कनाडा के एक युवक को हुई बीमारी विश्व में वेप के कारण हुई पॉपकॉर्न लंग डिजीज का सबसे पहला मामला माना जा रहा है। पॉपकॉर्न लंग जैसी स्थिति अभी तक केवल डाईसेटिल केमिकल इंडस्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों में ही देखी जाती थी, क्योंकि वह माइक्रोवेव पॉपकॉर्न की पैकेजिंग में इसका इस्तेमाल करते हैं।
कनाडा के 17 वर्षीय युवक को लगातार वेपिंग के कारण यह बीमारी हुई है। कैनेडियन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक 6 डॉक्टरों की टीम ने ऑनटेरियों के लंदन शहर में युवक का इलाज किया। डॉक्टरों ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति डाईसेटिल नाम के केमिकल को इन्हेल करता है उसे श्वासनलिकाशोथ (ब्रोंकियोलाइटिस) हो सकता है, जिसमें व्यक्ति के फेफड़ों के छोटे वायुमार्गों में सूजन व रुकावट पैदा हो जाती है।
वेपिंग कैसे काम करती है
हम सभी धूम्रपान के बारे में तो जानते ही हैं, इसमें सूखा और कटा हुआ तंबाकू एक कागज की ट्यूब में भरा जाता है। इसके बाद इसे एक तरफ से जलाकर दूसरी तरफ से कस लगाया जाता है और धुएं को अंदर तक खिंचा जाता है। हालांकि, वेपिंग इससे थोड़ी मुश्किल होती है, क्योंकि इसके लिए बिजली का इस्तेमाल किया जाता है। वेपिंग में एक डिवाइस (वेप पेन या वेप मोड) अपने कार्ट्रिज के अंदर वोलेटाइल तरल पदार्थ को गर्म करता है जिसे व्यक्ति इन्हेल करता है।
17 वर्षीय युवक ने लगातार 5 महीने तक रोजाना वेप का इस्तेमाल किया था, जिसके कारण वह खांसी और बुखार से पीड़ित हो गया। जब उसका परीक्षण कराया गया तो डॉक्टरों ने पाया की युवक पॉपकॉर्न लंग डिजीज से ग्रस्त है। उसे 47 दिन तक आईसीयू में रखा गया। इस स्थिति में आमतौर पर डबल लंग ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है, लेकिन युवक को इसकी जरूरत नहीं पड़ी। यह रोग वेप के कारण होने वाला एक नए प्रकार का रोग है।
इस केस पर की गई स्टडी कैनेडियन मेडिकल जर्नल एसोसिएशन में छपी है। जहां इस रोग के कारण, प्रकार और इलाज के बारे में जानकारी दी गई है। इस स्टडी के शोधकर्ताओं का कहना है कि यह जानलेवा घातक ब्रोंकियोलाइटिस का मामला उनकी टीम के लिए एक नई चिकित्सीय चुनौती थी।
क्या है पॉपकॉर्न लंग
इस रोग का मुख्य कारण डाईसेटिल नाम का एक केमिकल होता है। यह आमतौर पर उन कर्मचारियों को होता है जो पॉपकॉर्न पैकेजिंग कंपनियों में काम करते हैं, इसीलिए इसका नाम पॉपकॉर्न लंग रखा गया। हालांकि, कई कंपनियों ने इस केमिकल का उपयोग बंद कर दिया है, लेकिन फ्लेवर सिगरेट के कारण भी यह रोग हो सकता है।
अन्य रसायनों से भी हो सकता है पॉपकॉर्न लंग :
- मेटल ऑक्साइड धुएं (वेल्डिंग का एक सामान्य बायप्रोडक्ट)
- फॉर्मेल्डिहाइड (एक कैंसर पैदा करने वाला रसायन है, जिसका उपयोग ग्लू और कुछ निर्माण सामग्री में किया जाता है)
- सल्फर डाइऑक्साइड
- अमोनिया
- क्लोरीन
- नाइट्रोजन ऑक्साइड
- हाइड्रोक्लोरिक एसिड
- सल्फर मस्टर्ड, (एक रासायनिक हथियार जिसे "मस्टर्ड गैस" के रूप में जाना जाता है)
डॉक्टर का क्या कहना है
डॉक्टरों के मुताबिक इस स्थिति के शुरुआती लक्षणों में बुखार, खांसी, सांस फूलने, सोते समय पसीना आना और वजन कम होना शामिल हैं। यदि इसका जल्दी टेस्ट न करवाया जाए तो यह स्थिति काफी गंभीर रोग का भी रूप ले सकती है। पॉपकॉर्न लंग का फिलहाल कोई इलाज नहीं है। हालांकि, इसके इलाज में पॉपकॉर्न लंग जिस केमिकल के संपर्क में आने के कारण हुआ होता है, उसे निकाल दिया जाता है। इससे इस रोग को ठीक तो नहीं किया जा सकता, लेकिन और बढ़ने से रोक दिया जाता है।
हो सकता है डॉक्टर आपके लक्षणों के आधार पर आपको दवा लेने की सलाह दें। पॉपकॉर्न लंग से ग्रस्त कई लोगों को लंग ट्रांसप्लांट कराने की जरूरत पड़ सकती है। अगर इसका इलाज नहीं करवाया जाए तो यह कुछ मामलों में घातक साबित हो सकता है।