हेट्रोक्रोमिया इरिडम - Heterochromia Iridum in Hindi

written_by_editorial

September 09, 2020

December 20, 2023

हेट्रोक्रोमिया इरिडम
हेट्रोक्रोमिया इरिडम

किसी व्यक्ति की आंखों के रंग में अंतर को हेट्रोक्रोमिया के नाम से जाना जाता है। सामान्य रूप से हेट्रोक्रोमिया के कारण कोई समस्या नहीं होती है। आंखों के निर्माण के दौरान किसी प्रकार के दोष अथवा माता-पिता से मिले जीन के कारण आंखों के रंगों में भिन्नता देखने को मिल सकती है। वहीं जिन लोगों को सेंट्रल हेट्रोक्रोमिया की शिकायत होती है, उनके एक आंख के भीतर ही अलग-अलग रंग होते हैं। कुछ दुर्लभ मामलों में यह किसी रोग के लक्षण के रूप में भी सामने आ सकता है। कई प्रकार के जानवरों में हेट्रोक्रोमिया की स्थिति आम है। हालांकि, मनुष्यों में यह एक दुर्लभ स्थिति है। अमेरिका में करीब दो लाख लोग हेट्रोक्रोमिया से प्रभावित हैं।

हेट्रोक्रोमिया को इसके शाब्दिक अर्थ से और आसानी से समझा जा सकता है। हेट्रोक्रोमिया ग्रीक भाषा का शब्द है। यहां हेट्रोस का मतलब अलग जबकि क्रोमा का अर्थ रंग से है। यानी अलग-अलग रंग। आंखों के अलग-अलग रंगों की स्थिति को हेट्रोक्रोमिया इरडिस या हेट्रोक्रोमिया इरडिम के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो इंसानों में हेट्रोक्रोमिया इरडिस के कारण कोई नुकसान नहीं होता है, फिर भी यह किन कारणों से हो रहा है यह जानना जरूरी है। नेत्र विशेषज्ञ की मदद से इस स्थिति का निदान कर कारणों के बारे में जाना जा सकता है। अंतर्निहित कारणों को ठीक करके इस स्थिति का इलाज किया जा सकता है।

इस लेख में हम हेट्रोक्रोमिया इरडिस के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में जानेंगे।

हेट्रोक्रोमिया के प्रकार - Types of Heterochromia Iridum in hindi

हेट्रोक्रोमिया मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है।

सेंट्रल हेट्रोक्रोमिया

आंख की एक ही पुतली में अलग-अलग रंग होने की स्थिति को सेंट्रल हेट्रोक्रोमिया के नाम से जाना जाता है। इस स्थिति में पुतली का बाहरी रिंग एक रंग का जबकि आंतरिक रिंग दूसरे रंग का हो जाता है। जिन लोगों की पुतलियों में मेलेनिन का स्तर कम होता है उनमें सेंट्रल हेट्रोक्रोमिया हो सकता है।

संपूर्ण हेट्रोक्रोमिया

दोनों आंखों के रंग का अलग-अलग होना कंप्लीट हेट्रोक्रोमिया के नाम से जाना जाता है। ऐसे लोगों के एक आंख का रंग भूरा जबकि दूसरे का रंग नीला हो सकता है।

सेक्टोरल हेट्रोक्रोमिया

जिन लोगों को सेक्टोरल हेट्रोक्रोमिया की समस्या होती है, उनमें पुतली का एक हिस्सा अन्य हिस्सों से अलग रंग का होता है। यह आंखों में एक धब्बे के रूप में दिखाई देता है। इस स्थिति को पार्शियल हेट्रोक्रोमिया के नाम से भी जाना जाता है।

हेट्रोक्रोमिया के लक्षण - Heterochromia symptoms in hindi

हमारी आंखों की पुतलियों को मेलेनिन नामक पिगमेंट की सहायता से रंग मिलता है। इसी के कारण आंखों का रंग नीला, हरा, भूरा आदि हो सकता है। मेलेनिन की कमी के कारण आंखों का रंग हल्का, जबकि अधिकता के कारण आंखों का रंग गहरा दिखाई देता है। आंखों के रंग का अलग-अलग होना ही हेट्रोक्रोमिया का प्रमुख लक्षण होता है। यदि व्यक्ति में किसी प्रकार के अंतर्निहित कारणों का निदान होता है तो उसमें उस रोग के आधार पर लक्षण नजर आ सकते हैं।

हेट्रोक्रोमिया का कारण - Heterochromia causes in hindi

हेट्रोक्रोमिया के ज्यादातर मामले जन्मजात होते हैं। इस तरह के हेट्रोक्रोमिया को जेनेटिक हेट्रोक्रोमिया के नाम से जाना जाता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक मनुष्यों में हेट्रोक्रोमिया के अधिकांश मामले साधारण और बिना किसी अंतर्निहित असामान्यता के दिखाई देते हैं।

'जेनेटिक एंड रेयर डिजीज इंफारमेशन सेंटर' के मुताबिक आंख में हेट्रोक्रोमिया के अधिकांश मामले बिना किसी पारिवारिक इतिहास के देखने को मिल सकते हैं। हालांकि, आनुवंशिक हेट्रोक्रोमिया के कुछ मामले कई प्रकार की बीमारियों और सिंड्रोम से जुड़े हो सकते हैं।

  • ब्लोच-सल्जबर्जर सिंड्रोम
  • बॉर्नविले डिजीज
  • हिर्स्चस्प्रुंग डिजीज
  • हॉर्नस सिंड्रोम
  • पैरी-रोमबर्ग सिंड्रोम
  • स्टर्गे-वेबर सिंड्रोम
  • वेर्डनबर्ग सिंड्रोम

किसी बीमारी, चोट या दवा के कारण जब लोगों को हेट्रोक्रोमिया की दिक्क्त आती है, उस स्थिति को एक्वायर्ड हेट्रोक्रोमिया के नाम से जाना जाता है। आनुवंशिक कारणों की अपेक्षा यह स्थिति बहुत ही कम देखने को मिलती है। यह निम्न कारणों से हो सकता है।

  • डायबिटीज

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  • आंखों की सर्जरी
  • ग्लूकोमा
  • आंखों में चोट
  • आइरिस एक्ट्रोपियन सिंड्रोम
  • पिगमेंट डिस्पर्सियन सिंड्रोम
  • आंखों में सूजन
  • पु​तली में चोट।

इसके अलावा ग्लूकोमा के इलाज के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले एक दवा लैटोनोप्रोस्ट के कारण भी हेट्रोक्रोमिया की समस्या हो सकती है। इस दवा का 5 साल या उससे अधिक समय तक सेवन करने वालों को यह समस्या हो सकती है।

हेट्रोक्रोमिया का निदान - Diagnosis of Heterochromia in hindi

यदि आपको आंखों के सामान्य रंग में अंतर नजर आए तो एक बार डॉक्टर से हेट्रोक्रोमिया के निदान के लिए संपर्क करना चाहिए। सेंट्रल हेट्रोक्रोमिया के ज्यादातर मामले सौम्य यानी कि इनका ज्यादा असर दिखाई नहीं देता है। न तो ये किसी प्रकार के मेडिकल कंडीशन से जुड़ी होती है न ही दृष्टि संबंधी किसी प्रकार की समस्याओं का कारण बनते हैं। हालांकि, इसके मेडिकल कंडीशन का पता लगाना आवश्यक हो जाता है।

हेट्रोक्रोमिया के सभी प्रकार की स्थितियों का पता लगाने के लिए परीक्षण की आवश्यकता होती है। नेत्र रोग विशेषज्ञ इसके लिए खून की जांच अथवा गुणसूत्र अध्ययन जैसे उपायों को प्रयोग में ला सकते हैं। हेट्रोक्रोमिया के प्रकार और उसकी गंभीरता के आधार इसका इलाज किया जाता है।

हेट्रोक्रोमिया का इलाज - Treatment of Heterochromia in hindi

अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी के अनुसार, आंखों के रंगों में बदलाव के अलावा यदि व्यक्ति को कोई और लक्षण नहीं है तो आमतौर पर उसे इलाज की जरूरत नहीं होती है। यदि हेट्रोक्रोमिया वाले व्यक्ति आंखों के रंग में बदलाव चाहता हो तो डॉक्टर की सलाह के आधार पर वह कॉस्मेटिक कर्लड लेंस का प्रयोग कर सकता है।

हेट्रोक्रोमिया के इलाज के रूप में इसकी अंतर्निहित स्थितियों को ठीक करने का प्रयास किया जाता है। य​दि निदान के दौरान कोई भी अंतर्निहित बीमारी सामने नहीं आती है तो डॉक्टर इसका इलाज नहीं करते हैं।