खुरपका मुंहपका रोग से ग्रस्त भैंस को मुंह व खुरों में गंभीर फफोले व छाले बनने लग जाते हैं। यह रोग जंगली जानवरों में भी हो सकता है, लेकिन पालतू पशुओं में यह ज्यादा देखा जाता है। खुरपका मुंहपका रोग में वयस्क भैंसों से ज्यादा उनके छोटे बच्चों की जान को खतरा रहता है।

मुंह व खुरों में छाले बनना ही इस रोग का मुख्य लक्षण है। इसमें भैंस का लंगड़ाकर चलना और जुगाली न कर पाना आदि संकेत देखे जाते हैं। यह एफ्थोवायरस के कुछ प्रकारों के कारण होता है। इसका परीक्षण पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा ही किया जाता है। इस रोग का इलाज संभव नहीं है, हालांकि दवाओं की मदद से लक्षणों को कम करने और रोग को अन्य जानवरों में फैलने से रोका जा सकता है। संक्रमित भैंस को अन्य स्वस्थ जानवरों से दूर रखना अत्यंत आवश्यक है। खुरपका मुंहपका रोग काफी तेजी से फैलता है, इसलिए पशु चिकित्सक से बात करके उचित टीकाकरण करवाना जरूरी है।

  1. खुरपका मुंहपका रोग क्या है - What is Foot and Mouth disease in Hindi
  2. भैंस में खुरपका मुंहपका रोग के लक्षण - Symptoms of Foot and Mouth disease in Buffalo in Hindi
  3. भैंस को खुरपका मुंहपका रोग के कारण - Causes of Foot and Mouth disease in Buffalo in Hindi
  4. भैंसों में मुंहपका खुरपका रोग से बचाव - Prevention of Foot and Mouth disease in Buffalo in Hindi
  5. भैंसों में मुंहपका खुरपका रोग का परीक्षण - Diagnosis of Foot and Mouth disease in Buffalo in Hindi
  6. भैंसों में खुरपका मुंहपका रोग का इलाज - Treatment of Foot and Mouth disease in Buffalo in Hindi
  7. भैंस को खुरपका मुंहपका रोग की जटिलताएं - Complication of Foot and Mouth disease in Buffalo in Hindi

यह जानवरों में होने वाला एक वायरल रोग है, जिसे अंग्रेजी भाषा में “फुट एंड माउथ डिजीज” कहा जाता है। यह तेजी से फैलने वाला (संक्रामक) रोग है, जो प्रभावित जानवर के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालता है। खुरपका मुंहपका रोग मुख्य रूप से भैंस, गाय, भेड़ और अन्य कई ऐसे जानवरों में होता है जिनके पैर में दो खुर होते हैं।

यदि भैंस खुरपका मुंहपका रोग से ग्रस्त है, तो उसके दूध उत्पादन में काफी हद तक कमी आ सकती है। इस रोग से ग्रस्त कुछ भैंसें ठीक होने के बाद भी शारीरिक रूप से काफी कमजोर रहती हैं।

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इस रोग के नाम से ही जाहिर होता है कि यह मुख्य रूप से जानवर के मुंह व खुर के हिस्सों को प्रभावित करता है। इसके अलावा कुछ मामलों में इससे थन व शरीर के अन्य हिस्से भी प्रभावित हो सकते हैं। भैंस को खुरपका मुंहपका रोग होने पर उसके खुरों के बीच, मुंह व जीभ पर छाले हो जाते हैं। ये छाले घाव व गंभीर फफोले भी बन सकते हैं। कुछ मामलों में ये घाव पूंछ व थन आदि जैसे अंगों पर भी विकसित हो सकते हैं। ये लक्षण भैंस को संक्रमण होने के चार दिन के भीतर दिखाई देने लग जाते हैं। इसके अलावा खुरपका मुंहपका रोग से ग्रस्त भैंस में स्वास्थ्य संबंधी निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं -

  • शरीर का तापमान बढ़ जाना (2 से 3 दिन तक बढ़ा रहना)
  • भैंस के मुंह से निकलने वाली लार चिपचिपी, गाढ़ी और झागदार बन जाना
  • मुंह व जीभ पर छाले बन जाने के कारण घास कम खा पाना
  • खुर में घाव होने के कारण लंगड़ाते हुए चलना और कुछ गंभीर मामलों में चल ही न पाना
  • दूध उत्पादन कम हो जाना

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि आपको भैंस में उपरोक्त कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है और आपको लगता है कि घाव गंभीर है तो आपको देर न करते हुए जल्द ही पशु के डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। ऊपरोक्त लक्षण खुरपका मुंहपका रोग के अलावा अन्य कई स्वास्थ्य समस्याओं के साथ देखे जा सकते हैं, इसलिए डॉक्टर से जांच करवाकर पुष्टि करना जरूरी है।

यह एक वायरस से होने वाले संक्रमण के रूप में विकसित होता है। एफ्थोवायरस परिवार के ऐसे मुख्य 7 वायरस हैं, जो खुरपका मुंहपका रोग का कारण बनते हैं इन्हें ए, ओ, सी, एसएटी1, एसएटी2, एसएटी3 और एसिया1 (A, O, C, SAT1, SAT2, SAT3, and Asia1) के नाम से जाना जाता है। एसएटी1 और एसएटी2 के बारे में अभी तक ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई है। कुछ शोधों के अनुसार ये सभी वायरस विशेष रूप से जंगली जानवरों में ही पाए जाते हैं। हालांकि, अभी तक भारत के किसी जंगली जानवर में इस वायरस की पुष्टि नहीं हुई है।

वायरस कैसे फैलता है?

यह मुख्य रूप से किसी संक्रमित जानवर के संपर्क में आने से होता है। यह वायरस संक्रमित जानवर के शरीर से निकलने वाले सभी द्रवों में पाया जाता है जिसमें मूत्र, लार, दूध व अन्य द्रव के साथ गोबर भी शामिल है। जब कोई स्वस्थ भैंस किसी संक्रमित जानवर के गोबर, मूत्र या लार आदि को सूंघने की कोशिश करती है, तो यह वायरस उसके मुंह व नाक के माध्यम से शरीर में चला जाता है।

कुछ स्थितियां हैं, जिनमें यह वायरस संक्रमित जानवरों से अन्य स्वस्थ जानवरों में फैल सकता है -

  • संक्रमित भैंस का स्वस्थ भैंसों के झुंड में रहना
  • एक ही नांद (खुरली या खोल) से चारा खाना या पानी पीना
  • वायरस से संक्रमित खास खाना (जिस घास में संक्रमित भैंस की लार आदि मिली हो)
  • एक ही सुई का उपयोग करना

इतना ही नहीं जब भैंस खुरपका मुंहपका रोग से ठीक होने लगी हो तब भी वो अन्य स्वस्थ जानवरों को संक्रमित कर सकती है। क्योंकि यह वायरस काफी समय तक उसके शरीर में रहता है और शारीरिक द्रवों से फैल सकता है।

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अन्य वायरसों की तरह एफ्थोवायरस से होने वाले संक्रमण की रोकथाम करने का भी कोई घरेलू तरीका नहीं है। हालांकि, कुछ प्रकार के टीकाकरण उपलब्ध हैं, जिनकी मदद से खुरपका मुंहपका रोग होने से बचाव किया जा सकता है। इसका कारण बनने वाले सभी वायरसों की रोकथाम किसी एक टीके से नहीं की जा सकती। इतना ही नहीं इन वायरसों के लिए किए जाने वाले टीकाकरण एक सीमित समय के लिए ही बचाव करते हैं।

इस टीके के बारे में पूर्ण जानकारी और लगवाने के समय व तरीकों के बारे में जानने के लिए किसी अच्छे पशु चिकित्सक से बात करें।

हालांकि, कुछ उपाय हैं, जिनकी मदद से खुरपका मुंहपका रोग फैलने के खतरे को कम किया जा सकता है -

  • संक्रमित भैंस को अन्य जानवरों के साथ न रखें।
  • भैंस के गोबर व मूत्र आदि को नियमित रूप से साफ करते रहें और उसे अन्य जानवरों के संपर्क में न आने दें।
  • भैंस का तबेला, खुरली आदि को समय समय पर साफ करते रहें।
  • डॉक्टर से पूछकर आप कुछ विशेष प्रकार के स्प्रे आदि का छिड़काव भी कर सकते हैं।

यह जानवरों में होने वाला एक गंभीर रोग है, जिसका परीक्षण पशुओं के डॉक्टर के द्वारा ही किया जाता है। डॉक्टर मुंह व खुरों में होने वाले छालों की जांच करके ही रोग का पता लगा लेते हैं। हालांकि, ऐसे कई रोग हैं, जिनके लक्षण खुरपका मुंहपका रोग के समान होते हैं, इसलिए पुष्टि करने के लिए कुछ लैब टेस्ट भी किए जा सकते हैं।

यह एक गंभीर वायरल रोग है, जिसके लिए कोई इलाज मौजूद नहीं है। संक्रमित भैंस को अन्य सभी जानवरों से अलग करना ही इस रोग के इलाज का सबसे पहला कदम है। संक्रमित भैंस के आसपास रहने वाले जानवरों की नियमित रूप से जांच की जाती है, ताकि यह पुष्टि की जा सके कि वे संक्रमित नहीं हुए हैं। यदि आपकी भैंस को खुरपका मुंहपका रोग हो गया है, तो पशु चिकित्सक उसे कम से कम 12 महीनों के लिए अन्य जानवरों से अलग रहने के लिए कह सकते हैं।

यह रोग प्राकृतिक रूप से अपने आप ठीक होता है, इस दौरान डॉक्टर लक्षणों को कम करने के लिए कुछ दवाएं दे सकते हैं। मुंहपका खुरपका रोग ठीक होने में काफी समय लेता है और इस दौरान इसके फैलने का खतरा भी रहता है। इस कारण से कुछ देशों में खुरपका मुंहपका रोग से संक्रमित जानवरों को दर्दरहित मृत्यु देने का आदेश है, जिसमें सरकार की तरफ से मालिक को मुआवजा दे दिया जाता है।

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यदि वयस्क भैंस इस रोग से ग्रस्त है, तो उसकी जान को काफी कम खतरा होता है। हालांकि, यदि यह संक्रमण भैंस के छोटे बच्चे को हुआ है, तो उनके लिए यह स्थिति काफी जानलेवा हो सकती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि खुरपका मुंहपका रोग से छोटे कटड़ा या कटड़ी के हृदय में सूजन आ जाती है। यदि मां भी इस रोग से संक्रमित है, तो दूध की कमी के कारण भी बच्चे की जान जा सकती है। इसके अलावा खुरपका मुंहपका रोग से ग्रस्त भैंसों में निम्न जटिलताएं हो सकती हैं -

  • गर्भपात होना या गाभिन न हो पाना
  • हृदय संबंधी रोग
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