डिलीवरी के बाद अधिकतर महिलाओं को सूजन की समस्या हो जाती है। इसमें महिलाओं के चेहरे, पेट व टखने के पास सूजन आने लगती है। इस समस्या को एडिमा (Edema) भी कहा जाता है। डिलीवरी के बाद अधिक समय तक इस समस्या के रहने से कई अन्य परेशानियां भी आपके शरीर में उत्पन्न हो सकती हैं। कुछ महिलाओं को डिलीवरी के बाद हाथों, पैरों में सूजनसिजेरियन डिलीवरी के बाद लगे टांकों के पास भी सूजन हो जाती है। डिलीवरी के बाद सूजन से आपकी किडनी पर असर न हो, इसके चलते आपको डॉक्टर से मिलकर इस समस्या का पूरा इलाज कराना होगा। इस समस्या में आप प्रेग्नेंसी के दौरान सूजन को दूर करने के वाले उपायों को भी अपना सकती हैं।

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  1. क्या डिलीवरी के बाद सूजन आना आम समस्या है? - Is postpartum swelling a common problem in Hindi
  2. क्या डिलीवरी के बाद सूजन आना गंभीर समस्या है? - Is postpartum swelling ever serious in Hindi
  3. डिलीवरी के बाद सूजन के कारण - Causes of swelling after pregnancy in Hindi
  4. डिलीवरी के बाद सूजन को दूर करने के उपाय - Treatment of swelling after delivery in Hindi
  5. सारांश

डिलीवरी के बाद इस तरह की सूजन होना एक आम बात है। इस समय आपके शरीर में रक्त की मात्रा करीब 50 प्रतिशत बढ़ जाती है, जिससे शरीर में अन्य द्रव की मात्रा में बढ़ोतरी हो जाती है। बच्चे के जन्म के बाद यह द्रव या तरल पसीने व मूत्र के माध्यम से आपके शरीर से धीरे-धीरे बाहर आते हैं। इसी समय में यह आपकी रक्त वाहिकाओं से रिसकर आपके शरीर में भी फैल जाते हैं, जिससे आपके हाथों, पैरों व टखनों पर सूजन आने लगती है।

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डिलीवरी के बाद होने वाली सूजन एक सप्ताह के अंदर ठीक हो जाती है, जबकि गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर होने से इस समस्या को ठीक होने में अधिक समय भी लग सकता है।

डिलीवरी के बाद सूजन आने के गंभीर मामले बेदह ही कम देखने को मिलते हैं। लेकिन इसका इलाज आपको समय रहते ही करना होगा। अगर यह समस्या सप्ताह भर से ज्यादा होती है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। इस दौरान होने वाले कुछ लक्षण आपको नीचे बताएं जा रहें हैं।

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गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी के बाद यह समस्या अधिकतर महिलाओं को परेशान करती है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में रक्त व अन्य तरल पदार्थ 50 प्रतिशत अधिक बनते हैं। ऐसा आपके गर्भ में पल रहें बच्चे के शरीर के विकास के लिए होता है। यह सभी तरल पदार्थ महिलाओं के गर्भाशय में बच्चे शरीर के विकास के लिए उपयोगी होते हैं। यह पेट के निचले हिस्से के क्षेत्र के जोड़ों और ऊतकों को डिलीवरी के दौरान होने वाले खिंचाव के लिए तैयार करते हैं। गर्भवती होने के दौरान इसी तरल पदार्थ के कारण महिलाओं का वजन 25 प्रतिशत बढ़ जाता है।

प्रसव के दौरान शरीर में मौजूद तरल पदार्थ महिलाओं के हाथों और चेहरे को दबाव में भी सामान्य रखता है। बच्चे का जन्म ऑपरेशन के द्वारा होना भी डिलीवरी के बाद सूजन आने का कारण होता है।

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डिलीवरी के बाद महिलाओं में सूजन आने के अन्य कारण-

  • गर्म व नमी वाला वातावरण
  • लंबे समय तक सीधे खड़े रहना
  • अधिक काम करना
  • उच्च सोडियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना
  • उच्च मात्रा में कैफीन का सेवन
  • अपने आहार में कम मात्रा में पोटेशियम लेना

बच्चे के जन्म के तुरंत बाद होने वाली सूजन को दूर करने के उपाय व इलाज को निम्नतः बताया जा रहा है -

  1. स्वस्थ आहार – डिलीवरी के बाद महिलाओं को स्वस्थ आहार का सेवन करना चाहिए। स्वस्थ आहार का सेवन करने से आप अपने शरीर में बने अतिरिक्त तरल पदार्थ को तेजी से बाहर निकाल सकती हैं। इसके अलावा पौष्टिक आहार लेने से आप नवजात शिशु को भी ऊर्जा प्रदान कर सकती हैं। इसके लिए महिलाओं को अपने आहार में उच्च प्रोटीन, ताजे फल, सब्जियांकार्बोहाइड्रेट को शामिल करना चाहिए। इसके साथ ही साथ आपको ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जिसमें उच्च मात्रा में पोटेशियम हो, इस तरह के खाद्य पदार्थ आपकी सूजन को कम करने का काम करते हैं। इस बात का भी ध्यान रखें कि आप इस अवस्था में प्रोसेस्ड व सोडियम युक्त खाद्य पदार्थों को लेने से बचें। (और पढ़ें - गर्भावस्था में सूजन और पुत्र प्राप्ति के लिए क्या करें)
  2. भरपूर मात्रा में पानी को पीएं – आपको बता दें कि शरीर में बने अतिरिक्त तरल पदार्थों को बाहर लाने के लिए आपको भरपूर मात्रा में पानी को पीना होगा। पानी को पीने से प्रेग्नेंसी के दौरान आपके शरीर में बने तरल पदार्थ पानी के साथ ही धीरे-धीरे बाहर आने लगेंगे और इससे आपकी सूजन कम होना शुरू हो जाएगी। (और पढ़ें - गर्भावस्था में क्या खाएं और क्या ना खाएं)
  3. हाथों व पैरों में खिंचाव लाएं – अपने हाथों और पैरों को आराम दें और कुछ समय के लिए हाथों व पैरों को बारी-बारी से ऊपर की ओर ले जाते हुए इनमें खिंचाव लाएं। पैरों को ऊपर ले जाने के लिए आपको लेटना होगा, जबकि हाथों का खिंचाव आप बैठकर या खड़े होकर भी आसानी से कर सकती हैं। इस तरह की क्रिया को दिन में कम से कम तीस मिनट जरूर करें। इससे आपके हृदय तक रक्त आसानी से पहुंचता हैं और हृदय का कार्य भी आसान हो जाता है। रक्त के प्रवाह में सुधार होते ही आपके शरीर में आने वाली सूजन भी धीरे-धीरे कम हो जाती है। (और पढ़ें - डिलीवरी के बाद एक्सरसाइज)
  4. व्यायाम करें – शरीर के सभी अंगों के संचालन के लिए आप हल्की एक्सरसाइज करती रहें। इससे आपके शरीर में बना अतिरिक्त तरल पदार्थ आपके पसीने के माध्यम से बाहर आना शुरू हो जाएगा। व्यायाम करने से रक्त संचार में सुधार होता है और इससे आपके नवजात शिशु को भी काफी लाभ मिलता है। बच्चे के जन्म के बाद आपको किस तरह की एक्सरसाइज करनी चाहिए, इस बारे में जानने के लिए आप अपने डॉक्टर से सुझाव लेना होगा। (और पढ़ें - डिलीवरी के बाद के लिए योगा)
  5. मसाज करना – अगर डिलीवरी के बाद आपको ज्यादा सूजन न हो, तो ऐसे में आप अपने पैरों की मसाज करके भी सूजन को आसानी से कम कर सकती हैं। यह रक्त संचार को सही कर शरीर में बने अतिरिक्त तरल को बाहर करने काम करता है।
    - मसाज के लिए आप अपने पार्टनर की भी मदद ले सकती हैं। इसके लिए आपको पैरों के तलवों से मसाज करते हुए धीरे-धीरे ऊपर की ओर आना होगा।
    - मसाज करने के लिए आप अंगूर के बीज से बने तेल का उपयोग कर सकती हैं।
    - इस दौरान आपको अरोमा थैरेपी के आवश्यक तेल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। (और पढ़ें - डिलीवरी के बाद की समस्याएं और उनके समाधान)
  6. आराम करने व बैठते समय शरीर की सही मुद्रा रखें – इस समय आपको पैरों को मोड़कर बैठने व लंबे समय तक खड़े रहने से बचना चाहिए। लेटते समय अपने पैरों को थोड़ा ऊपर की ओर रखें। इससे आपके पैरों का रक्त आसानी से हृदय की ओर जाता है। जिससे सूजन कम होती है। (और पढ़ें - प्रेग्नेंसी के महीनों के बारे में पूरी जानकारी)
  7. अपने पैरों को कुछ देर के लिए पानी भिगोकर रखें – इस उपाय में आपको अपने पैरों को हल्के गुनगुने पानी व अरोमा थैरेपी के तेल के मिश्रण में थोड़े समय के लिए भिगोकर या डूबाकर रखना होगा। इससे रक्त संचार में सुधार होता है और आपकी नसों में रक्त नहीं जमता है। इस उपाय में लैवेंडरकैमोमाइल का तेल का इस्तेमाल करने से, इस समय होने वाली परेशानियां कम हो जाती है।
  8. हर्बल चायहर्बल चाय डिलीवरी के बाद होने वाली परेशानियों को कम करती है। आपको बता दें कि सिंहपर्णी (Dandelion) से बनी चाय शरीर में बनने वाले अतिरिक्त तरल को शरीर में रहने नहीं देती और तेजी से बाहर कर देती है, लेकिन आपको पित्त संबंधी कोई समस्या हो तो आप इस तरह की चाय का सेवन करने से दूर ही रहें।
  9. गोभी के पत्तेफूल गोभीपत्ता गोभी के पत्तों को आप पैरों व अन्य सूजन के क्षेत्रों में उपयोग कर सकती है। इसे इस्तेमाल करने के लिए आप सबसे पहले गोभी के पत्तों को साफ कर लें, लेकिन इसको साफ करने के लिए पानी का इसतेमाल न करें। किसी कपड़े या साफ पेपर से इन पत्तों को साफ कर लें। इसके बाद इन पत्तों को फ्रिज में रख दें, जब यह ठंडे हो जाएं तो इन पत्तों को सूजन वाले स्थान पर लगाएं और इनको तब तक लगाएं रखें जब तक इनमें से पानी न निकलने लगे। इस प्रक्रिया को तब तक दोहराते रहें जब तक आपको आराम न मिल जाएं।
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  10. एक्यूपेंचर का उपयोग – डिलीवरी के बाद सूजन आने की समस्या में आप एक्यूपेंचर थैरेपी का प्रयोग कर सकती हैं। चीन में प्राचीन काल से ही इसका उपयोग किया जा रहा है। यह शरीर की ऊर्जा को नियंत्रित करने का काम करती है। इसके साथ ही साथ एक्यूपेंचर प्रक्रिया से किडनी व रक्त संचरण भी ठीक होता है।
  11. ठंडक भरे माहौल में रहें – आप जितना हो सके ठंडक भरे वातावरण में ही रहें, क्योंकि गर्मी के वातावरण में सूजन बढ़ जाती है। हाल में बच्चे को जन्म देने वाली मां जिस कमरे में रहती हो वहां उचित रूप से हवा के आने-जाने का प्रबंध होना चाहिए। (और पढ़ें - डिलीवरी के बाद कमर दर्द)

कुछ अन्य टिप्स

  • ज्यादा तंग (टाइट) कपड़ों को न पहनें, इससे खून के संचार पर असर पड़ता है और सूजन आती है।
  • आप करवट लेकर लेटें, इससे रक्त संचार ठीक रहता है और सूजन में कमी आती है।
  • आप पैरों में मोजे पहनकर रहें।  

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डिलीवरी के बाद सूजन, जिसे पोस्टपार्टम एडिमा भी कहा जाता है, एक सामान्य स्थिति है, जिसमें महिला के शरीर के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से पैरों और टखनों में तरल पदार्थ जमा हो जाता है, जिससे सूजन होती है। यह स्थिति गर्भावस्था के दौरान बढ़े हुए रक्त और तरल पदार्थ की मात्रा, हार्मोनल बदलाव, और डिलीवरी के दौरान दिए गए अंतःशिरा (IV) तरल पदार्थों के कारण होती है। आमतौर पर, यह सूजन कुछ दिनों से लेकर हफ्तों तक रह सकती है और समय के साथ स्वाभाविक रूप से कम हो जाती है। इस दौरान आराम, पैरों को ऊंचा रखना, और पर्याप्त पानी पीना सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। अगर सूजन के साथ अन्य लक्षण जैसे दर्द या सांस लेने में कठिनाई हो, तो चिकित्सकीय सलाह लेना आवश्यक है।

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