, जो अफारा पैदा कर सकते हैं। इनमें निम्न को शामिल किया जाता है -

  • गाय को गर्मी लगना
  • बंधे रहने के कारण शारीरिक गतिविधि न हो पाना
  • आहार नली में सूजन आना या सिकुड़ जाना
  • आहार नली में गांठ हो जाना या फिर कुछ अटक जाना
  • मिल्क फिवर
  • पेट में संक्रमण

गाय को अफारा होने का खतरा कब बढ़ता है?

यदि गाय कम पानी पीती है जैसे दिन में एक या दो बार ही पानी पीना तो ऐसी स्थिति में अफारा होने का खतरा बढ़ जाता है। क्योंकि पानी की कमी से रूमेन में मौजूद झाग में गाढ़ापन आ जाता है।

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गाय को अफारा होने से बचाए रखना पूरी तरह से संभव और सरल है। पशु चिकित्सक की सलाह के अनुसार उसे उचित मात्रा में आहार देना और समय-समय पर उससे जांच करवाते रहना अफारा होने के बचाव करने के लिए सबसे प्रथम उपाय है। इसके अलावा कुछ अन्य बातें हैं, जिनका ध्यान रखकर गाय को अफारा होने से पहले ही बचाव किया जा सकता है -

  • हमेशा ताजा व स्वच्छ चारा खिलाएं
  • स्वच्छ पानी दिन में कई बार पिलााएं
  • तालाब या नाले आदि का पानी न पीने दें
  • कोई भी अनाज या दाना अधिक मात्रा में न दें जैसे मक्का, गेहूं या बाजरा आदि
  • घास या दाने में एकदम परिवर्तन न करके धीरे-धीरे मात्रा कम करके बंद करें
  • हर समय बांधकर न रखें उसे थोड़ा बहुत घुमाएं-फिराएं

यदि गाय को अफारा हो गया है और अधिक गंभीर है तो जल्द से जल्द पशु चिकित्सक को दिखा लेना चाहिए। यदि अफारा गंभीर नहीं है, तो निम्न तरीकों से भी उसकी रोकथाम की जा सकती है -

  • गाय को कम से कम 4 घंटों तक खाली पेट रखें
  • जितना हो सके उसे चलाने-फिराने या दौड़ाने की कोशिश करें
  • मुंह वाले भाग को ऊंचाई पर रखें
  • गर्मी वाले स्थान पर न रखें जरूरत पड़ने पर पंखा लगाएं
  • सांस लेने में दिक्कत या कोई भी तकलीफ होने पर जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाएं।

अफारा का सबसे स्पष्ट लक्षण है, गाय का पेट गंभीर रूप से फूल जाना। इस स्थिति का पता खुद मालिक गाय के पेट को देख कर लगा सकते हैं। हालांकि, अफारा की गंभीरता का पता पशुचिकित्सक ही लगा पाते हैं। इसलिए ऐसी स्थिति में पशुचिकित्सक गाय के पेट को छूकर व दबाकर जांच करते हैं। साथ ही गाय ने हाल में क्या खाया है या फिर किसी प्रकार की कोई स्वास्थ्य समस्या तो नहीं हुई है आदि सवाल भी पूछ सकते हैं।

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अफारा का इलाज उसकी गंभीरता और अंदरूनी कारणों के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। हालांकि, इलाज का मुख्य लक्ष्य पेट में फंसी गैस को कम करना होता है। पशु चिकित्सक अफारा का इलाज करने के लिए सबसे पहले गाय के स्वास्थ्य की जांच करेंगे और अफारे के कारण का पता लगाएंगे। अंदरूनी कारण के अनुसार ही स्थिति का इलाज किया जाता है।

यदि गाय के रूमेन में अधिक झाग बनने के कारण उसे अफारा की समस्या हुई है, तो डॉक्टर तुरंत उसे हल्के गर्म पानी के साथ एंटीफोंमिंग दवाएं व कुछ घोल मिलाकर देते हैं। ये दवाएं रूमेन में जाकर झाग को हटा देती हैं, जिससे रूमेन में दबाव कम हो जाता है और गाय की तकलीफ भी ठीक हो जाती है। अफारा के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं में सोडियम नाइट्रेट और नक्स वेमिका दवाएं दी जाती हैं।

गाय की भोजन नली में सूजन होने पर पशु चिकित्सक गाय को कुछ प्रकार की एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीहिस्टामिन दवाएं दे सकते हैं। यदि परजीवी संक्रमण के कारण अफारा हुआ है, तो एंटीपैरासाइटिक दवाओं से संक्रमण को खत्म किया जाता है।

यदि अफारा अत्यधिक गंभीर है, जिससे गाय को सांस लेने में भी तकलीफ हो रही है तो ऐसी स्थिति में आपातकालीन ट्रीटमेंट किया जाता है। इस ट्रीटमेंट के दौरान एक विशेष उपकरण की मदद से रूमेन में छेद करके गैस को निकाल दिया जाता है। यह जीवन को बचाने वाली प्रक्रिया मानी जाती है, क्योंकि अधिक गैस बनने पर रूमेन का आकार बढ़ जाता है, जिससे गाय के डायाफ्राम पर दबाव पड़ने लगता है और परिणामस्वरूप सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। ऐसी स्थिति में कुछ ही समय के भीतर गाय की मृत्यु भी हो सकती है।

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