बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर - Borderline Personality Disorder in Hindi

written_by_editorial

September 02, 2020

November 05, 2020

बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर
बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर

बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर (बीपीडी) एक प्रकार का ऐसा मानसिक विकार है जो अपने और अन्य लोगों के बारे में सोचने के तरीके को प्रभावित कर देता है। इस विकार से प्रभावित व्यक्ति का मूड और व्यवहार अस्थिर हो जाता है, जिसके कारण उसे रोजमर्रा की जिंदगी में कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर की समस्या आमतौर पर किशोरावस्था या वयस्क अवस्था के शुरुआत में देखने को मिलती है। इसमें व्यक्ति स्वयं को भावनात्मक रूप से अस्थिर, व्यवहार में सख्ती, अपनी सामाजिक छवि के खराब होने का डर और रिश्तों में अस्थिरता का अनुभव होता है। यह बातें दिमाम में ऐसे बैठ जाती हैं कि यह मानसिक विकार का रूप ले लेती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। अमेरिका स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में लगभग 1.6 प्रतिशत वयस्कों में बीपीडी की शिकायत होती है। बीपीडी की शिकायत वाले लोगों के लिए भावनाओं को नियंत्रित करना काफी कठिन होता है। इस वजह से व्यक्ति अनावश्यक जोखिम उठाना शुरू कर देता है। मूड में काफी तेजी से स्विंग होता है साथ ही उसे क्रोध, अवसाद या चिंता जैसी समस्याएं भी बनी रहती हैं। बीपीडी वाले लोगों को बेहद संवेदनशील माना जाता है। ऐसे लोग छोटी-छोटी बातों पर प्रतिक्रियाएं देने लगते हैं और एक बार परेशान होने के बाद इन्हें दोबारा शांत होने में काफी समय लग जाता है।

विशेषज्ञ बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर को कई अन्य स्थितियों के साथ जोड़कर देखते हैं। माना जाता है कि बीपीडी वाले लोगों को अन्य कई प्रकार की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे चिंता, अवसाद, खान-पान संबंधी विकार आदि हो स​कते हैं। ऐसे लोगों में आत्महत्या का विचार आना भी आम बात है। इन समस्याओं से निजात पाने के लिए कई लोग शराब और ड्रग्स का सेवन करना शुरू कर देते हैं। हालांकि, जानकारों का मानना है कि ऐसा करने के हालात और बिगड़ सकते हैं।

इस लेख में हम बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर के लक्षण, कारण और उपचार के बारे में विस्तार से जानेंगे।

बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर के लक्षण - Borderline Personality Disorder symptoms in hindi

बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर का असर व्यक्ति की सोच और व्यक्तित्व पर होता है। बीपीडी के लक्षण लोगों में अलग-अलग तरीकों से प्रकट हो सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति में निम्नलिखित में से एक या एक से अधिक लक्षण हों तो उसे बीपीडी का शिकार माना जा सकता है।

  • बीपीडी के लोगों को अक्सर लगता है कि वह अकेले रह जाएंगे। अपने दोस्तों या रिश्तेदारों के पास रहने के लिए वह तरह-तरह के उपाय करते रहते हैं। ज्यादातर मामलों में दूसरों से अलग होने की सोच काल्पनिक होती है।
  • बीपीडी वाले लोगों में रिश्तों को लेकर काफी अस्थिरता देखने को मिलती है। ऐसे लोग दूसरों पर बहुत जल्दी विश्वास कर लेते हैं और अचानक उन्हें लगता है कि वह व्यक्ति सही नहीं है। ऐसे में उससे रिश्ते खत्म कर लेते हैं।
  • बीपीडी वाले लोगों में खुद की पहचान को लेकर भी असमंजस्य की स्थिति होती है। ऐसे लोगों को कभी लगता है कि उनका व्यक्तित्व सबसे शानदार है, जबकि अगले ही पल उन्हें लगता है कि वह दुनिया के सबसे बुरे व्यक्तियों में से एक हैं।
  • बीपीडी वाले लोग परेशान होने पर ऐसा काम करने लगते हैं जिससे उनको हानि हो सकती है।  ऐसे लोग खूब पैसे खर्च कर सकते हैं, लापरवाही से ड्राइविंग करने लगते हैं। कई बार तो इन्हें अत्यधिक मात्रा में शराब या ड्रग्स का सेवन करते हुए भी देखा जा सकता है।
  • बीपीडी वाले लोगों में आत्महत्या का विचार और जानबूझकर खुद को नुकसान पहुंचाने जैसी आदतें आम हैं। ऐसे लोग खुद को चोट पहुंचाने के लिए कई सारे तरीकों को प्रयोग में ला सकते हैं।
  • भावनाओं का अस्थिर होना और मूड स्विंग होना, बीपीडी वाले लोगों में आम समस्या है। ऐसे लोग एक पल में खुश रहते हैं तो अगले ही पल दुखी और निराश हो सकते हैं।
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बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर के कारण - Borderline Personality Disorder causes in hindi

बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर को अभी तक पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है। यही कारण है कि इसके कारण भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कई प्रकार की पर्यावरणीय स्थितियां जैसे बाल दुर्व्यवहार या उपेक्षा आदि को बीपीडी विकारों से जोड़कर देखा जा सकता है। इसके अलावा इस स्थिति के कुछ संभावित कारण निम्नलिखित हो सकते हैं।

आनुवंशिक

कई अध्ययनों से पता चलता है कि कुछ आनुवंशिक कारक बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। यदि परिवार में किसी को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विकारों की समस्या रही हो तो आपको भी बीपीडी होने का खतरा रहता है।

मस्तिष्क की असामान्यताएं

कुछ शोध में देखने को मिला है कि जिन लोगों को बीपीडी की शिकायत होती है उनमें अन्य लोगों की तुलना में मस्तिष्क में भावनाओं को संचालित करना वाला हिस्सा असामान्य होता है। इसके अलावा ऐसे लोगों में मूड का निर्धारण करने वाले सेरोटोनिन जैसे रसायन भी प्रभावी नहीं होते हैं।

जिन लोगों को बीपीडी जैसे विकारों की शिकायत होती है उनपर किए गए शोध में पाया गया कि इनका मस्तिष्क बहुत अलर्ट होता है। अन्य लोगों की तुलना में इन्हें चीजें अधिक डरावनी और तनावपूर्ण लगती हैं।

बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर के जोखिम कारक और जटिलताएं - Complications of Borderline Personality Disorder in hindi

व्यक्तित्व के विकास से संबंधित कुछ कारक बीपीडी के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। इसमें से कुछ निम्नलिखित हैं :

वंशानुगत

यदि आपके किसी करीबी रिश्तेदार जैसे माता, पिता, भाई या बहन को बीपीडी या बीपीडी की तरह का कोई विकार रहा हो तो परिवार के अन्य सदस्यों को भी इसका अधिक जोखिम हो सकता है।

तनावपूर्ण बचपन

बीपीडी विकार वाले ज्यादातर लोगों में देखने को मिला है कि बचपन में उन्हें यौन या शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा है। वहीं कई लोग बचपन में ही अपने माता-पिता को खो देते हैं या उनसे अलग हो जाते हैं, इसका असर भी दिमाग पर पड़ सकता है जो भविष्य में बीपीडी का रूप ले सकता है।

जटिलताएं

बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर आपके जीवन के कई क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है। बीपीडी के दौरान होने वाले व्यक्तित्व विकार के कारण रिश्तों, नौकरी, स्कूल, सामाजिक गतिविधियों पर भी असर देखने को मिल सकता है। बीपीडी के कारण निम्न समस्याएं हो सकती हैं।

  • बार-बार नौकरी छोड़ना
  • पढ़ाई पूरी न कर पाना
  • संघर्ष से भरे रिश्ते जैसे वैवाहिक तनाव या तलाक
  • स्वयं को चोट पहुंचाना जैसे काटना या जलना आदि
  • अनियोजित गर्भधारण, यौन संचारित संक्रमण, दुर्घटनाएं और झगड़े आदि
  • आत्महत्या का प्रयास करना

बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर वाले व्यक्तियों को कई तरह की अन्य मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। जैसे...

  • अवसाद
  • चिंता विकार
  • खान पान संबंधी विकार
  • बाइपोलर डिसऑर्डर
  • पोस्ट ट्रमैट्रिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी)
  • हाइपरएक्टिव डिसऑर्डर

बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर का निदान -Diagnosis of Borderline Personality Disorder in hindi

बीपीडी के लक्षणों के दिखने पर किसी मनोरोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए। निम्न तरीकों को प्रयोग में लाकर वह बीपीडी का निदान कर सकते हैं।

  • चिकित्सक आपसे बातचीत के माध्यम से समस्याओं और महसूस होने वाले लक्षणों के बारे में जानने की कोशिश करेंगे।
  • विकार के संभावित कारणों के बारे में जानने के लिए चिकित्सक कई प्रकार के चिकित्सकीय परीक्षण कर सकते हैं।
  • डॉक्टर आपसे मानसिक बीमारी के पारिवारिक इतिहास के बारे में भी पूछ सकते हैं। परिवार में किसी को मानसिक समस्या होने पर बीपीडी का खतरा अधिक बढ़ जाता है।

बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर अक्सर कई अन्य मानसिक बीमारियों के साथ होता है। जिन लोगों में अन्य विकारों के साथ बीपीडी का निदान होता है उनका इलाज अपेक्षाकृत कठिन होता है क्योंकि ऐसे लोगों में लक्षणों को पहचान पाना काफी मुश्किल होता है।

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बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर का इलाज - Treatment of Borderline Personality Disorder in hindi

बीपीडी के इलाज में मुख्य रूप से साइकोथेरपी पद्धति को प्रयोग में लाया जाता है। आवश्यकतानुसार इलाज में कुछ दवाओं को भी शामिल किया जा सकता है। बीपीडी के साथ व्यक्ति को यदि अन्य कोई मानसिक समस्या है तो उसका भी इलाज करना आवश्यक हो जाता है।

साइकोथेरपी या मनोचिकित्सा

साइकोथेरपी को बीपीडी का मुख्य उपचार माना जाता है। आपकी स्थिति को देखते हुए मनोचिकित्सा उपचार के लिए कॉग्निटिव बिहैवियरल थैरेपी (सीबीटी), डायलेक्टिकल बिहैवियरल थैरेपी (डीबीटी) या फिर स्केमा फोकस थेरपी को प्रयोग में ला सकते हैं। व्यक्ति के व्यहार और गलत धारणाओं को पहचानने और बदलने में सीबीटी को प्रभावी विधि माना जाता है। इसके अंतर्गत बताया जाता है कि गुस्सा आने या चिंतित होने की अवस्था में आपको किस तरह से व्यवहार करना चाहिए। वहीं डीबीटी के माध्यम से सही व्यवहार को पहचानने और उनको प्रयोग में लाने के तरीकों के बारे मे बताया जाता है।  इसके अलावा स्केमा फोकस थैरपी के माध्यम से स्वयं और दुनिया को सकारात्मक दृष्टि से देखने के बारे में बताया और प्रोत्साहित किया जाता है।

दवाइयों का प्रयोग

दवाइयों के माध्यम से बीपीडी का इलाज नहीं किया जाता है। हालांकि, कुछ लक्षणों को नियंत्रित करने में दवाइयां असरकारक हो सकती हैं। आवश्यकतानुसार डॉक्टर आपको साइकोथेरपी के साथ कुछ दवाइयों के सेवन की भी सलाह दे सकते हैं।

  • यदि रोगी को बीपीडी के साथ डिप्रेशन की भी शिकायत है तो उसे एंटीडिप्रेशन वाली दवाइयां दी जाती हैं।
  • यदि रोगी के लक्षणों में आक्रामकता देखी जाती है तो उसके लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए एंटीसाइकोटिक्स दवाइयों का प्रयोग किया जा सकता है।
  • यदि रोगी को चिंता संबंधी समस्याएं हैं तो उसके इलाज के लिए एंटीएंग्जाइटी वाली दवाइयां दी जाती हैं।

अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता

यदि रोगी में गंभीर लक्षण देखने को मिलते हैं  तो आपका डॉक्टर उसे अस्थायी रूप से उपचार के लिए अस्पताल में रहने की सलाह दे सकते हैं। रोगी बार-बार आत्महत्या करने का प्रयास करता है, दूसरों को नुकसान पहुंचाता है तो भी उसे इलाज के लिए अस्पताल में रखने की जरूरत हो सकती है।

वैकल्पिक चिकित्सा

बीपीडी वाले रोगियों में अवसाद और आक्रामकता के लक्षणों को ओमेगा-3 फैटी एसिड के प्रयोग से भी नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि, यह कितना लाभकारी है, इसकी पुष्टि करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।

ठीक होने में लग सकता है वक्त

आपकी भावनाओं और विचारों पर नियंत्रण पाने और व्यवहार प्रबंधन में कुछ समय लग सकता है। ज्यादातर लोगों में काफी जल्दी ही सुधार नजर आने लगते हैं। हालांकि, इसके लक्षणों को पूरी तरह से ठीक ​होने में लंबा वक्त लग सकता है। कई बार लक्षणों में सुधार तो कई बार उनके बिगड़ने का अनुभव भी कर सकते हैं, लेकिन इलाज के माध्यम से धीरे-धीरे इनका प्रबंधन भी सीख जाते हैं। लक्षणों की पहचान करके इनका जितना शीघ्र इलाज शुरू कर दिया जाए, ठीक होने के अवसर उतने ही बढ़ जाते हैं।