खुरपका मुंहपका रोग से ग्रस्त भैंस को मुंह व खुरों में गंभीर फफोले व छाले बनने लग जाते हैं। यह रोग जंगली जानवरों में भी हो सकता है, लेकिन पालतू पशुओं में यह ज्यादा देखा जाता है। खुरपका मुंहपका रोग में वयस्क भैंसों से ज्यादा उनके छोटे बच्चों की जान को खतरा रहता है।
मुंह व खुरों में छाले बनना ही इस रोग का मुख्य लक्षण है। इसमें भैंस का लंगड़ाकर चलना और जुगाली न कर पाना आदि संकेत देखे जाते हैं। यह एफ्थोवायरस के कुछ प्रकारों के कारण होता है। इसका परीक्षण पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा ही किया जाता है। इस रोग का इलाज संभव नहीं है, हालांकि दवाओं की मदद से लक्षणों को कम करने और रोग को अन्य जानवरों में फैलने से रोका जा सकता है। संक्रमित भैंस को अन्य स्वस्थ जानवरों से दूर रखना अत्यंत आवश्यक है। खुरपका मुंहपका रोग काफी तेजी से फैलता है, इसलिए पशु चिकित्सक से बात करके उचित टीकाकरण करवाना जरूरी है।