सुप्रीम कोर्ट के छह जजों के स्वाइन फ्लू से पीड़ित होने की खबर सामने आई है। सर्वोच्च अदालत में न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने आज इसकी जानकारी दी। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, जस्टिस चंद्रचूंड़ ने कोर्ट की कार्यवाही के दौरान यह जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के शीर्ष जजों ने इस बारे में मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े के साथ बैठक की है। इसमें बताया गया कि उनके छह साथी जज एच1एन1 से ग्रसित हैं।
उधर, शीर्ष अदालत के आधा दर्जन जजों के स्वाइन फ्लू से पीड़ित होने की खबर मीडिया में तेजी से फैली। इनमें जस्टिस चंद्रचूड़ के हवाले से बताया गया कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के टीकाकरण का आश्वसान दिया है। इसके तहत अब वकील समेत कोर्ट में कार्यरत सभी लोगों को फ्लू से बचाव के लिए वैक्सीन दी जाएगी।
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हालात काबू करने में जुटा बार एसोसिएशन
देश की सबसे बड़ी अदालत में स्वाइन फ्लू की एंट्री के बाद बार एसोसिएशन में हचलच बढ़ गई है। मामला सामने आने के बाद एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने एक बैठक की। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के जजों में फैला स्वाइन फ्लू हाल ही में आयोजित ज्यूडिशियल कॉन्फ्रेंस का परिणाम हो सकता है। इस कार्यक्रम में एक विदेशी प्रतिनिधिमंडल के कुछ सदस्य स्वाइन फ्लू से संक्रमित पाए गए थे। वहीं, कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के जज भी शरीक हुए थे। आशंका जताई गई है कि हो सकता है कि उनमें वायरस वहीं से आया हो। बहरहाल, बार एसोसिएशन फ्लू से बचाव के विकल्पों पर काम कर रहा है।
एम्स ने स्वाइन फ्लू को बताया था सामान्य फ्लू
सुप्रीम कोर्ट के जजों के स्वाइन फ्लू से पीड़ित होने की खबर ऐसे समय में आई है, जब खुद एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कुछ दिन पहले स्वाइन फ्लू को सामान्य फ्लू जैसा बताया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा था कि यह वायरस करीब 90 प्रतिशत लोगों में आकर अपनेआप चला जाता है। उनकी मानें तो वैश्विक स्तर पर स्वाइन फ्लू का वायरस अब सामान्य फ्लू की तरह व्यवहार कर रहा है। हालांकि, जो लोग पहले से बीमार हैं, उन्हें इसे लेकर सचेत रहने की जरूरत है, खास तौर पर बुजुर्ग और बच्चों को।
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क्या है स्वाइन फ्लू?
स्वाइन फ्लू एक दशक पहले महामारी के रूप में फैला था। जानकार बताते हैं कि इस वायरस की शुरुआत सूअर से फैले वायरस से हुई थी। इसके बाद यह वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में फैला। अगस्त 2010 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने स्वाइन फ्लू को महामारी घोषित किया था। हालांकि अब एच1एन1 वायरस को एक सामान्य फ्लू वायरस की तरह ही माना जाता है। दुनियाभर में हर साल टीकाकरण करके स्वाइन फ्लू को रोका जा रहा है। स्वाइन फ्लू के लक्षण और उपचार, एक अन्य सामान्य फ्लू वायरस के जैसे ही होते हैं और उन्हीं की तरह फैलते हैं।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
स्वाइन फ्लू के प्रभाव में आने के बाद एक से चार दिन में इसके शुरुआती लक्षणों का पता चल सकता है। ये लक्षण एक से दो सप्ताह तक बने रहते हैं। लेकिन अगर कोई व्यक्ति गंभीर रूप से संक्रमित है तो यह अवधि बढ़ भी सकती है। स्वाइन फ्लू के लक्षण इन्फ्लुएंजा वायरस के सामान ही होते है, जैसे-
- बुखार (100 डिग्री फारेनहाइट या इससे अधिक)
- खांसी (आम तौर पर सूखी खांसी का होना)
- नाक बहना
- अत्याधिक थकान महसूस होना
- सिरदर्द होना
इसके अलावा कई संक्रमित रोगियों में गले में खराश, लाल चकत्ते, शरीर, मांसपेशियों में दर्द और ठंड लगने के जैसे लक्षण पाए जाते हैं। इतना ही नहीं, कुछ रोगियों में सांस की तकलीफ जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं या उनके बलगम में रक्त आ सकता है।
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