टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस फैलने वाली बीमारी है. यह मुख्य रूप से लंग्स को प्रभावित करती है. इसके साथ-साथ शरीर के अन्य अंगों, जैसे - जॉइंट्स, किडनी, स्पाइन व मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकती है. दुनियाभर में महिलाओं की मौत का सबसे बड़ा कारण टीबी को ही माना गया है. प्रजनन क्षमता की उम्र में महिलाओं को टीबी होने का जोखिम सबसे ज्यादा होता है. महिला हो या पुरुष सभी में टीबी के लक्षण लगभग एक जैसे ही पाए जाते हैं, जैसे - बुखार आना, खांसी होना, वजन घटना आदि. अगर सिर्फ महिलाओं की बात करें, तो टीबी के चलते उनकी प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है. साथ ही कुछ अन्य लक्षण भी नजर आ सकते हैं.

ऐसे में आज इस लेख में हम जानेंगे कि महिलाओं में टीबी के लक्षण क्या-क्या होते हैं -

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  1. महिलाओं में टीबी के लक्षण
  2. क्या टीबी से महिलाओं की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है?
  3. सारांश
महिलाओं में टीबी के लक्षण के डॉक्टर

दुनिया की लगभग एक तिहाई आबादी टीबी से संक्रमित है. इसमें भी 15-49 आयु की महिलाओं के संक्रमित होने का खतरा अधिक होता है. विकासशील देशों में प्रजनन क्षमता की उम्र में महिलाओं में मृत्यु का तीसरा अहम कारण टीबी ही है. महिलाओं व पुरुषों में टीबी के लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं, जैसे - बुखार होना, पसीना आना, खांसी होना, सांस लेने में परेशानी होना या फिर वजन का घटना. आइए, महिलाओं में टीबी के इन लक्षणों को विस्तार से जानते हैं -

पसीना आना

महिलाओं में टीबी होने के सबसे आम लक्षणों में से एक है पसीना आना.  महिलाओं को जब टीबी होता है तो उन्हें पूरे दिन पसीना आता रहता है, चाहे मौसम कोई भी हो. टीबी होने पर ठंड अधिक होने पर भी अधिक पसीना आता है. 

(और पढ़ें - टीबी का आयुर्वेदिक इलाज)

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खांसी होना

जिन महिलाओं को लंग्स का टीबी होता है, उनमें लक्षण के तौर पर खांसी होना सबसे आम है. शुरुआती लक्षणों में खांसी या फिर उसके बाद बलगम और खून भी आने लगता है. ऐसे में अगर किसी को दो हफ्ते से अधिक समय से खांसी हो, तो उन्हें टीबी टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है.

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बुखार

महिलाओं को टीबी होने पर बुखार रहता है. शुरुआत में बुखार सामान्य होता है, लेकिन जैसे-जैसे इंफेक्शन बढ़ता है, बुखार भी बढ़ने लगता है.

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सीने में दर्द

सीने में दर्द होना भी टीबी का एक लक्षण है. ज्यादातर महिलाएं सीने में होने वाले दर्द को गंभीरता से नहीं लेती हैं, जो बाद में टीबी के साथ-साथ कई और गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है.

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वजन घटना

ऐसा कहा जाता है कि टीबी की बीमारी चाहे महिला को हो या पुरुष को, वजन का घटना सबसे प्रमुख लक्षणों में से एक है. अगर सिर्फ महिला की बात करें, तो उन्हें टीबी होने पर भूख नहीं लगती है, जिस कारण उनमें थकान और कमजोरी आने लगती है और वजन कम होने लगता है.

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सांस लेने में समस्या

टीबी की बीमारी से पीड़ित लोगों को खांसी बहुत होती है, जिस कारण उन्हें सांस लेने में तकलीफ भी होने लगती है और वो हमेशा खुद को थका हुआ महसूस कर सकते हैं. वहीं, अधिक खांसी होने से सांस फूलने की समस्या भी होने लगती है.

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पेट के निचले हिस्से में दर्द

यूट्रस में टीबी होने पर महिलाओं को पेट के निचले हिस्से में अधिक दर्द रहता है. इसके अलावा, वजाइना से सफेद पानी आता है और थकान जैसे लक्षण महसूस होते हैं. ये अवस्था काफी गंभीर हो सकती है.

इसके अलावा और भी कई लक्षण भी दिख सकते हैं, जैसे -

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जब बैक्टीरिया यूट्रस को प्रभावित करता है, तो यह यूटरिन ट्यूबरक्लोसिस का कारण बनता है, जो मुख्य रूप से महिलाओं को उनके रिप्रोडक्टिव उम्र में प्रभावित करता है. इसे आमतौर पर इनफर्टिलिटी चेक-अप के दौरान पहचाना जाता है. एमटीबी बैक्टीरिया रक्त के जरिए रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स सहित अन्य अंगों में प्रवेश करता है और फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय या एंडोमेट्रियल लाइनिंग में इंफेक्शन का कारण बनता है.

टीबी में फैलोपियन ट्यूब को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाने की क्षमता होती है. अगर इसके शुरुआती स्टेज का पता न चले, तो यह गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बन सकता है. इसके कारण महिला को इनफर्टिलिटी की भी समस्या भी हो सकती हैं.

यूट्रस में टीबी के लक्षणों में इर्रेगुलर पीरियड साइकिल, पेल्विक पेन, ब्लड डिस्चार्ज या सेक्स के बाद ब्लड डिस्चार्ज हो सकता है. 95 प्रतिशत से अधिक मामलों में इंफेक्शन फैलोपियन ट्यूब, 50 प्रतिशत एंडोमेट्रियम और 30 प्रतिशत ओवरीज को प्रभावित करने वाला पाया गया है.

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टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है. ये बैक्टीरिया हवा के माध्यम से फैलते हैं और मुख्य रूप से लंग्स को प्रभावित करते हैं. पुरुषों की तुलना में यह बीमारी दुनिया भर में महिलाओं में मौत का प्रमुख कारण है. महिलाओं में टीबी के कारण यूट्रस तक प्रभावित हो सकता है. महिलाओं में होने वाली टीबी की बीमारी बुरा असर डालती है, जो भारत में तेजी से बढ़ रहा है. इसके कारण महिलाएं इनफर्टिलिटी का भी शिकार हो सकती हैं. ऐसे में समय रहते है इस ओर ध्यान देना आवश्यक है.

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