एंडोकार्डियल फाइब्रोएलास्टोसिस एक हृदय संबंधी विकार है, जो आमतौर पर नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों में पाया जाता है। इस रोग में संयोजी ऊतकों (कनेक्टिव टिशू) और इलास्टिक फाइबर के बढ़ने के कारण हृदय के चैंबर के बीच की मांसपेशियां मोटी हो जाती है। सामान्य रूप से हृदय में चार चैंबर (हिस्से) होते हैं। दो चैंबर एट्रिया के नाम से जाने जाते हैं, जो कि एट्रियल सेप्टम द्वारा विभाजित होते हैं। अन्य दो चैंबर को वेंट्रिकल्स के नाम से जाना जाता है और ये भी सेप्टम द्वारा विभाजित होते हैं। इसके अलावा हृदय में मौजूद वाल्व दाएं और बाएं तरफ के एट्रिया को उनके क्रमिक वेंट्रिकल से जोड़ती हैं।
एंडोकार्डियल फाइब्रोएलास्टोसिस क्या है?
एंडोकार्डियल फाइब्रोएलास्टोसिस मुख्य रूप से संयोजी ऊत्तकों के अधिक बढ़ने के कारण विकसित होते हैं, जिनकी वजह से हृदय का आकार आसामान्य रूप से बढ़ने (कार्डिएक हाइपरट्रॉफी) लगता है। हृदय और फेफड़ो के कार्यों में असंतुलन होने के कारण अंत में हार्ट फेल हो जाता है।
एंडोकार्डियल फाइब्रोएलास्टोसिस बिना किसी कारण के या एक्स-लिंक्ड (ईएफई2) और ओटोसोमल रेसेसिव (ईएफई1) द्वारा जेनेटिक ट्रेट में माता-पिता से प्राप्त हो सकता है। एंडोकार्डियल फाइब्रोएलास्टोसिस को अन्य कई नामों से जाना जाता है जैसे ईएफई, इलास्टिक टिश्यू, हाइपरप्लासिया, एंडोकार्डियल डिसप्लेसिया, एंडोकार्डियल स्क्लेरोसिस, फीटल एंडोमोकार्डियल फाइब्रोसिस और सबएंडोकार्डियल स्केलेरोसिस आदि।
एंडोकार्डियल फाइब्रोएलास्टोसिस के लक्षण
- सांस फूलना
- खांसी
- घरघराहट
- खाना-खाने में दिक्कत होना
- ज़्यादा पसीना आना
- ठीक से शारीरिक विकास ना हो पाना
- बार-बार सीने में संक्रमण होना
- बुखार
- खून की कमी
- पेरीफेरल सायनोसिस
ध्यान रखें कि बच्चों में गंभीर पेट दर्द कोरोनरी धमनी के ठीक से काम नहीं कर पाने का भी संकेत हो सकता है। इसके साथ ही थ्रोम्बोम्बोलिक एपिसोड के बढ़ने का भी खतरा हो सकता है।
एंडोकार्डियल फाइब्रोएलास्टोसिस के कारण
कुछ मामलों में एंडोकार्डियल फाइब्रोएलास्टोसिस में एक या इससे अधिक कई म्यूटेशन हो सकती हैं, जिनका कोई स्पष्ट कारण नहीं होता है। ऐसे मामलों में इन्हें एंडोकार्डियल फाइब्रोएलास्टोसिस 1 (ईएफई1) के नाम से जाना जाता है। अन्य मामलों में यह एक्स-लिंक्ड के रूप में माता-पिता से मिली कुछ नियंत्रित आनुवंशिक विषेशताएं हो सकती है, जिन्हें एंडोकार्डियल फाइब्रोएलास्टोसिस 2 (ईएफई2) के नाम से जाना जाता है। ईएफई1 में न तो क्रोमोजोम और न ही उनके ऊपर उत्परिवर्तित जीन के स्थान का पता लग पाता है। ईएफई2 में उत्परिवर्तित जीन एक्स क्रोमोजोम पर स्थित होता है, लेकिन, इसका इसका भी सटीक स्थान अज्ञात है।
कुछ अन्य मामलों में माना जाता है कि एंडोकार्डियल फाइब्रोएलास्टोसिस मेटाबोलिक डिफेक्ट के संपर्क में आने के कारण हो सकता है जैसे कि बार्थ सिंड्रोम या कार्निटाइन डेफिशियेंसी सिंड्रोम।
एंडोकार्डियल फाइब्रोएलास्टोसिस का इलाज
एंडोकार्डियल फाइब्रोएलास्टोसिस के इलाज में कार्डियक डीकॉम्पेनसेशन (हृदय के कार्यों की पूर्ति) प्रक्रिया शामिल है। हार्ट फेलियर के अंतिम चरण पर कार्डियक ट्रांसप्लांटेशन (हृदय का प्रत्यारोपण) की जरूरत होती है। यदि जल्द से जल्द परिक्षण करके स्थिति का उपचार शुरू कर दिया जाए तो, शिशु का इलाज करना सरल हो सकता है अन्यथा अगर इसका सही समय पर पता न लगाया जाए तो भविष्य में इसका इलाज करना कठिन हो सकता है। ईएफई के कारण कंजेस्टिव हार्ट फेलियर होने से रोकने के लिए कई प्रकार के ड्रग्स का इस्तेमाल किया जाता है और हार्ट रेट व हृदय के संकुचित होने की क्षमता को बढ़ाया जाता है। शरीर से तरल पदार्थो को खत्म करने के लिए डाइयुरेटिक्स (मूत्रवर्धक) दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। ये दवाएं दिल की धड़कनों को सामान्य रखने में मदद करती है। इसके इलाज में खून का थक्का रोकने वाली दवाओं (एंटीकोएगुलांट्स, यानी थक्का रोधी) का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। इन सभी इलाजों से ठीक न होने के बाद हार्ट ट्रांसप्लांटेशन इलाज का आखिरी विकल्प होता है।