एचईएलएलपी हेल्प सिंड्रोम एक दुर्लभ लेकिन गंभीर स्थिति है, जो गर्भावस्था के दौरान या बच्चे के जन्म के बाद हो सकती है। यह विकार मुख्यरूप से लिवर और रक्त से संबंधित है। अगर समय रहते इसका निदान कर इलाज न कराया जाए तो यह घातक भी हो सकती है। चूंकि इसके लक्षण अस्पष्ट होते हैं ऐसे में शुरुआत में निदान करना मुश्किल हो सकता है। प्रयोगशालाओं में परीक्षण के दौरान देखी गई तीन प्रमुख असामान्यताओं के कारण इसका नाम एचईएलएलपी सिंड्रोम रखा गया।
- हेमोलिसिस : यह लाल रक्त कोशिकाओं के ब्रेक डाउन की स्थिति है। ये कोशिकाएं फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर पूरे शरीर में पहुंचाती हैं।
- एलिवेटेड लिवर एंजाइम : अगर इसका स्तर बहुत अधिक हो तो इसका मतलब है कि आपके लीवर में कोई समस्या है।
- लो प्लेटलेट्स काउंट : प्लेटलेट्स, रक्त का थक्का बनाने में मदद करती हैं।
शोधकर्ताओं के मुताबिक हेल्प सिंड्रोम का प्रीक्लेम्पसिया और एक्लेम्पसिया के बीच एक लिंक हो सकता है। गर्भवती महिला में उच्च रक्तचाप और लिवर तथा किडनी जैसे अन्य अंगों की क्षति के अवस्था में प्रीक्लेम्पसिया की समस्या हो सकती है। यह आमतौर पर गर्भावस्था के 20 सप्ताह के बाद शुरू होता है। वहीं एक्लेम्पसिया को प्रीक्लेम्पसिया का गंभीर रूप माना जाता है, इसके कारण लोगों को दौरे पड़ने की समस्या हो सकती है।
इस लेख में हम एचईएलएलपी हेल्प सिंड्रोम के लक्षण, कारण और इसके इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।