मानव शरीर में लिवर सबसे बड़ी ग्रंथि होती है। यह पाचन और चयापचय का कार्य करता है, इसके अलावा यह शरीर से हानिकारक या विषाक्त पदार्थों से लड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, यह बात अलग है कि आधुनिक जीवनशैली के दुष्प्रभाव यानी अनियमित और असमय खान-पान, जंक फूड व शराब की बढ़ती खपत के कारण दुनियाभर में बहुत से लोग लिवर से संबंधित बीमारियों से जूझ रहे हैं और यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों से पता चला है कि 2017 में, भारत में हुई कुल मौतों का 10वां सबसे बड़ा कारण लिवर से जुड़ी परेशानियां थीं। वर्तमान में प्रत्येक पांच में से एक भारतीय लिवर की समस्या से ग्रसित है।
विश्व स्तर पर, गैर-अल्कोहल फैटी लिवर रोग में भी तेजी आई है। संयुक्त यूरोपीय गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि लगभग 75 फीसद मोटे व्यक्तियों में फैटी लिवर होता है, जो लिवर की समस्याओं के सबसे बड़े कारणों में से एक है।
फैटी लिवर और हेपेटाइटिस जैसी लिवर की बीमारियां लोगों को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करती हैं। जबकि विभिन्न प्रकार के लिवर रोगों के लिए विभिन्न प्रकार के चिकित्सा उपचार भी उपलब्ध हैं। डॉक्टर हमेशा एक स्वस्थ जीवन शैली जीने की सलाह देते हैं। वे लिवर से जुड़ी बीमारियों के लक्षणों को रोकने और उन्हें प्रबंधित करने के लिए नियमित व्यायाम करने के लिए भी सुझाव देते हैं।
जो किसी भी बीमारी से ग्रस्त हैं उनके लिए नियमित रूप से व्यायाम करना कभी आसान नहीं होता है, लेकिन शारीरिक गतिविधियों को करने से न सिर्फ तन अच्छा रहता है, बल्कि मन भी सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। ध्यान रहे, जो बिगनर्स हैं, यानी व्यायाम शुरू करने वाले हैं या हाल ही में शुरू किया है, उन्हें धीमी शुरुआत करने की जरूरत होती है। ऐसे में बेहतर होता है कि प्रशिक्षित चिकित्सक की मदद लें और सावधानी व नियमित रूप से व्यायाम को अपने रूटीन में शामिल करें। इसके विपरीत स्वस्थ व्यक्ति के लिए व्यायाम करना आसान हो सकता है, लेकिन उन्हें भी कम तीव्रता पर व्यायाम की शुरुआत करनी चाहिए।
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