साल 2019 आपके लिए कई मायनों में यादगार हो सकता है। हो सकता है कि इस साल आपने खूब तरक्की की हो, कुछ लोगों के लिए यह साल उनके जीवन का सबसे अच्छा वर्ष भी हो सकता है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होंगे, जो इस वर्ष को भूल जाना चाहेंगे। ये वे लोग होंगे, जिन्होंने इस वर्ष अपने करीबी लोगों को खो दिया। खासतौर पर महाराष्ट्र में इस साल स्वाइन फ्लू से करीब ढाई सौ लोगों की मौत हो गई, उन लोगों के परिजन 2019 को कभी याद नहीं करना चाहेंगे।
साल 2009 में स्वाइन फ्लू एक महामारी के रूप में सामने आया था, लेकिन आज यह किसी आम फ्लू से ज्यादा कुछ नहीं है। अगस्त 2010 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने स्वाइन फ्लू महामारी को खत्म घोषित कर दिया था। अब सामान्य टीकाकरण के जरिए स्वाइन फ्लू को रोका जा सकता है।
महाराष्ट्र में राज्य स्वास्थ्य विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार 2019 में पुणे में स्वाइन फ्लू से सबसे अधिक 56 लोगों की मौत हुई है। विषेशज्ञों का कहना है कि स्वाइन फ्लू वायरस के इन मामलों में और वृद्धि हो सकती है, क्योंकि सर्दियों में तापमान गिरने की वजह से स्वाइन फ्लू के वायरस को फैलने में मदद मिलती है। यह वायरस कम तापमान में ही पनपता है।
2018 में हुई साढ़े चार सौ से ज्यादा मौतें
राज्य निगरानी अधिकारी प्रदीप अवाटे ने बताया है कि साल 2018 (462 मौत) के मुकाबले इस साल स्वाइन फ्लू से कम लोगों की मौत हुई है। डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों से ग्रस्त लोग खास सावधानी बरतें, क्योंकि उनमें इस फ्लू के फैलने का जोखिम अधिक है और किसी भी इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारी का इलाज बिना देरी के करवाएं।
स्वाइन फ्लू से गंभीर रूप से ग्रस्त मरीज को ओसेल्टामिविर टैबलेट दी जाती है, जिसे टैमीफ्लू या फ्लूविर के नाम से भी जाना जाता है। मुख्य रूप से हाइपरटेंशन, डायबिटीज और इस तरह की अन्य गंभीर स्थितियों से ग्रस्त लोगों में स्वाइन फ्लू की जांच ज्यादातर राज्य-संचालित और नगर निगम के अस्पतालों और औषधालयों में की जाती है।
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करीब 32 लाख लोगों का हुआ टेस्ट
साल 2019 में महाराष्ट्र में इन्फ्लूएंजा से ग्रस्त 31.83 लाख लोगों का स्वाइन फ्लू टेस्ट किया गया। उनमें से 46,986 लोगों को ओसेल्टामिविर दवा दी गई। दरअसल किसी अन्य फ्लू की तरह स्वाइन फ्लू भी एक श्वसन संक्रमण है। यह शरीर के प्रमुख अंगों, विशेष रूप से फेफड़ों पर हमला करता है।
जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, उनके इस वायरस की चपेट में आने की आशंका ज्यादा होती है। इस संक्रमण के फेफड़ों में जाने पर निमोनिया जैसी समस्या होने लगती है, जो कि काफी खतरनाक भी साबित हो सकती है। फ्लू शरीर में दूसरे तरह के संक्रमण भी पैदा कर सकता है। इसकी वजह से शरीर का कोई भी महत्वपूर्ण अंग काम करना बंद कर सकता है, जिससे मृत्यु भी हो सकती है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
स्वाइन फ्लू के लक्षण किसी भी अन्य मौसमी फ्लू या इन्फ्लूएंजा की तरह ही होते हैं। इसके लक्षणों में बुखार, सुस्ती, भूख न लगना और खांसी आदि शामिल हैं। स्वाइन फ्लू वाले कुछ लोगों में नाक बहने, गले में खराश, मितली, उल्टी और दस्त जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं।
(आगे पढ़ें - फ्लू (इन्फ्लूएंजा) का इलाज)
स्वाइन फ्लू के बचाव
स्वाइन फ्लू से बचने के लिए आप निम्नलिखित तरीके अपनाएं।
- स्वाइन फ्लू से बचने के लिए घर से बाहर निकलते समय मास्क का इस्तेमाल करें जैसे डस्ट एंटीपॉल्यूशन मास्क या एन95 रेस्पिरेटर मास्क पहनें।
- सुबह घर से बाहर निकलने से पहले पेट भर खाना खाएं, आप हाई प्रोटीन डाइट लें और खाली पेट बाहर बिल्कुल न निकलें।
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स्वाइन फ्लू है तो ये सब करें
- अगर आपको स्वाइन फ्लू हो गया है, तो 5 दिनों के लिए अपने कमरे में ही रहें, थोड़े दिनों के लिए लोगों से दूर रहें और दूसरों को अपने संपर्क में न आने दें।
- अगर आपको बाहर जाना हो, तो मास्क पहनकर ही बाहर निकलें, बिना मास्क पहने घर से बाहर न निकलें।
- अपने इस्तेमाल किए गए तौलिए और कपड़ों को अलग रखें, किसी दूसरे को इस्तेमाल न करने दें।
- अगर आपके घर में कोई बच्चा या गर्भवती महिला है, तो 5 दिनों के लिए उनसे दूरी बनाएं। क्योंकि बच्चे और गर्भवती महिलाएं इस वायरस के संपर्क में बहुत जल्दी आते हैं।
- स्वाइन फ्लू होने पर डॉक्टर की सलाह से 5 दिनों तक एंटीवायरल मेडिसिन लें, इसी के साथ आपके घर के बाकी सदस्यों को भी एंटीवायरल की 1 गोली 5 दिनों तक लेनी होती है।