हमारा मस्तिष्क शरीर में होने वाली कुल ऑक्सीजन सप्लाई का लगभग पांचवां हिस्सा यानी 20% का इस्तेमाल करता है। वास्तव में, मस्तिष्क जितने सारे काम करता है उन्हें पूरा करने के लिए उसे बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है और इसके लिए, बेहद जरूरी है कि मस्तिष्क को ऑक्सीजन युक्त खून की निरंतर आपूर्ति की होती रहे।
अगर मस्तिष्क को 3 से 4 मिनट तक भी ऑक्सीजन नहीं मिलता तो मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लगती हैं। जब इंसान का मस्तिष्क ऑक्सीजन के बिना रहता है तो उस दौरान हर 1 मिनट में 20 लाख मस्तिष्क कोशिकाओं की मृत्यु होने लगती है। महज कुछ मिनट के भीतर ही मस्तिष्क की इतनी कोशिकाएं मर चुकी होती हैं कि मस्तिष्क को स्थायी नुकसान हो सकता है, मस्तिष्क की मृत्यु (ब्रेन डेड) हो सकती है और यह इंसान की भी मृत्यु का कारण बन सकता है।
स्ट्रोक इन 3 तरीकों से हो सकता है :
- एक - ब्रेन हैमरेज की वजह से आसपास के ऊत्तकों में खून लीक होने लगता है और मस्तिष्क के एक हिस्से में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो जाती है।
- दो - मस्तिष्क को खून की आपूर्ति करने वाली धमनियों में प्लाक के निर्माण के कारण आइस्केमिक स्ट्रोक होता है।
- तीन - गर्दन से होकर गुजरने वाली धमनियों में खून का थक्का जम जाए तो मस्तिष्क को खून की आपूर्ति अवरुद्ध हो जाती है।
आंकड़े बताते हैं कि इस वक्त दुनियाभर में जीवित हर 4 वयस्कों में से 1 को अपने जीवन में कभी न कभी स्ट्रोक होगा। डेटा यह भी दर्शाते हैं कि हर 5 में से 4 ब्रेन स्ट्रोक की घटनाओं को होने से रोका जा सकता है।
(और पढ़ें - ब्रेन स्ट्रोक होने पर क्या करें)
हर साल 29 अक्टूबर को वर्ल्ड स्ट्रोक डे मनाया जाता है। स्ट्रोक, दुनिया भर में विकलांगता और मृत्यु का एक प्रमुख कारण है और इसे देखते हुए विश्व स्ट्रोक संगठन ने स्ट्रोक के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए साल 2006 में इस दिन को सेलिब्रेट करने की शुरुआत की थी। बीमारी की रोकथाम स्ट्रोक डे की थीम है। स्ट्रोक डे के मौके पर हम आपको बता रहे हैं कि आखिर किन लोगों को स्ट्रोक का खतरा अधिक है और इस बीमारी की रोकथाम कैसे की जा सकती है।