डिस्केरटोसिस कंजेनिटा - Dyskeratosis Congenita in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

December 30, 2020

December 30, 2020

डिस्केरटोसिस कंजेनिटा
डिस्केरटोसिस कंजेनिटा

डिस्केरटोसिस कंजेनिटा​ क्या है?
डिस्केरटोसिस कंजेनिटा (डीसी) बोन मैरो फेलियर का एक दुर्लभ आनुवंशिक रूप है। इस बीमारी में पीड़ित में कुछ असामान्य लक्षण दिखाई देते हैं जैसे अजीब तरह के नाखून (जो पूरी तरह से विकसित न हुए हों), स्किन पिगमेंटेशन (जिसमें त्वचा जालीदार हो जाती है) और ओरल ल्यूकोप्लाकिया (मुंह में सफेद दाग)। इसके अलावा पीड़ित को अप्लास्टिक एनीमिया, माइलोडिस्पाल्टिक सिंड्रोम, ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) और सॉलिड ट्यूमर होने का जोखिम भी बढ़ जाता है। डिस्केरटोसिस कंजेनिटा से पीड़ित लोगों में जर्मलाइन टेलेमीअर्स बहुत कम होते हैं और लगभग आधे रोगियों में 6 जीन एन्कोडिंग प्रोटीनों में से एक में उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) होता है जो टेलेमीअर के फंक्शन को बनाए रखता है।

'एनसीबीआई' की एक रिपोर्ट के अनुसार उचित क्लीनिकल मैनेजमेंट सुनिश्चित करने के लिए इस बीमारी (डीसी) का सटीक निदान करना महत्वपूर्ण है क्योंकि डिस्केरटोसिस कंजेनिटा और बोन मैरो फेलियर के रोगियों का शरीर इम्यूनोसप्रेसिव (इम्यून प्रतिक्रिया को दबाने के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाइयां) थेरेपी के प्रति रिस्पॉन्स नहीं देता। साथ ही हेमाटोपोइएटिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से जुड़ी बीमारियों और मृत्यु दर में भी वृद्धि हो सकती है।

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डिस्केरटोसिस कंजेनिटा के लक्षण - Dyskeratosis Congenita Symptoms in Hindi

डिस्केरटोसिस कंजेनिटा के रोगियों में लक्षणों की पहचान जीन उत्परिवर्तन के आधार पर अलग-अलग तरह की हो सकती है। यह लक्षण पीढ़ी दर पीढ़ी दिखाई देते हैं जिसे इस स्थिति का आनुवंशिक रूप कहा जा सकता है। वहीं संभावित रूप से इसके पर्यावरण से जुड़े कारक भी हो सकते हैं। हालांकि एक ही परिवार के सदस्यों में भी इसके लक्षण और उनकी शुरुआत कुछ हद तक अलग-अलग तरह की हो सकती है। कुछ परिवारों की बाद की पीढ़ियों में इस बीमारी के लक्षण गंभीर और जीवन में जल्दी दिखाई देते हैं। इस बीमारी के क्लीनिकल ​​लक्षण जन्म के समय नहीं होते हैं, लेकिन बचपन, किशोरावस्था में लक्षण विकसित होते हैं हालांकि कुछ मामलों में जीवन के बाद के दिनों में लक्षण विकसित होते हैं।

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डिस्केरटोसिस कंजेनिटा के प्रथम श्रेणी के रोगी वे होते हैं जिनमें मूल रूप से त्वचा, नाखून और मुंह की असामान्यता संबंधी लक्षण दिखाई देते हैं। इन रोगियों में त्वचा और नाखून की असामान्यताएं आमतौर पर 10 साल की उम्र से पहले और बोन मैरो फेलियर 20 साल की उम्र से पहले दिखाई देते हैं।

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डिस्केरटोसिस कंजेनिटा का कारण - Dyskeratosis Congenita Causes in Hindi

'नैशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर रेयर डिजीज' के मुताबिक जीन में परिवर्तन के कारण डिस्केरटोसिस कंजेनिटा की समस्या आती है। छह जीन को इस स्थिति के लिए जिम्मेदार बताया गया है। हालांकि, केवल आधे मरीजों में यह जीन परिवर्तन दिखाई देते हैं, जो कि डिस्केरटोसिस कंजेनिटा के मान्य नैदानिक ​​अभिव्यक्तियों के साथ होते हैं। इससे यह सुझाव मिलता है कि इन 6 के अलावा भी कुछ जीन हैं जिनके म्यूटेशन के कारण डिस्केरटोसिस कंजेनिटा की समस्या हो सकती है।

डिस्केरटोसिस कंजेनिटा का निदान - Diagnosis of Dyskeratosis Congenita in Hindi

क्लिनिकल ​​मूल्यांकन, मरीज की मेडिकल हिस्ट्री और त्वचा और मुंह में होने वाले बदलाव जैसे विशिष्ट निष्कर्षों के आधार पर डॉक्टर, डिस्केरटोसिस कंजेनिटा बीमारी को डायग्नोज कर सकते हैं। लेकिन जिन लोगों में पहले संकेतों के तौर पर एप्लास्टिक एनीमिया या पल्मोनरी फाइब्रोसिस जैसे लक्षण विकसित होते हैं उनमें इस बीमारी का निदान करना काफी कठिन होता है। वहीं, सतही रक्त कोशिकाओं में बेहद छोटे टेलेमीअर्स, उन रोगियों में डिस्केरटोसिस के निदान को आसान बना देते हैं जिनमें बोन मैरो फेलियर की समस्या हो।

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डिस्केरटोसिस कंजेनिटा का इलाज - Dyskeratosis Congenita Treatment in Hindi

डिस्केरटोसिस कंजेनिटा का उपचार उन विशिष्ट लक्षणों की ओर निर्देशित होता है जो हर एक रोगी में साफ तौर पर दिखाई देते हैं। बीमारी के इलाज के लिए विशेषज्ञों की एक टीम के संयुक्त प्रयास की जरूरत पड़ सकती है। इसमें बाल रोग विशेषज्ञ, वयस्क चिकित्सक, हेमेटोलॉजिस्ट, त्वचा रोग विशेषज्ञ (डर्मेटोलॉजिस्ट), दंत विशेषज्ञ (डेंटिस्ट) आनुवांशिकीविद् (जेनेटिसिस्ट), कैंसर विशेषज्ञ (ऑन्कोलॉजिस्ट) और स्वास्थ्य देखभाल के अन्य पेशेवर शामिल हैं। ये सभी हेल्थ एक्सपर्ट्स मिलकर पीड़ित व्यक्ति के इलाज के लिए व्यवस्थित और व्यापक योजना तैयार करते हैं।

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