शरीर के किसी हिस्से का बढ़ना सूजन कहलाता है। शरीर के किसी हिस्से में बहुत ज्यादा तरल बनने की वजह से सूजन होने लगती है। सूजन शरीर के किसी एक हिस्से या पूरे शरीर पर हो सकती है।
कुछ लोगों को लंबे समय तक चलने या खड़े रहने की वजह से पैरों खासतौर पर पैर के निचले हिस्से में सूजन महससू होती है। सर्दी के मौसम में सूजन की समस्या सबसे अधिक देखी जाती है। सर्दी में शरीर के किसी एक हिस्से में सूजन होना आम बात है। वहीं दूसरी ओर किसी जीर्ण (पुरानी) या गंभीर रोग या किसी अंग के फेल होने के कारण पूरे शरीर में सूजन हो सकती है।
सूजन को एडिमा भी कहा जाता है एवं इसके निम्न दो प्रकार हैं –
- सूजन वाले हिस्से को दबाने पर उस पर निशान पड़ जाना या उसका काला पड़ना।
- सूजन वाले हिस्से को दबाने पर कोई निशान न पड़ना।
आयुर्वेद में सूजन को शोथ कहा गया है। आयुर्वेद के अनुसार किसी अंग के कार्य में रुकावट या बाधा आने की वजह से शरीर में सूजन आती है। सूजन के कुछ लक्षणों में शरीर में भारीपन और सूजन वाले हिस्से का रंग फीका पड़ना शामिल है।
सूजन के इलाज के लिए आयुर्वेदिक उपचार में अभ्यंग (तेल मालिश की विधि), लेप (प्रभावित हिस्से पर औषधि लगाना) और रक्तमोक्षण (दूषित रक्त निकालने की विधि) की मदद से शरीर से अतिरिक्त दोष और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल दिया जाता है।
सूजन को कम करने के लिए अर्जुन, शुंथि (सोंठ), अरंडी और पुनर्नवा जैसी जड़ी बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। सूजन को कम करने के लिए आयुर्वेदिक मिश्रण जैसे कि चंद्रप्रभा गुटीका, पुर्नवासक, दशमूलारिष्ट और आरोग्यवर्धिनी वटी असरकारी हैं। अपने दैनिक आहार में पुराने चावल, छाछ, अरबी, मूली और परवल को शामिल करें एवं अनुचित खाद्य पदार्थों (जैसे मछली के साथ दूध) का सेवन न करें। एडिमा की समस्या को खत्म करने के लिए सेक्स से दूर रहें और ज्यादा देर तक चलने से बचें।
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