गोक्षुर को गोखरू नाम से भी जाना जाता है। गोक्षुर का पौधा शुष्‍क मौसम में भी बढ़ सकता है जबकि इस मौसम में अन्‍य पौधों के लिए पनपना मुश्किल होता है। गोक्षुर एक शक्‍तिशाली औषधीय जड़ी बूटी है जिसका विभिन्‍न चिकित्‍सकीय उपयोग किया जाता है। इस जड़ी बूटी के फल और जड़ दोनों का ही इस्‍तेमाल भारतीय आयुर्वेद और पारंपरिक चीनी दवाओं में किया जाता है।

गोक्षुर फल में मूत्रवर्द्धक, कामोत्तेजक और सूजन-रोधी गुण पाए जाते हैं जबकि इस जड़ी बूटी की जड़ का इस्‍तेमाल अस्‍थमा, खांसी, एनीमिया और अंदरूनी सूजन के इलाज में किया जाता है। इसके पौधे की राख का उपयोग रुमेटाइड आर्थराइटिस के इलाज में किया जाता है।

चरक संहिता में इस जड़ी बूटी को कामोद्दीपक (कामेच्‍छा बढ़ाने वाली) बताया गया है। इसमें मूत्रवर्द्धक गुण भी पाए जाते हैं जो पेशाब के जरिए विषाक्‍त पदार्थों को शरीर से बाहर निकाल देता है।

गोक्षुर के बारे में तथ्‍य:

  • वानस्‍पतिक नाम: ट्रिबुलस टेरेस्ट्रिस
  • कुल: जाइगोफाइलिई
  • सामान्‍य नाम: गोखरू, गोक्षुर, छोटागोखरू
  • उपयोगी भाग: दवाओं में इसकी जड़ और फल का इस्‍तेमाल किया जाता है।
  • भौगोलिक विवरण: इस औषधीय जड़ी बूटी का मूल स्‍थान भारत है। भारत और अफ्रीका के अलावा एशिया के कुछ हिस्‍सों, मध्‍य पूर्व और यूरोप में भी गोखरू पाया जाता है।
  1. गोखरू (गोक्षुर) के फायदे व उपयोग - Gokhru (Gokshura) ke fayde hindi me
  2. गोखरू के नुकसान - Gokhru ke nuksan in Hindi
  3. गोखरू की तासीर

गोखरू के फायदे मूत्र प्रणाली के लिए - Gokshura for Urinary Tract in Hindi

गोखरू मूत्र प्रणाली के लिए एक कायाकल्प जड़ी बूटी के रूप में माना जाता है। इसमें एंटिलिथियेटिक गुण होते हैं। जिसके कारण यह मूत्र के स्वस्थ प्रवाह को बनाए रखता है और मूत्र पथ से संबंधित परेशानियों को कम करता है। 

गोखरू मूत्र प्रणाली को सशक्त कर उसे हर विकार से बचाता है। यह मूत्रवर्धक है और पेशाब में जलन व पेशाब करते हुए दर्द से मुक्ति दिलाता है। यह मूत्र पथ के संक्रमण (urinary tract infections), मूत्राशयशोध (cystitis), मूत्र पथरी (urinary calculi), पथरी (kidney stones) आदि मूत्र प्रणाली विकारों में बहुत ही लाभदायक है। यह मूत्राशय एवं गुर्दों को साफ कर सारें विकारों को दूर भगाता है तथा मूत्रबाधक का विनाश कर मूत्र के प्रवाह को नियमित करता है। गोक्षुर पौरुष ग्रंथि के लिए भी लाभकारी है। 

गोखरू अधिकांश मूत्र पथ विकारों के लिए प्रभावी उपचार है क्योंकि यह निम्न तरीके से काम करता है:

  • पेशाब के प्रवाह को बढ़ता है
  • मूत्र पथ की झिल्ली पर पीड़ानाशक प्रभाव डालता है
  • रक्तस्राव को रोकने का काम करता है

( और पढ़े - यूरिन इन्फेक्शन के घरेलू उपाय)

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गोखरू का फायदा इरेक्टाइल डिसफंक्शन में - Gokshura for Erectile Dysfunction in Hindi

गोखरू सदियों से इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए प्रयोग की जाने वाली पारंपरिक दवाओं का हिस्सा रहा है। जो इरेक्टाइल डिसफंक्शन, बांझपन, नपुंसकता और कम सेक्स ड्राइव के इलाज करने में मदद करता है। गोखरू पुरुष के प्रजनन अंगों को स्वस्थ रखता है एवं शुक्राणु (Sperm) की गुणवत्ता, गतिशीलता व आयतन को बढ़ाता है। यह इरेक्टाइल डिसफंक्शन के मामले में और कामेच्छा बढ़ाने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। यदि आप किसी भी यौन समस्या से परेशान है तो गोक्षरु का सेवन आपकी परेशानी में फायदेमंद साबित हो सकता है। 

(और पढ़ें – इरेक्टाइल डिसफंक्शन के उपाय)

गोखरू के फायदे बांझपन व यौन विकारों से मुक्ति के लिए - Gokshura for Infertility and Sex Disorders in Hindi

गोखरू एक प्रभावी कामोद्दीपक (Aphrodisiac) के रूप में कार्य करता है और कामेच्छा (सेक्स की इच्छा) के स्तर को बढ़ाता है। यह वीर्य (semen) की मात्रा को बढ़ाने में और इसकी गुणवत्ता में सुधार लाने में भी बहुत फायदेमंद है। यह यौन अंग में रक्त-प्रवाह को संचालित करता है। यह शरीर में हार्मोन (Hormone) के प्राकृतिक उत्पादन को उत्तेजित करता है और बेहतर सेक्स जीवन को प्राप्त करने में मदद करता है। इसके सेवन से इरेकटाइल डिसफंकशन (erectile dysfunction), पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि रोग (Polycystic Ovarian Disease) और बांझपन (infertility) जैसे यौन विकार भी ठीक हो जाते हैं।

गोक्षुर मनुष्यों में निम्नलिखित प्रकार से यौन स्वस्थ को बेहतर बनाए रखता है -

  • यह पुरुषों और महिलाओं दोनों में कामेच्छा को बढ़ाता है। 
  • प्रजनन क्षमता और स्तनपान (lactation) को बढ़ाता है। 
  • शुक्राणु उत्पादन बढ़ाता है और नपुंसकता का इलाज करता है।
  • यह ऊर्जा को बढ़ाने और आपके जीवन शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है।

(और पढ़ें – sex kaise kare और यौनशक्ति कम होने के कारण)

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गठिया में आयुर्वेद उपचार है गोखरू - Gokshura Benefits for Arthritis in Hindi

गोखरू (गोक्षुरा) जोड़ो में दर्द व सूजन को कम करता है अथवा उनकी गतिशीलता में सुधार लाता है। गोक्षुर का उपयोग गठिया के इलाज के लिए किया जाता है। यह इस बीमारी के लिए प्राकृतिक इलाज है। चूंकि इसमें मांसपेशी को आराम पहुंचने वाले गुण होते हैं। इसका उपयोग जोड़ो के दर्द और मांसपेशी के दर्द को कम करने के लिए किया जाता है। यह जोड़ों और मांसपेशियों में सूजन को कम करने के लिए भी जाना जाता है।

गठिया, घुटने और पीठ दर्द से आराम पाने के लिए गोखुरा फल का पाउडर, सूखा अदरक और पानी को बराबर मात्रा में उबाल लें फिर इसे उबलने के बाद रोज सुबह में 50 से 100 मिलीलीटर खाली पेट इसका सेवन करें। 

(और पढ़ें – गठिया का इलाज)

शरीर सौष्ठव की खुराक है गोखरू - Gokshura for Bodybuilding in Hindi

गोक्षुर एक प्राकृतिक उपचय (anabolic) है। जो मांसपेशियों को ताकत और मजबूती प्राप्त करने के लिए पूरक के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह शरीर में ऊर्जा के उत्पादन को भी बढ़ाता है। इसका उपयोग माशपेशियों के संचलन में सुधार और ऊर्जा प्रदान करने के लिए किया जाता है।

गोखरू का सेवन करने से शरीर सौष्ठव क्रिया में सहायता मिलती है। यह मांसपेशियों की ताकत को बढ़ाता है और शरीर की संरचना में सुधार लाता है। 

(और पढ़ें - बॉडी बिल्डिंग आहार)

गोखरू का लाभ है गृध्रसी में - Gokshura Benefits for Sciatica in Hindi

गोखरू में जोड़ो के दर्द और सूजन को कम करने वाले गुण होते हैं। जिस कारण यह गृध्रसी की वजह से होने वाले दर्द व सूजन से राहत दिलाने में अत्यंत लाभकारी है। यह मांसपेशियों में जकड़न को कम करता है और गतिशीलता में सुधार लता है।

(और पढ़ें - जोड़ों में दर्द के घरेलू नुस्खे)

गोखरू के फायदे साफ एवं चमकती त्वचा के लिए - Gokshura Benefits for clean and glowing skin in Hindi

गोखरू त्वचा से सम्बंधित कई परेशानियों को ठीक करने के लिए उपयोगी है। गोखरू त्वचा को साफ रखता है और त्वचा संबंधित विकारों को दूर रखता है। यह त्वचा में जलन, सूजन व खुजली से राहत देता है और कीटाणु का विनाश करता है। इसके साथ ही गोखरू की मदद से झुर्रियां जैसी बुढ़ापे के संकेत भी कम किए जा सकते हैं।

(और पढ़ें – झुर्रियां हटाने के उपाय)

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हर सिक्के के दो पहलू होते है, यदि किसी के फ़ायदे होते है तो नुकसान भी छुप नहीं सकते। गोखरू के फ़ायदे तो अत्यंत हैं ही परंतु दुष्प्रभाव भी कम नहीं है जो ज़्यादा उपयोग या दुरुपयोग की वज़ह से सामने आ सकते हैं। एक दिन में 3 ग्राम से ज़्यादा गोक्षुर का सेवन नहीं करना चाहिए। इसकी खुराक रोग व स्वास्थ्य की स्थिति पर भी निर्भर करती है। यह बेहतर होगा, अगर आप डॉक्टर की सलाह पर ही इसका सेवन करें।

  • लंबी अवधि के लिए इसका सेवन पौरुष ग्रंथि के लिए नुकसानदायक हो सकता है। स्तन व पौरुष ग्रंथि कैंसर रोगी को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। 
  • गर्भावस्था एवं शिशु को स्तनपान कराने के दौरान इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • जिन बच्चों को मधुमेह या फिर उच्च रक्तचाप की शिकायत है, वे इसका सेवन डॉक्टर से पूछ कर ही करें।
  • इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से पीलिया एवं गुर्दों के विकार हो सकते है। पीलिया ग्रस्त रोगी को गोक्षुर केवल थोड़ी सी मात्रा में ही खाना चाहिए।
  • इसका ज़्यादा सेवन करने से पाचन शक्ति व निद्रा पर भी दुष्प्रभाव पड़ सकता है।
  • यह मासिक धर्म चक्र (menstrual cycles) पर भी असर डाल सकता है। इसलिए गोखरू का उपयोग सावधानी से और डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए। गोखरू को गोक्षुर चूरन और कैप्सूल के रूप में भी ले सकते हैं।

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गोखरू की तासीर गर्म होती है। इसका प्रयोग कई सारी बिमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। इसका उपयोग अधिक मात्रा में न करें ऐसा करने पर यह आपके लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। "किसी भी चीज़ की अति अच्छी नहीं होती" वाली कहावत गोक्षुरा पर भी लागु होती है। 


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें गोखरू है

संदर्भ

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