महिलाओं और पुरुषों में स्ट्रोक के ज्यादातर लक्षण समान होते हैं, जैसे उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह (शुगर ) और एट्रियल फाइब्रिलेशन ( दिल की धड़कन का अनियमित होना )। धूम्रपान स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है , महिलाओं के लिए कुछ अन्य कारण भी स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकते हैं ।
गर्भनिरोधक गोली
गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग करने से महिलाओं में स्ट्रोक और रक्त के थक्के जमने के खतरे में वृद्धि हो सकती है।
अगर फिर भी महिलायें गरबनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करना चाहती हैं तो महिलाओं को गोली से होने वाले खतरों जैसे रक्त के थक्के या स्ट्रोक के बारे में , उच्च रक्तचाप, धूम्रपान की लत, या बहुत अधिक वजन की जांच करानी चाहिए इसके साथ ही गोलियों के अलावा अगर कोई अन्य सुरक्षित विकल्प हो तो इसकी जानकारी भी जरूर रखें । गोली में मौजूद एस्ट्रोजन की मात्रा जो रक्त के थक्के या स्ट्रोक का कारण हो सकती है ,अगर किसी महिला को गोली खाते समय स्ट्रोक होता है, तो उन्हें संभवतः इसका उपयोग बंद करने की सलाह दी जाएगी।
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गर्भावस्था और स्ट्रोक
गर्भवती महिलाओं में स्ट्रोक का खतरा बहुत कम होता है , लेकिन गर्भावस्था और प्रसव से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। गर्भावस्था के दौरान, नियमित रक्तचाप की जांच से प्री-एक्लेमप्सिया के लक्षणों का पता लगाया जा सकता है, जो एक ऐसी स्थिति है जो स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकती है।
माइग्रेन
माइग्रेन पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है, और हालांकि यह स्ट्रोक का प्रत्यक्ष कारण नहीं है, लेकिन यदि आपको माइग्रेन होने के दौरान आँखों के सामने परछाई का भी अनुभव होता है तो हो सकता है कि आपको स्ट्रोक का खतरा हो ।
ल्यूपस और एसएलई
ल्यूपस एक स्वप्रतिरक्षी स्थिति है जो त्वचा और जोड़ों को प्रभावित करती है, जिससे दर्द, थकान और कभी-कभी गुर्दे को नुकसान पहुंचता है । गंभीर रूप को सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (एसएलई) कहा जाता है। एसएलई मुख्य रूप से 50 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं को प्रभावित करता है, और यह अफ्रीकी, कैरेबियाई या दक्षिण एशियाई मूल की महिलाओं में अधिक आम है। यदि किसी महिला को ल्यूपस की परेशानी है, तो स्थिति को प्रबंधित करने के लिए निगरानी की जानी चाहिए और उपचार दिया जाना चाहिए।
रजोनिवृत्ति और स्ट्रोक
रजोनिवृत्ति तक के वर्षों में, महिलाओं में मधुमेह, उच्च रक्तचाप और वजन बढ़ना जैसे स्ट्रोक के खतरे बढ़ने लगते हैं। ऐसा माना जाता है कि एस्ट्रोजन हृदय और रक्त वाहिकाओं की रक्षा करता है, जिससे मासिक धर्म के दौरान स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है। रजोनिवृत्ति के बाद स्ट्रोक का खतरा बढ़ने लगता है। अगर किसी कारणवश समय से पहले रजोनिवृत्ति हो गई हो, चिकित्सा उपचार या कोई सर्जरी हुई हो जो एस्ट्रोजेन के उत्पादन को रोकती है तो भी स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है । अन्य स्त्री स्वास्थ से जुड़ी समस्याओं के लिए आप माई उपचार से अशोकारिष्ट , चंद्रप्रभावटी , कचनार गुग्गुल , पत्रांगसाव को ले सकती हैं |
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रजोनिवृत्ति के दौरान स्वस्थ रहना
यदि किसी महिला को पहले एक स्ट्रोक हो चुका है और वो महिला रजोनिवृत्ति की स्थिति से गुजर रही है, तो महिला को स्वस्थ रहने और दूसरे स्ट्रोक के जोखिम को कम करने के लिए कुछ चीजों के बारे में सलाह की आवश्यकता हो सकती है। हमेशा ऐक्टिव रहना और स्वस्थ भोजन लेने से उच्च रक्तचाप, मधुमेह और वजन बढ़ने जैसी स्थितियों को काम करके खतम करने में मदद मिल सकती है। सक्रिय रहने से हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिल सकती है, साथ ही थकान और खराब मूड में भी सुधार हो सकता है।
मूत्राशय और आंत संबंधी समस्याएं
स्ट्रोक के बाद मूत्राशय और आंतों को नियंत्रित करने में समस्याएं या सकती हैं, लेकिन स्ट्रोक के बाद धीरे धीरे कुछ हफ्तों में उनमें सुधार होता है। मूत्र या मल का रिसाव या कब्ज जैसी समस्याएं लंबे समय तक भी हो सकती हैं। इस समस्या के समाधान के लिए फाइबरयुक्त भोजन खाना, अधिक तरल पदार्थ पीना, पेल्विक फ्लोर व्यायाम करना शामिल हो सकता है।
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स्ट्रोक के भावनात्मक प्रभाव
अकसर ये देखा गया है कि स्ट्रोक का भावनात्मक प्रभाव बहुत बड़ा हो सकता है जिसका असर परिवार और दोस्तों पर भी पड़ सकता है | कई महिलाओं अपने जीवन में बदलाव पर दुःख की अनुभूति होती है। स्ट्रोक के बाद गुस्सा, सदमा और डिप्रेशन महसूस होना सामान्य है। महिलायें अधिक चिंता या उदासी महसूस कर सकती हैं, या उन्हें सोने में परेशानी हो सकती है।
अपनी भावनाओं के बारे में बात करने से आपके दोस्तों और परिवार को यह समझने में मदद मिल सकती है कि आप किस दौर से गुजर रहीं हैं। यदि आप बहुत उदास या चिंतित महसूस करती हैं , तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
रिश्ते और सेक्स
स्ट्रोक महिलाओं के जीवन में कई तरह से परिवर्तन कर सकता है , कई महिलाओं को अपनी स्वतंत्रता खोने का एहसास हो सकता है, करीबी रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं । यह महसूस करना भी बहुत आम है कि स्ट्रोक के बाद साथी के साथ आपके रिश्ते और यौन जीवन मे भी बदलाब हुए हैं ।
स्ट्रोक के कुछ शारीरिक प्रभाव आपके यौन जीवन को बदल सकते हैं, जैसे मूत्राशय और आंत की समस्याएं, थकान और मांसपेशियों में कमजोरी हालांकि सेक्स से दोबारा स्ट्रोक होने की संभावना बहुत कम है, लेकिन फिर भी आप इसके लिए चिंतित हैं तो आप अपने डॉक्टर से सलाह ले सकती हैं। कई बार स्ट्रोक आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को प्रभावित कर सकता है, जिससे लोगों से बात करना भी कठिन हो सकता है। हालाँकि, कई लोग स्ट्रोक के बाद भी खुश, स्वस्थ रिश्ते बनाते हैं | अगर फिर भी कोई सेक्स से जुड़ी समस्या हो तो डॉक्टर या मनोवैज्ञानिक मदद लेना अच्छा विचार हो सकता है। महिलायें अपने स्वास्थ को बेहतर बनाने के लिए , हार्मोन को संतुलित रखने के लिए और प्रजनन प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए प्रजनस वुमन हेल्थ केपसूल ले सकती हैं
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