परिचय:
फेफड़ों के रोग दुनिया की सबसे आम मेडिकल समस्याओं में से एक हैं। अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), सिस्टिक फाइब्रोसिस, फेफड़ों का कैंसर और निमोनिया फेफड़ों के रोग के कुछ प्रकार हैं। जब फेफड़े रोग ग्रस्त हो जाते हैं, तो ये कार्बन डाइऑक्साइड निकालने और पर्याप्त ऑक्सीजन ग्रहण करने का काम ठीक से नहीं कर पाते।
फेफड़ों के रोग में कई लक्षण पैदा हो जाते हैं जिनमें गंभीर खांसी, सांस फूलना, अधिक बलगम बनना, घरघराहट होना, छाती में दर्द और यहां तक कि बलगम में खून आना आदि लक्षण शामिल हैं।
यदि फेफड़ों के रोग के शुरुआती लक्षणों का पता लगा लिया जाए, तो समस्या गंभीर व जीवन के लिए घातक होने से पहले इसका उचित उपचार किया जा सकता है। फेफड़ों को कुछ प्रकार के रोगों से बचाव करना संभव है, हालांकि फेफड़ों के कुछ ऐसे रोग भी हैं, जिनसे बचाव नहीं किया जा सकता। फेफड़ों के रोग होने से बचाव व फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं, जैसे धूम्रपान छोड़ना और वायु प्रदूषण से बचना आदि। नियमित रूप से व्यायाम करने से भी फेफड़े स्वस्थ रहते हैं।
फेफड़ों के रोग के प्रकार के आधार पर ही उसका इलाज किया जाता है। इसके इलाज में ब्रांकोडायलेटर दवाएं, कोर्टिकोस्टेरॉयड और ऑक्सीजन थेरेपी आदि शामिल हैं। कुछ अधिक गंभीर स्थितियों में ऑपरेशन करवाने की आवश्यकता भी पड़ सकती है, जिसकी मदद से कई बार फेफड़ों का प्रत्यारोपण (Lung transplant) करवाना पड़ जाता है। फेफड़ों के रोग होने से श्वसन तंत्र खराब होने जैसी कुछ गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं। इन रोगों से मरीज अपंग हो जाता है और उसकी समय से पहले ही मृत्यु होने का खतरा बढ़ जाता है।
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