लिवर शरीर का पावरहाउस होता है, जो शरीर के 500 से अधिक कामों को पूरा करने में मदद करता है. यह शरीर का सबसे बड़ा आंतरिक अंग होता है, जो पेट के ऊपरी-दाहिने हिस्से में स्थित है. लिवर की मदद से ब्लड से विषाक्त पदार्थों को फिल्टर किया जाता है, यह पित्त नामक पाचक एंजाइम पैदा करता है, इसकी मदद से विटामिन और मिनरल भंडार होता है. इसके अलावा, लिवर के कई अनगिनत फायदे हैं. ऐसे में सवाल यह है कि क्या लिवर के बिना जीवन संभव हो सकता है? अगर लिवर न हो तो क्या होगा?

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आज इस लेख में आप जानेंगे कि लिवर के बिना जीवन संभव है या नहीं -

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  1. क्या बिना लिवर जिया जा सकता है?
  2. लिवर का काम क्या है?
  3. सारांश
क्या बिना लिवर के जीवन संभव है? के डॉक्टर

नहीं, बिना लिवर के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है. हालांकि, कुछ लोग ऐसे लिवर के साथ जिंदा रह सकते हैं, जो ठीक तरीके से काम नहीं करता है, लेकिन बिना इसके जीवन संभव नहीं है. किसी भी व्यक्ति का जिंदा रहना इस बात पर निर्भर करता है कि लिवर कितना डैमेज हुआ है, इसका कारण क्या है और व्यक्ति का संपूर्ण स्वास्थ्य कैसा है.

2017 में हुए एक अध्ययन के मुताबिक, नॉन-एल्कोहल फैटी लिवर डिजीज एक सामान्य लिवर डिजीज है. इस लिवर डिजीज की वजह से लाइफ की औसतन आयु 4 वर्ष कम हो सकती है. इसके विपरीत लिवर सिरोसिस गंभीर लिवर डिजीज व्यक्ति के जीने की क्षमता को काफी हद तक प्रभावित करता है.

लिवर डैमेज होने का यह बिल्कुल मतलब नहीं होता है कि व्यक्ति का लिवर फेल हो गया है. किसी भी व्यक्ति का लिवर तब फेल होता है, जब लिवर पूरी तरह से कार्य करना बंद कर दे. लिवर फेल होने पर व्यक्ति आमतौर पर बिना उपचार के 1 से 2 दिन तक ही जीवित रह सकता है.

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लिवर शरीर का काफी बड़ा और गहरे लाल रंग का अंग होता है. यह पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में स्थित होता है. लिवर मुख्य रूप से खाने को पचाने और पोषक तत्वों को अवशोषित करने का कार्य करता है. इसके अलावा, शरीर के कई कार्य पूरा करने में लिवर मददगार होता है, जो निम्न प्रकार से हैं -

पित्त का उत्पादन

पित्त ऐसा पदार्थ है, जो शरीर को पोषक तत्वों (मुख्य रूप से फैट) को अवशोषित करने और तोड़ने में मदद करता है. यह शरीर को हानिकारक तत्वों से छुटकारा दिलाने में भी मददगार होता है. 

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विटामिन के मेटाबॉलिजिंग में करे मदद

लिवर विटामिन-ई और विटामिन-ए जैसे घुलनशील पोषक तत्वों का मेटाबॉलिजिंग और भंडारण करने में मददगार हो सकता है. 

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डिटॉक्सिफिकेशन

शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में लिवर मददगार होता है. इसके अलावा, यह शरीर में मौजूद शराब व ड्रग्स इत्यादि को तोड़ने में मदद कर सकता है.

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बिलीरुबिन को करे मेटाबोलाइज

लिवर हमारे रेड ब्लड सेल्स में मौजूद हीम को बिलीवरडीन नामक हरे रंग के यौगिक में परिवर्तित करके फिर उसे बिलीरुबिन नामक एक पीले-लाल यौगिक में परिवर्तित करता है. लिवर फेल होने पर या फिर लिवर डिजीज होने पर शरीर में अतिरिक्त बिलीरुबिन जमा हो जाता है, जिसकी वजह से स्किन पीली नजर आती है, जिसे पीलिया कहा जाता है.

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शरीर के अन्य कार्य में मददगार

लिवर शरीर के अन्य कार्यों को भी प्रभावित करता है, जैसे- यह थायराइड हार्मोन को संतुलित करना, प्रोटीन संश्लेषण करना, रेल ब्लड सेल्स का टूटना इत्यादि लिवर पर निर्भर करता है. 

ऐसे में जब लिवर शरीर में ठीक तरह से कार्य नहीं करता है, तो विषाक्त पदार्थ रक्त में जमा हो सकते हैं. इस स्थिति में शरीर के अन्य अंगों को नुकसान पहुंच सकता है.

लिवर डिजीज से ग्रसित व्यक्ति को कुछ पोषक तत्वों को पचाने और अवशोषित करने में परेशानी होती है. इसके अतिरिक्त शरीर में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ने से ब्लड फ्लो में भी समस्या उत्पन्न होती है. लिवर डिजीज के निम्न लक्षण हो सकते हैं -

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लिवर के बिना जीवन संभव नहीं हो सकता है. हालांकि, लिवर सही तरीके से कार्य न करे, तो समय पर इसका इलाज कराकर व्यक्ति को स्वस्थ रखा जा सकता है, लेकिन अगर लिवर पूरी तरह से फेल हो जाए, तो व्यक्ति को बिना इलाज के 1 से 2 दिन से अधिक जीवित नहीं रखा जा सकता है. ऐसे में अगर लिवर डिजीज के लक्षण नजर आएं, तो तुरंत एक्सपर्ट से सलाह लें, ताकि समय पर इलाज किया जा सके और लिवर फेलियर के जोखिमों को कम किया जा सके.

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