स्लीप-रिलेटेड इटिंग डिसऑर्डर - Sleep-Related Eating Disorders in Hindi

Dr. Anurag Shahi (AIIMS)MBBS,MD

December 16, 2020

January 31, 2024

स्लीप-रिलेटेड इटिंग डिसऑर्डर
स्लीप-रिलेटेड इटिंग डिसऑर्डर

स्लीप-रिलेटेड इटिंग डिसऑर्डर क्या है?
स्लीप रिलेटेड इटिंग डिसऑर्डर या नींद में खाना खाने की बीमारी एक गंभीर समस्या है जो कि नींद के दौरान खाने या पीने से जुड़े व्यवहार में परिवर्तन के कारण होती है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति नींद में होते हुए भी खाना खाता है और उसपर व्यक्ति का नियंत्रण नहीं होता है। हैरानी की बात है कि व्यक्ति इस बात से पूरी तरह से अंजान रहता है कि उसे ऐसी कोई बीमारी भी है। कुछ मामलों में उस आंशिक रूप में इस बात का आभास होता है। इसके साथ ही स्लीप रिलेटेड इटिंग डिसऑर्डर जोखिम भरा भी हो सकता है, वह इसलिए क्योंकि व्यक्ति खाना बनाते समय खुद को घायल कर सकता है या फिर जहरीला या विषाक्त पदार्थ खा सकता है। इसके अलावा अधिक कार्बोहाइड्रेट और उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थ खाने से वजन बढ़ने और मोटापे का भी खतरा है, जिससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है।

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स्लीप रिलेटेड इटिंग डिसऑर्डर के लक्षण - Sleep-Related Eating Disorders Symptoms in Hindi

नींद से संबंधित खाने का विकार एक पैरासोमनिया है। इसमें नींद में असामान्य गतिविधि या व्यवहार, नींद में चलना जैसे लक्षण नजर आते हैं। स्लीप रिलेटेड इटिंग डिसऑर्डर की समस्या आमतौर पर शुरुआती नींद (आधी नींद से पहले) में ही होती है। स्लीप रिलेटेड इटिंग डिसऑर्डर के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं -

  • बार-बार होने वाली घटनाएं, आमतौर पर रात में खाने-पीने से जुड़ी, जिन पर नियंत्रण में ना हो
  • खाना बनाते और खाते समय खुद की चेतना पर नियंत्रण ना होना
  • अगली सुबह खाने से जुड़ी कुछ बातें या बिल्कुल भी याद ना होना
  • हाई कार्बोहाइड्रेट और उच्च वसा वाले भोजन का सेवन
  • संभावित रूप से खाने की खतरनाक गतिविधियों में चोट या उलझने का अनुभव करना
  • रात के खाने से आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव का अनुभव होना

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स्लीप-रिलेटेड इटिंग डिसऑर्डर का कारण - Sleep-Related Eating Disorders Causes in Hindi

स्लीप रिलेटेड इटिंग डिसऑर्डर से जुड़ी घटनाएं आमतौर पर सोते वक्त रात के पहले आधे हिस्से (आधी रात से पहले) में देखने को मिलती हैं, जब व्यक्ति नॉन-रैपिड आई मूवमेंट की अवस्था में होता है। रात्रि के इस पहले पहर में व्यक्ति नॉन-रैपिड आई मूवमेंट और उत्तेजना (कार्य करने के लिए तैयार रहना) के बीच की अवस्था में होता है। हालांकि, ऐसा क्यों होता है इसका सटीक कारण ज्ञात नहीं है, लेकिन स्लीप रिलेटेड इटिंग डिसऑर्डर अक्सर उन लोगों में होता है जिनका पहले से नींद में चलने से जुड़ा कोई पुराना इतिहास रहा हो। इसलिए ये स्थितियां संबंधित हो सकती हैं।

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स्लीप-रिलेटेड इटिंग डिसऑर्डर का निदान - Diagnosis of Sleep-Related Eating Disorders in Hindi

स्लीप रिलेटेड इटिंग डिसऑर्डर का निदान अलग-अलग प्रक्रिया के तहत किया जा सकता है, जैसे - 

शारीरिक जांच पड़ताल

  • आपका डॉक्टर नींद से संबंधित खाने के विकार के संभावित मुख्य कारणों का पता लगाने के लिए आपके चिकित्सा इतिहास के बारे में सवाल पूछता है।
  • नींद की आदतों की समीक्षा की जा सकती है। वहीं, डॉक्टर आपके सोने-जागने के पैटर्न और दिन के समय सोने से संबंधित आदतों के बारे में जानने के लिए आपसे एक प्रश्नावली का उत्तर देने के लिए कह सकता है। (और पढ़ें - आयुर्वेद के अनुसार दिन में सोना अच्छा है या बुरा)
  • आपको कुछ सप्ताह के लिए नींद संबंधी डायरी रखने के लिए भी कहा जा सकता है, जिसमें नींद से जुड़ी जानकारी हो। आपके पति या पत्नी, माता-पिता या घर के अन्य सदस्यों से मिली जानकारी मददगार हो सकती है।

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नींद का अध्ययन
आपका डॉक्टर संभावित रूप से पॉलीसोम्नोग्राफी नामक एक वीडियो-रिकॉर्डेड स्लीप स्टडी का सुझाव देगा। इस टेस्ट में नींद के दौरान मस्तिष्क की तरंगों, श्वास, दिल की धड़कन, आंखों की गतिविधियों सहित नींद के दौरान शरीर की गतिविधियों को रिकॉर्ड किया जाता है।

स्लीप-रिलेटेड इटिंग डिसऑर्डर का इलाज - Sleep-Related Eating Disorders Treatment in Hindi

स्लीप रिलेटेड इटिंग डिसऑर्डर का उपचार एक साक्षात्कार (इंटरव्यू) से शुरू होता है। इसके लिए आपको एक स्लीप लैब में पूरी रात के लिए ठहरना पड़ सकता है जहां रात के दौरान आपके मस्तिष्क की गतिविधियों को मॉनिटर किया जाता है। वहीं, कभी-कभी इस तरह के डिसऑर्डर के लिए दवाएं भी सहायक हो सकती हैं। लेकिन नींद की गोलियों के सेवन से बचना चाहिए, क्योंकि यह भ्रमित करने का काम करती हैं, जिससे कुछ जोखिम भरी घटनाओं को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा, तनाव और चिंता को कम करके भी इस डिसऑर्डर को ठीक किया जा सकता है। इसके लिए आप तनाव मैनेजमेंट की ट्रेनिंग लें और शराबकैफीन का सेवन सीमित करें।

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स्लीप रिलेटेड इटिंग डिसऑर्डर और नाइट इटिंग डिसऑर्डर में अंतर? - What is the Difference Between Sleep Related Eating Disorder and Night Eating Disorder in Hindi

स्लीप रिलेटेड इटिंग डिसऑर्डर, रात में असामान्य रूप से खाने के पैटर्न से जुड़ा है। हालांकि, यह स्लीपवॉकिंग (नींद में चलना) जितना सामान्य नहीं है। इस विकार से पीड़ित लोग अक्सर नींद में होते हुए खाना खाते हैं। वे रसोई में चलकर जाते हैं और बिना याद रखे, खाना तैयार करते हैं। लेकिन यह कुछ हद तक नाइट इटिंग सिड्रोम (एनईएस) से मिलता जुलता है। एनईएस का निदान तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति पूरे होशो-हवास (जागते हुए) के साथ रात में खाना खाता है और जब तक वो दोबारा खाना नहीं खाता तब तक उसे नींद नहीं आती।



स्लीप-रिलेटेड इटिंग डिसऑर्डर के डॉक्टर

Dr. Narayanan N K Dr. Narayanan N K एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
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