भैंस को भारत में दुग्ध उत्पादन के मामले में प्रथम स्थान प्राप्त है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत के लोग मानते है कि भैंस का दूध गाय की तुलना में अधिक स्वादिष्ट होता है और उसमें घी भी अधिक होता है। हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में लोग गाय की तुलना में भैंसों को अधिक पालते हैं। भैंस के दूध पर लगातार निर्भरता बढ़ने के साथ-साथ भैंसों में विभिन्न प्रकार के रोग होने का खतरा भी बढ़ गया है। भैंस के पेशाब में खून आना भी इनमें से एक है।

भैंस के पेशाब में खून आना कोई रोग नहीं है, बल्कि यह अन्य कई रोगों के कारण होने वाला एक लक्षण है। पशु चिकित्सकों के अनुसार यह आमतौर पर भैंस को गुर्दे संबंधी समस्याओं के कारण ज्यादातर मामलों में पेशाब में खून आने जैसी समस्याएं होती हैं। इसके अलावा अपच व पेट संबंधी अन्य समस्याएं भी पेशाब में खून आने का कारण बन सकती हैं।

भैंस के पेशाब से खून आने का इलाज स्थिति के अंदरूनी कारणों के अनुसार किया जाता है। उदाहरण के तौर पर यदि किडनी में परजीवी संक्रमण के कारण पेशाब में खून आने लगा है, तो एंटी पैरासाइटिक दवाओं से स्थिति का इलाज किया जाता है।

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  1. भैंस के पेशाब में खून आना क्या है - Bhains ke peshab me khoon aana kya hai
  2. भैंस के पेशाब में खून आने के लक्षण - Bhains ke peshab me khoon aane ke lakshan
  3. भैंस के पेशाब में खून आने के कारण - Bhains ke peshab me khoon aane ke karan
  4. भैंस के पेशाब में खून का बचाव - Bhains ke peshab me khoon aane ka bachav
  5. भैंस के पेशाब में खूून आने से परीक्षण - Bhains ke peshab me khoon aane ka parikshan
  6. भैंस के पेशाब में खून आने का इलाज - Bhains ke peshab me khoon aane ka ilaaj

भैंस के पेशाब में खून आना स्वंय कोई रोग नहीं बल्कि स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याओं के कारण विकसित होने वाला एक लक्षण है। यह भैंस के पेट में मौजूद अंगों से जुड़ी समस्याओं और अन्य कई प्रकार के संक्रमणों का संकेत हो सकता है। मेडिकल भाषा में इसे हेमाट्यूरिया कहा जाता है।

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भैंस के पेशाब में खून दिखना ही इस रोग का सबसे प्रमुख लक्षण है। हालांकि, कुछ मामलों में खून की मात्रा अत्यधिक कम होती है जिस कारण से इसका पता नहीं चल पाता है। पेशाब में खून आने के कई अंदरूनी कारण हो सकते हैं, जिनके अनुसार इसमें लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं। अंदरूनी कारणों के अनुसार निम्न लक्षण हो सकते हैं -

  • पेशाब का रंग लाल, हल्का लाल या ब्राउन दिखाई देना
  • भैंस का बार-बार पेशाब करना
  • पेशाब करते समय सामान्य से अधिक जोर लगाना
  • बार-बार गोबर करना
  • पतला गोबर होना (भैंस को दस्त होना)
  • भैंस को पेट में दर्द होना
  • भैंस के गुप्तांग से लाल या रंगहीन लसदार पदार्थ निकलना

किडनी संबंधी रोगों जैसे संक्रमण या अन्य किसी समस्या के कारण भी पेशाब में खून आने जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं। ऐसी स्थिति में कुछ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -

  • भैंस को बुखार होना
  • घास व दाना न खाना
  • जुगाली न करना
  • एक या दोनों आंखों से पानी आना
  • बार-बार उठना बैठना

कुछ भैंसों में पेशाब में खून आने के अलावा किसी अन्य प्रकार के लक्षण विकसित नहीं हो पाते हैं। हालांकि, ऐसे में भी यह कोई गंभीर स्थिति हो सकती है।

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

ऐसा नहीं है कि हर मामले में पेशाब में खून आना हानिकारक स्थिति है लेकिन पशु चिकित्सक से  इसकी जांच करवाना अति आवश्यक है। यदि आपको लगता है कि पेशाब में रक्त आ रहा है या फिर ऊपरोक्त में से कोई भी लक्षण हो रहा है, तो एक बार पशु चिकित्सक से सलाह ले लेनी चाहिए।

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भैंस के पेशाब में खून आने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ का तो अभी तक पता भी नहीं चल पाया है। हालांकि, पशु चिकित्सकों और विशेषज्ञों के अनुसार किडनी संबंधी समस्याओं व संक्रमणों के कारण ही ज्यादातर पेशाब में खून आने लगता है।

भैंस के गुर्दे या मूत्राशय में किसी कारण से घाव या फिर छाले आदि होने के कारण भी पेशाब में खून आ सकता है। इसके अलावा भैंस की त्वचा में लगने वाली जूं या चिचड़ी से भी संक्रमण का कारण बन सकती हैं। इनमें बैबेसिया बोविस नामक परजीवी पाया जाता है, जो भैंस के अंदरूनी अंगों में संक्रमण पैदा करने में समर्थ हो सकता है। यदि यह संक्रमण भैंस की किडनी, मूत्राशय या मूत्र प्रणाली से संबंधित किसी भी अंग तक पंहुचता है, तो पेशाब में खून आने जैसी समस्या हो सकती है।

कुछ दुर्लभ मामलों में बासी व सड़ा हुआ घास खाने या पानी पीने के कारण भी पेशाब में रक्त आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ये चारा पाचन संबंधी समस्याएं पैदा कर देता है, जिससे पेट की सामान्य कार्य प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है और ठीक से फिल्टर न हो पाने के कारण रक्त पेशाब में मिश्रित होकर आने लगता है।

पेशाब में खून आने का खतरा कब बढ़ता है?

कुछ स्थितियां हैं, जिनमें अधिकतर मामलों में भैंस के पेशाब में खून की मात्रा देखी जा सकती है -

  • गर्भावस्था के अंतिम महीनों में
  • ब्यांत के एक या दो दिन पहले या बाद में

इसके अलावा कुछ ऐसी फीड व खल आदि आती हैं, जिनके खाने से पेशाब का रंग हल्का लाल दिखने लगता है, जबकि इसमें खून की उपस्थिति नहीं होती है।

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पेशाब में खून आना आमतौर पर अंदरूनी अंगों संबंधी समस्याओं के कारण होती है, इसलिए इसकी रोकथाम किसी भी घरेलू तरीके से नहीं की जा सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह अंदरूनी अंगों से संबंधित रोगों के कारण होता है। हालांकि, भैंस को रोजाना खाने के लिए स्वच्छ चारा और पीने के लिए शुद्ध पानी देकर पेट संबंधी समस्याएं होने से बचाव किया जा सकता है।

भैंस को शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए उसे चलाना फिराना भी आवश्यक होता है। इन सबके साथ-साथ नियमित रूप से पशु चिकित्सक को बुला कर भैंस के स्वास्थ्य की जांच करवाते रहना चाहिए, जिसकी मदद से भविष्य में होने वाली समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।

भैंस के पेशाब करने के दौरान उसमें खून दिखाई देने पर ही इस स्थिति का पता लग जाता है। हालांकि, इसके अंदरूनी कारणों का पता लगाने के लिए पशु चिकित्सक को विशेष टेस्ट कर सकते हैं। परीक्षण के दौरान मालिक से भैंस के स्वास्थ्य से संबंधित कुछ सवाल भी पूछे जा सकते हैं।

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कुछ मामलों में भैंस को सिर्फ एक या दो बार और बहुत ही कम मात्रा में पेशाब में खून आता है, जिसका इलाज करने की जरूरत नहीं पड़ती है। हालांकि, इलाज करना है या नहीं यह सिर्फ पशु चिकित्सक ही निर्धारित कर सकते हैं। यदि पेशाब में रक्त की मात्रा अधिक है और बार-बार रक्त आ रहा है, तो पशु चिकित्सक इलाज प्रक्रिया शुरू कर देते हैं।

पेशाब में खून आने का इलाज उसके अंदरूनी कारणों और रोग की गंभीरता के अनुसार किया जाता है। यदि परजीवी संक्रमण के कारण खून आने लगा है, तो एंटी पैरासाइटिक दवाओं से इसका इलाज किया जाता है।

इसके अलावा भैंस को विभिन्न प्रकार के सप्लीमेंट्स भी दिए जा सकते हैं, क्योंकि खून निकलने के कारण पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। सप्लीमेंट्स की मदद से ही इनकी पूर्ति की जाती है। यदि परीक्षण के दौरान कोई कारण पता नहीं चल पाया था, तो फिर इलाज अधिकतर मामलों में भैंस के खान-पान में सुधार करके ही किया जाता है और लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए दवाएं दी जाती हैं।

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