भारत में लोग बकरी व गाय से भी ज्यादा भैंस के दूध को प्राथमिकता देते हैं। भैंस रखने वाले लोगों का मानना है कि भैंस का दूध अधिक स्वादिष्ट होता है और उसमें घी भी अधिक मात्रा में पाया जाता है। यही वजह है कि भारत के कुछ प्रांतों में गाय व बकरी के मुकाबले भैंसों की संख्या काफी अधिक है। हरियाणा व पंजाब जैसे प्रांतों में लोग दूध के लिए लगभग पूरी तरह से भैंस पर आश्रित रहते हैं और इसलिए उन्हें काफी देखभाल के साथ पाला जाता है। लेकिन देखभाल के बावजूद भी भैंसों में विभिन्न प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं जिनमें थनों से संबंधित रोगों के काफी मामले देखे गए हैं।
भैंस के थन काफी संवेदनशील होते हैं और शरीर के अन्य हिस्सों के मुकाबले वे रोगों से जल्दी प्रभावित होते हैं। भैंस के एक या अधिक थनों में सूजन आना एक आम समस्या है, लेकिन कई मामलों में यह गंभीर रूप से विकसित हो जाती है और थन को क्षतिग्रस्त कर देती है है। ऐसे में थन से दूध न आना या थन पूरी तरह से काम करना बंद कर देना आदि समस्याएं भी हो जाती हैं। वैसे तो थन में सूजन की स्थिति भैंस के पहली बार ग्याभिन (गर्भवती) होने या पहले ब्यांत के बाद होती है।