उत्तर प्रदेश में स्वाइन फ्लू से आठ लोगों की मौत होने की खबर है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, राज्य के मेरठ जिले में अब तक 79 लोग इस जानलेवा वायरस की चपेट में आ चुके हैं। बताया जा रहा है कि आठ लोगों की मौत की खबर सामने आने के बाद प्रशासन हरकत में आया है। उसने इलाके में स्वाइन फ्लू के प्रभाव और इससे पैदा हुए हालात की जांच के लिए टीम गठित कर दी है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) राजकुमार ने बताया कि छह लोगों की यह टीम मौत के कारणों की जांच करेगी। सीएमओ ने कहा कि जांच में यह भी देखा जाएगा कि मृतकों को संक्रमण अस्पताल के अन्य मरीजों से मिला या वे पहले से संक्रमित थे। इसके अलावा इलाज की प्रक्रिया और मरीजों को आइसोलेशन वॉर्ड में रखे जाने की भी जांच की जाएगी।
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क्या कहा जांच टीम ने?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जांच टीम में शामिल डॉक्टर अग्रवाल का कहना है, ‘अस्पतालों में स्वाइन फ्लू के संक्रमितों की संख्या बढ़ी है लेकिन यहां दवा की कोई कमी नहीं है। अगर ऐसी कोई स्थिति आती है तो उसे जल्दी से जल्दी पूरा किया जाएगा। फिलहाल टीम में शामिल सभी डॉक्टर शहर के अन्य अस्पतालों में फ्लू से संक्रमित लोगों की जांच में जुटे हैं।’
सुप्रीम कोर्ट के जजों को भी स्वाइन फ्लू
मेरठ में आठ लोगों की मौत का यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों के भी स्वाइन फ्लू के वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। दरअसल, बीती 25 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूंड़ ने अदालत के कार्यवाही के दौरान बताया था कि उनके छह साथी जज एच1एन1 से ग्रसित हैं। इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के टीकाकरण का आश्वसान दिया था।
एम्स ने स्वाइन फ्लू को बताया था सामान्य फ्लू
वहीं, हैरानी की बात यह है कि स्वाइन फ्लू से जुड़े मामलों में उस समय तेजी देखने को मिली है, जब खुद एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने स्वाइन फ्लू को 'सामान्य फ्लू' जैसा बताया था। दरअसल कुछ दिन पहले ही डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा था कि यह वायरस करीब 90 प्रतिशत लोगों में आकर अपनेआप चला जाता है। इतना ही नहीं, डॉक्टर गुलेरिया ने यह भी कहा था कि वैश्विक स्तर पर भी स्वाइन फ्लू का वायरस अब सामान्य फ्लू की तरह व्यवहार कर रहा है। हालांकि, उन्होंने साफ किया था कि जो लोग पहले से बीमार हैं उन्हें इसे लेकर सचेत रहने की जरूरत है, खास तौर पर बुजुर्ग और बच्चों को।
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क्या है स्वाइन फ्लू?
स्वाइन फ्लू एक दशक पहले महामारी के रूप में फैला था। जानकार बताते हैं कि इस वायरस की शुरुआत सूअर से फैले वायरस से हुई थी। इसके बाद यह वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में फैला। अगस्त 2010 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने स्वाइन फ्लू को महामारी घोषित किया था। हालांकि अब एच1एन1 वायरस को एक सामान्य फ्लू वायरस की तरह ही माना जाता है। दुनियाभर में हर साल टीकाकरण करके स्वाइन फ्लू को रोका जा रहा है। स्वाइन फ्लू के लक्षण और उपचार, एक अन्य सामान्य फ्लू वायरस के जैसे ही होते हैं और उन्हीं की तरह फैलते हैं।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
स्वाइन फ्लू के प्रभाव में आने के बाद एक से चार दिन में इसके शुरुआती लक्षणों का पता चल सकता है। ये लक्षण एक से दो सप्ताह तक बने रहते हैं। लेकिन अगर कोई व्यक्ति गंभीर रूप से संक्रमित है तो यह अवधि बढ़ भी सकती है। स्वाइन फ्लू के लक्षण इन्फ्लुएंजा वायरस के सामान ही होते है, जैसे-
- बुखार (100 डिग्री फारेनहाइट या इससे अधिक)
- खांसी (आम तौर पर सूखी खांसी का होना)
- नाक बहना
- अत्यधिक थकान महसूस होना
- सिरदर्द होना
इसके अलावा कई संक्रमित रोगियों में गले में खराश, लाल चकत्ते, शरीर, मांसपेशियों में दर्द और ठंड लगने के जैसे लक्षण पाए जाते हैं। इतना ही नहीं, कुछ रोगियों में सांस की तकलीफ जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं या उनके बलगम में रक्त आ सकता है।
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