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Anju Cough Syrup बिना डॉक्टर के पर्चे द्वारा मिलने वाली आयुर्वेदिक दवा है, जो मुख्यतः खांसी, सर्दी जुकाम, संक्रमण, बुखार, गले में इन्फेक्शन, कमजोर इम्यूनिटी और फेफड़ों में इन्फेक्शन के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। इसके मुख्य घटक हैं लौंग, मुलेठी, तुलसी, अडूसा, कर्कटशृंगी और पुदीना का तेल जिनकी प्रकृति और गुणों के बारे में नीचे बताया गया है। Anju Cough Syrup की उचित खुराक मरीज की उम्र, लिंग और उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली समस्याओं पर निर्भर करती है। यह जानकारी विस्तार से खुराक वाले भाग में दी गई है।
लौंग |
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मुलेठी |
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तुलसी |
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अडूसा |
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कर्कटशृंगी |
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पुदीना का तेल |
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Anju Cough Syrup Large Pack इन बिमारियों के इलाज में काम आती है -
मुख्य लाभ
यह अधिकतर मामलों में दी जाने वाली Anju Cough Syrup Large Pack की खुराक है। कृपया याद रखें कि हर रोगी और उनका मामला अलग हो सकता है। इसलिए रोग, दवाई देने के तरीके, रोगी की आयु, रोगी का चिकित्सा इतिहास और अन्य कारकों के आधार पर Anju Cough Syrup Large Pack की खुराक अलग हो सकती है।
आयु वर्ग | खुराक |
बच्चे(2 से 12 वर्ष) |
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व्यस्क |
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चिकित्सा साहित्य में Anju Cough Syrup के दुष्प्रभावों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। हालांकि, Anju Cough Syrup का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर करें।
इस जानकारी के लेखक है -
BAMS, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, डर्माटोलॉजी, मनोचिकित्सा, आयुर्वेद, सेक्सोलोजी, मधुमेह चिकित्सक
10 वर्षों का अनुभव
संदर्भ
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 1. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1986: Page No - 110 - 111
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 1. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1986: Page No - 168 - 169
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 2. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1999: Page No 170 - 176
Ministry of Health and Family Welfare. Department of Ayush: Government of India. [link]. Volume 1. Ghaziabad, India: Pharmacopoeia Commission for Indian Medicine & Homoeopathy; 1986: Page No 161 - 162