संभोग के दौरान समय से पूर्व ही वीर्य का स्खलित हो जाना शीघ्र स्खलन कहलाता है। पुरुषों में होने वाली यौन समस्याओं में शीघ्र स्खलन सामान्य है। आंकड़ों के अनुसार, दुनिया में 18 से 59 साल के तीन में से एक पुरुष शीघ्र स्खलन का अनुभव करते हैं। शीघ्र स्खलन के कारण तनाव, चिंता, शर्मिंदगी और अवसाद जैसी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है। शीघ्र स्खलन के इलाज में काउंसलिंग से मदद मिल सकती है।
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आयुर्वेद के अनुसार वात का बढ़ना शीघ्र स्खलन का प्रमुख कारण है इसलिए आयुर्वेद में इसे शुक्रघात वात भी कहा जाता है। पंचकर्म थेरेपी में से विरेचन, बस्ती (एनिमा), पिझिचिल (तेल मालिश) और स्नेहपान (तेल या घी का पान) यौन स्वास्थ्य को सुधारने एवं शीघ्र स्खलन का इलाज करने में मदद करती हैं। प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार लाने और शीघ्र स्खलन को नियंत्रित करने के लिए अश्वगंधा तथा जातिफल जैसी जड़ी बूटियों के साथ आयुर्वेदिक मिश्रण नरसिम्हा चूर्ण का इस्तेमाल किया जाता है।
ताजे फल और सब्जियों के सेवन, शराब एवं धूम्रपान से दूरी, सफेद आटे और सफेद चीनी का इस्तेमाल बंद करके शीघ्रपतन की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा जीवनशैली में कुछ अन्य बदलाव कर के भी शीघ्रपतन के साथ-साथ संपूर्ण सेहत में सुधार लाया जा सकता है।