रैपाडिलीनो सिंड्रोम क्या है?
RAPADILINO सिंड्रोम एक दुर्लभ बीमारी है, जिसमें शरीर के कई हिस्सों पर असर होता है। विशेष रूप से हड्डियों का विकास प्रभावित होता है। RAPADILINO सिंड्रोम से ग्रस्त ज्यादातर लोगों के फोरआर्म (कोहनी और कलाई के बीच का हिस्सा) और अंगूठे में हड्डियों का विकास सही से नहीं हो पाता है, जिसे 'रेडियल रे मैलफॉर्मेशन' के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा नीकैप (पटेला) अविकसित या अनुपस्थित भी हो सकती है। अन्य विशेषताओं की बात करें, तो इसमें क्लेफ्ट पैलेट (फांक तालू), लंबी व पतली नाक और ज्वॉइंट डिस्लोकेट (जोड़ खिसक जाना) होना शामिल है।
RAPADILINO सिंड्रोम से ग्रस्त कई शिशुओं को दूध पीने में दिक्कत और उल्टी व दस्त जैसी समस्या भी हो सकती है। हड्डियों का विकास और फीडिंग से संंबंधित समस्याओं का कॉम्बिनेशन प्रभावित व्यक्तियों के विकास को धीमा करता है और उनका कद छोटा रह जाता है।
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RAPADILINO सिंड्रोम वाले कुछ व्यक्तियों की त्वचा पर हल्के भूरे रंग के चकत्ते पड़ सकते हैं। हालांकि, यह नुकसानदायक नहीं होते हैं। इसके अलावा RAPADILINO सिंड्रोम वाले लोगों में हड्डियों का कैंसर (ओस्टियोसारकोमा) या रक्त कैंसर (लिम्फोमा) विकसित होने का भी जोखिम होता है। RAPADILINO सिंड्रोम वाले व्यक्तियों में, ऑस्टियोसारकोमा ज्यादातर बचपन या किशोरावस्था में विकसित होता है, जबकि लिम्फोमा आमतौर पर युवाओं में विकसित होता है।
RAPADILINO सिंड्रोम के विभिन्न संकेत और लक्षण अन्य विकारों के लक्षणों के साथ ओवरलैप करते हैं जैसे बैलर-गेरोल्ड सिंड्रोम और रोथमंड-थॉमसन सिंड्रोम। इन सिंड्रोमों की विशेषताओं में रेडियल रेय डिफेक्ट, स्केलेटल यानी कंकाल संबंधित असामान्यताएं और विकास धीमा होना शामिल हैं। ये सभी स्थितियां एक ही जीन में गड़बड़ी के कारण हो सकती हैं। इन समानताओं के आधार पर, शोधकर्ता इस बात की जांच कर रहे हैं कि बैलर-गेरोल्ड सिंड्रोम, रोथमंड-थॉमसन सिंड्रोम और रैपिडिलिनो सिंड्रोम अलग-अलग विकार हैं या किसी एक सिंड्रोम के यह सभी भाग हैं।
इस सिंड्रोम की पहचान पहली बार फिनलैंड में हुई थी, जहां 75,000 व्यक्तियों में अनुमानित किसी एक को यह समस्या होती है। हालांकि, यह अन्य क्षेत्रों में भी पाया गया है।
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