सुसैक सिंड्रोम एक ऑटोइम्यून स्थिति है, जो दिमाग की छोटी रक्त वाहिकाओं, रेटिना (आंख का एक हिस्सा) और आंतरिक कान (कोक्लीआ) को प्रभावित करती है। इस स्थिति की तीन मुख्य विशेषताएं हैं : मस्तिष्क रोग (एन्सेफैलोपैथी), सुनने में कठिनाई (हियरिंग लॉस) और देखने में दिक्कत (विजन लॉस)।
ऑटोइम्यून रोग का मतलब है कि प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से ऊतकों पर हमला करती है। कुछ लोगों में सुसैक सिंड्रोम के सभी लक्षण नहीं हो सकते हैं, लेकिन लक्षणों के विशिष्ट संयोजन विकसित हो सकते हैं। सुसैक सिंड्रोम पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है। सुसैक सिंड्रोम के लक्षण जिस उम्र में शुरू होते हैं, वह आमतौर पर 20 से 40 वर्ष के बीच होता है, लेकिन कुछ लोगों में इस आयु सीमा से पहले या बाद में भी लक्षण देखे जा सकते हैं।
सुसैक सिंड्रोम का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है। इसका निदान नैदानिक परीक्षण और इमेजिंग टेस्ट पर आधारित है। उपचार के विकल्पों में कॉर्टिकोस्टेरॉइड और साइक्लोफॉस्फेमाइड के साथ-साथ एंटीकोआग्यूलेशन दवाएं शामिल हैं।
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