दुनियाभर में होने वाली मौतों का एक बड़ा कारण स्ट्रोक है। अमेरिकन स्ट्रोक एसोसिएशन के अनुसार, स्ट्रोक एक ऐसी बीमारी है जिसके कारण मस्तिष्क की धमनियां प्रभावित होती हैं। इस स्थिति में मस्तिष्क तक ऑक्सीजन और पोषक ले जाने वाली धमनियां या तो ब्लॉक हो जाती हैं या फिर फट जाती हैं। मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिल पाने के कारण धीरे-धीरे कोशिकाएं मरने लगती हैं। गंभीर स्थिति में स्ट्रोक के कारण व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
हाल ही में हुए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि मच्छरों के कारण होने वाली दो घातक बीमारियों, जीका और चिकनगुनिया के संयोजन के कारण भी स्ट्रोक का खतरा रहता है। विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि भले ही इस वक्त दुनियाभर में स्वास्थ्य क्षेत्र का ध्यान कोविड-19 के खतरे को दूर करने पर लगा हुआ है, लेकिन ज़ीका और चिकनगुनिया जैसे रोगों से उत्पन्न होने वाले जोखिमों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
स्ट्रोक और वायरल संक्रमण
साल 2013 में जर्नल ऑफ स्ट्रोक में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, भारत के शहरी और ग्रामीण दोनों हिस्सों में स्ट्रोक, मृत्यु और विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। इसके अलावा संक्रामक विकारों को लेकर सााल 2010 में हुए एक अन्य अध्ययन में बताया गया कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हाई कोलेस्ट्रॉल और मोटापे की रोकथाम करके स्ट्रोक के खतरे को कम किया जा सकता है। इनके अलाावा वायरल संक्रमण भी स्ट्रोक के जोखिम कारक के रूप में उभर रहा है।
अध्ययन में बताया गया कि कई प्रकार के वायरसों और स्ट्रोक के बीच गहरा संबंध है। उदाहरण के लिए चिकनपॉक्स और दाद को जन्म देने वाला वैरिकाला-जोस्टर वायरस (वीजेवी), ह्यूमन इम्यूनोडेफीसिअन्सी वायरस (एचआईवी) और साइटोमेगालोवायरस (सीएमवी) भी स्ट्रोक का कारण बन सकता है। चूंकि, ये सभी वायरस सीधे मस्तिष्क की धमनियों पर आक्रमण करते हैं, जिससे रक्त का थक्का बनने, एम्बोलिम्स और रक्त वाहिकाओं के टूटने का खतरा रहता है, ऐसी स्थितियां स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाती हैं।
वायरल संक्रमण और स्ट्रोक के संबंधों की पुष्टि जुलाई 2020 में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में भी की गई है। जामा न्यूरोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया कि कोविड19 संक्रमित लोगों में इस्लेहम स्ट्रोक का खतरा बहुत अधिक होता है। इसी कड़ी में द लांसेट न्यूरोलॉजी में प्रकाशित एक नए अध्ययन ने नया अध्याय जोड़ा है। अध्ययन के मुताबिक जीका और चिकनगुनिया जैसे मच्छर जनित वायरस भी स्ट्रोक को ट्रिगर कर सकते हैं।
जीका और चिकनगुनिया से स्ट्रोक का खतरा
द लांसेट न्यूरोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया कि दुनिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अर्बोवायरस बहुत आम है। ब्राजील और भारत जैसे देशों में मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया और जीका जैसे रोग एक साथ फैलते हैं। वहीं लैटिन अमेरिका में, जीका और चिकनगुनिया का प्रकोप इम्यून मेडिकेटेड और तंत्रिका संबंधी रोगों में वृद्धि के साथ जुड़ा हुआ है।
शोधकर्ताओं ने 2014 और 2016 के बीच 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के 1,410 वयस्कों के साथ एक अध्ययन किया। इन वयस्कों में अक्यूट न्यूरोलॉजिकल रोग के साथ और अर्बोवायरल संक्रमण हिस्ट्री का संदेह था। शोधकर्ताओं ने इन लोगों में जीका, चिकनगुनिया या डेंगू संक्रमण का पता लगाने के लिए इनके सीरम में वायरल आरएनए या विशिष्ट इम्युनोग्लोबुलिन एम एंटीबॉडी की जांच की। इनमें से 201 रोगियों में अर्बोवायरस का संक्रमण भी पाया गया। इन 201 में से लगभग 148 रोगियों में अर्बोवायरल संक्रमण की पुष्टि हुई, 98 में से एक में ही संक्रमण के लक्षण देखने को मिले। परीक्षण के दौरान इन 148 में से 41 में जीका, 55 को चिकनगुनिया, दो को डेंगू और 50 में जीका और चिकनगुनिया के दोहरे संक्रमण की पुष्टि हुई। इन सभी अर्बोवायरल रोगियों में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सीएनएस) और पेरिफिरल तंत्रिका तंत्र (पीएनएस) संबंधित रोगों की विस्तृत श्रृंखला देखी गई।
चिकनगुनिया के ज्यादातर मामले सीएनएस बीमारी जैसे कि माइलाइटिस (रीढ़ की हड्डी की सूजन जो मस्तिष्क और शरीर के बाकी हिस्सों के बीच संबंध को बाधित कर सकती है) आदि से जुड़े होते हैं। जबकि जीका का संक्रमण पीएनएस रोग जैसे गुइलेन-बर्रे सिंड्रोम (यह एक ऑटोइम्यून विकार जहां प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ तंत्रिका कोशिकाओं पर हमला कर देती है, इसके कारण पक्षाघात की समस्या हो सकती है) से जुड़ा होता है। ज़ीका-चिकनगुनिया के दोहरे संक्रमण वाले कुल आठ रोगियों को स्ट्रोक का सामना करना पड़ा।
इस अध्ययन से स्पष्ट होता है कि जीका और चिकनगुनिया के कारण स्ट्रोक का खतरा रहता है। वहीं जिन लोगों को जीका और चिकनगुनिया का दोहरा संक्रमण हो जाता है, उनमें खतरा और अधिक बढ़ जाता है। इसी को देखते हुए शोधकर्ताओं ने आगाह किया है कि स्वास्थ्य महकमे को मौजूदा समय में कोविड-19 के साथ जीका और चिकनगुनिया जैसे अन्य वायरल संक्रमणों से उत्पन्न होने वाले जोखिमों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।