गोक्षुर को गोखरू नाम से भी जाना जाता है। गोक्षुर का पौधा शुष्क मौसम में भी बढ़ सकता है जबकि इस मौसम में अन्य पौधों के लिए पनपना मुश्किल होता है। गोक्षुर एक शक्तिशाली औषधीय जड़ी बूटी है जिसका विभिन्न चिकित्सकीय उपयोग किया जाता है। इस जड़ी बूटी के फल और जड़ दोनों का ही इस्तेमाल भारतीय आयुर्वेद और पारंपरिक चीनी दवाओं में किया जाता है।
गोक्षुर फल में मूत्रवर्द्धक, कामोत्तेजक और सूजन-रोधी गुण पाए जाते हैं जबकि इस जड़ी बूटी की जड़ का इस्तेमाल अस्थमा, खांसी, एनीमिया और अंदरूनी सूजन के इलाज में किया जाता है। इसके पौधे की राख का उपयोग रुमेटाइड आर्थराइटिस के इलाज में किया जाता है।
चरक संहिता में इस जड़ी बूटी को कामोद्दीपक (कामेच्छा बढ़ाने वाली) बताया गया है। इसमें मूत्रवर्द्धक गुण भी पाए जाते हैं जो पेशाब के जरिए विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकाल देता है।
गोक्षुर के बारे में तथ्य:
- वानस्पतिक नाम: ट्रिबुलस टेरेस्ट्रिस
- कुल: जाइगोफाइलिई
- सामान्य नाम: गोखरू, गोक्षुर, छोटागोखरू
- उपयोगी भाग: दवाओं में इसकी जड़ और फल का इस्तेमाल किया जाता है।
- भौगोलिक विवरण: इस औषधीय जड़ी बूटी का मूल स्थान भारत है। भारत और अफ्रीका के अलावा एशिया के कुछ हिस्सों, मध्य पूर्व और यूरोप में भी गोखरू पाया जाता है।