इस लेख में बताया गया है कि प्रसव के बाद ब्लीडिंग कब तक होती है, डिलीवरी के बाद खून बहना सामान्य है कि नहीं, बच्चे के जन्म के बाद अधिक रक्तस्राव क्यों होता है, और इसके कारण और उपाय -
(और पढ़ें - डिलीवरी के बाद होने वाली समस्याएं)
ऑफर - Urjas Oil सिर्फ ₹ 1 में X
इस लेख में बताया गया है कि प्रसव के बाद ब्लीडिंग कब तक होती है, डिलीवरी के बाद खून बहना सामान्य है कि नहीं, बच्चे के जन्म के बाद अधिक रक्तस्राव क्यों होता है, और इसके कारण और उपाय -
(और पढ़ें - डिलीवरी के बाद होने वाली समस्याएं)
डिलीवरी के बाद खून बहने और म्यूकस के अत्यधिक प्रवाह को लोकिया (Lochia) कहा जाता है, जो प्रसव के बाद होना शुरू होता है और दस दिनों तक होता रहता है। गर्भावस्था के बाद चार से छह हफ़्तों तक हल्का रक्तस्राव और स्पॉटिंग हो सकती है।
(और पढ़ें - गर्भावस्था में पेट में दर्द और पुत्र प्राप्ति के उपाय से जुड़े मिथक)
प्रसव के बाद थोड़ी ब्लीडिंग हो सकती है। सभी महिलाओं को प्रसव के दौरान और बाद में थोड़ा रक्तस्राव होता है। बच्चे को जन्म देने के कुछ दिनों बाद, आपको ऐसा लगेगा कि आपको बहुत अधिक मात्रा में पीरियड्स हो रहे हैं, क्योंकि आपके शरीर में मौजूद रक्त की मात्रा गर्भावस्था के दौरान लगभग 50 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। इसलिए आपका शरीर इस सामान्य रक्तस्राव के लिए पूरी तरह से तैयार रहता है।
(और पढ़ें - गर्भावस्था में खून आना)
जब प्लेसेंटा, गर्भाशय से अलग होती है, उस हिस्से में खुली रक्त वाहिकाएं होती हैं जहां से ये जुड़ी होती है, जिनसे गर्भाशय में खून बहना शुरू हो जाता है। प्लेसेंटा के अलग होने के बाद के बाद, गर्भाशय संकुचित होने लगता है, जिससे वो रक्त वाहिकाएं बंद होती हैं, और रक्तस्राव कम होता है। यदि डिलीवरी के दौरान आपको एपिसियोटमी (Episiotomy) या चीरा लगा था, तो उस जगह से तब तक खून निकल सकता है जब तक उसकी सिलाई नहीं हो जाती।
(और पढ़ें - प्रसव के लक्षण और नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है)
नर्स आपके गर्भाशय की मालिश करेंगी और संकुचन के लिए आपको सिंथेटिक ऑक्सीटोसिन (Synthetic oxytocin) दे सकती हैं। स्तनपान कराने से शरीर में प्राकृतिक ऑक्सीटोसिन रिलीज़ होता है जो आपके गर्भाशय को संकुचित होने में भी मदद करता है। यही कारण है कि आपको बाद में ठीक होने के समय भी ऐंठन महसूस होती है।
कभी कभी गर्भाशय, प्रसव के बाद अच्छी तरह से संकुचित नहीं होता, जिसके परिणामस्वरूप अत्यधिक खून निकलता है जिसे प्रसवोत्तर रक्तस्राव (Postpartum hemorrhage) कहा जाता है।
(और पढ़ें - प्रसव के बाद पीरियड)
यदि लोकिया (Lochia) के हल्के होने के बाद फिर से आपको स्पॉटिंग महसूस हो तो यह सिर्फ एक संकेत होता है कि अब आपको कम रक्तस्राव होगा। लेकिन अगर आप इस स्पॉटिंग को भी अगले कुछ दिनों तक अनुभव करें तो अपने डॉक्टर से चेकअप ज़रूर कराएं।
अगर आपको अत्यधिक रक्तस्राव या निम्न में किसी का अनुभव हो तो तुरंत डॉक्टर से बात करें -
ये सभी प्रसवोत्तर रक्तस्राव के देरी से होने के संकेत हैं और इनपर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
(और पढ़ें - स्तनपान के दर्द का उपाय)
डिलीवरी चाहे नार्मल हो या सिजेरियन डिलीवरी, हर नयी मां को बच्चे को जन्म देने के बाद रक्तस्राव होता है। ज्यादातर रक्तस्राव वहां से होता है जहां से प्लेसेंटा गर्भाशय की दीवार से अलग होती है। लेकिन यह प्रसव के दौरान किसी भी चीरे या चोट के कारण भी हो सकता है।
(और पढ़ें - प्रसव के बाद टांके)
बच्चे के जन्म के बाद होने वाला रक्तस्राव अत्यधिक हो सकता है, लेकिन यह धीरे धीरे समय के साथ कुछ ही हफ्तों में कम हो जाता है। गहरे लाल रंग से रक्तस्राव होना शुरू होता है और फिर अगले कुछ दिनों में यह रंग बदलता है और भूरे रंग का हो जाता है क्योंकि आपका गर्भाशय ठीक होता है और इसके गर्भावस्था से पहले के आकार में लौटता है। हालांकि डिलीवरी के छह हफ़्तों बाद खून बहना पूरी तरह से बंद हो जाना चाहिए। रक्तप्रवाह धीरे धीरे कम हो जाता है लेकिन यदि आप जल्द ही घर के सारे काम करने की कोशिश करेंगी तो यह फिर से शुरु हो सकता है।
(और पढ़ें - डिलीवरी के बाद क्या खाना चाहिए)
यदि आप स्तनपान कराती हैं तो भी भारी रक्तस्राव हो सकता है। आप पीरियड्स में दर्द और ऐंठन की तरह का दर्द और ऐंठन का अनुभव भी कर सकती हैं, जिसे डिलीवरी के बाद का दर्द कहा जाता है। यह इसलिए होते हैं क्योंकि स्तनपान कराने से आपके गर्भ में संकुचन होता है। अगर आपको जुड़वाँ या उससे अधिक बच्चे हुए हैं तो और अधिक दर्द हो सकता है। आप आइबुप्रोफेन (Ibuprofen) की मदद से दर्द को कम कर सकती हैं, जो नॉनटेरायडियल एंटी-इन्फ्लैमेटरी ड्रग्स (Non steroidal anti inflammatory- NSAID) है।
(और पढ़ें - स्तनपान के लाभ)
शुरुआत में, अत्यधिक रक्तस्राव में उपयोग होने वाले सैनिटरी पैड का उपयोग करें। अस्पताल से आपको घर भेज दिया जायेगा।
कम से कम छः सप्ताह तक टैम्पोन का उपयोग ने समय तक आपकी योनि और गर्भाशय ठीक हो रहे होते हैं इसलिए उनमें संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है।
मूत्रत्याग करने की कोशिश करें, भले ही आपको महसूस न हो। आपके जन्म देने के कुछ दिनों बाद तक आपका मूत्राशय सामान्य से कम संवेदनशील होता है, इसलिए हो सकता है कि आपको मूत्रत्याग की आवश्यकता महसूस न हो। मूत्र संबंधी समस्याएं पैदा करने के अलावा, मूत्राशय के भरे होने के कारण आपका गर्भाशय संकुचित नहीं हो पाता है, जिसके कारण बाद में और अधिक दर्द और रक्तस्राव होता है।
आप जितना आराम कर सकती हैं उतना आराम करें। यदि आप बहुत अधिक काम करेंगी तो आपको लंबे समय तक रक्तस्राव हो सकता है या लोकिया के कम होने या ख़त्म हो जाने के बाद भी रक्तस्राव हो सकता है।
डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग, जिसे पोस्टपार्टम हेमरेज (PPH) कहा जाता है, एक गंभीर स्थिति है जिसमें डिलीवरी के बाद अत्यधिक रक्तस्राव होता है। यह आमतौर पर प्रसव के पहले 24 घंटों में होता है, लेकिन कभी-कभी यह कई हफ्तों बाद भी हो सकता है। इसके प्रमुख कारणों में गर्भाशय की पूरी तरह से संकुचित न होना, गर्भाशय में प्लेसेंटा का अटक जाना, और गर्भाशय या योनि में आंसू शामिल हैं। इसके लक्षणों में भारी रक्तस्राव, कमजोरी, चक्कर आना, और तेजी से धड़कन शामिल हो सकते हैं। इस स्थिति का इलाज तुरंत किया जाना चाहिए, जिसमें दवाएं, गर्भाशय की मालिश, और गंभीर मामलों में सर्जरी शामिल हो सकती है। सही समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप और नियमित प्रसव पूर्व देखभाल से इस स्थिति के जोखिम को कम किया जा सकता है।
नॉर्मल डिलीवरी के बाद 40 दिन तक ब्लीडिंग होना सामान्य बात है, यह ब्लीडिंग रूक-रूक कर भी हो सकती है, इसमें चिंता करने की कोई बात नहीं है।
डिलीवरी के बाद 6 हफ्तों तक ब्लीडिंग होना नॉर्मल है लेकिन आपको 6 हफ्तों से ज्यादा ब्लीडिंग हो रही है जो कि नॉर्मल नहीं है। आप डॉक्टर से मिलकर अपने पेल्विस का अल्ट्रासाउंड और हीमोग्लोबिन टेस्ट करवा लें। डॉक्टर आपके गर्भाशय की जांच करके भी समस्या का पता लगा सकते हैं। यह समस्या आपको डिलीवरी के बाद गर्भाशय की पूरी तरह सफाई न होने से भी हो सकती है।
डिलीवरी के बाद 40 दिन तक ब्लीडिंग होना नॉर्मल है। कई बार ब्लीडिंग कुछ दिन रूक कर दोबारा भी शुरू हो सकती है। इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। हरी सब्जियां और संतुलित आहार लेते रहें।
यह हार्मोनल असंतुलन की वजह से होता है। डिलीवरी के बाद यह समस्या कई महिलाओं को हो जाती है। इसको डीयूबी (डिस्फंक्शनल यूटरिन ब्लीडिंग) कहते हैं। इसके लिए उनको हार्मोंस बैलेंस करने की दवा लेनी चाहिए।