दुधारू पशुओं के थनों में विभिन्न प्रकार के रोग हो जाते हैं, जिनमें थनैला रोग सबसे आम माना जाता है। भारत में यह रोग अधिकतर भैंसों में देखा जाता है। थनैला रोग में भैंसों के थनों में गंभीर दर्द, सूजन व अकड़न हो जाती है, जो आमतौर पर संक्रमण एलर्जी या थन पर चोट आदि लगने के कारण होती है। भैंस के थन में सूजन, लालिमा, घाव और दर्द होना ही थनैला रोग के सबसे प्रमुख लक्षण हैं।
भैंस के आस-पास साफ-सफाई रखना और उसकी शारीरिक स्वच्छता बनाए रखना ही थनैला रोग से बचाव करने का सबसे अच्छा तरीका है। कुछ मामलों में थनैला रोग गंभीर नहीं होता है और अपने आप ठीक हो जाता है। जबकि अन्य मामलों में इसका इलाज करने के लिए पशु चिकित्सकों को परीक्षण करके पहले रोग के अंदरूनी कारण का पता लगाना पड़ता है और फिर उसके अनुसार ही रोग का इलाज शुरू किया जाता है।
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