बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर (बीपीडी) एक प्रकार का ऐसा मानसिक विकार है जो अपने और अन्य लोगों के बारे में सोचने के तरीके को प्रभावित कर देता है। इस विकार से प्रभावित व्यक्ति का मूड और व्यवहार अस्थिर हो जाता है, जिसके कारण उसे रोजमर्रा की जिंदगी में कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर की समस्या आमतौर पर किशोरावस्था या वयस्क अवस्था के शुरुआत में देखने को मिलती है। इसमें व्यक्ति स्वयं को भावनात्मक रूप से अस्थिर, व्यवहार में सख्ती, अपनी सामाजिक छवि के खराब होने का डर और रिश्तों में अस्थिरता का अनुभव होता है। यह बातें दिमाम में ऐसे बैठ जाती हैं कि यह मानसिक विकार का रूप ले लेती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। अमेरिका स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में लगभग 1.6 प्रतिशत वयस्कों में बीपीडी की शिकायत होती है। बीपीडी की शिकायत वाले लोगों के लिए भावनाओं को नियंत्रित करना काफी कठिन होता है। इस वजह से व्यक्ति अनावश्यक जोखिम उठाना शुरू कर देता है। मूड में काफी तेजी से स्विंग होता है साथ ही उसे क्रोध, अवसाद या चिंता जैसी समस्याएं भी बनी रहती हैं। बीपीडी वाले लोगों को बेहद संवेदनशील माना जाता है। ऐसे लोग छोटी-छोटी बातों पर प्रतिक्रियाएं देने लगते हैं और एक बार परेशान होने के बाद इन्हें दोबारा शांत होने में काफी समय लग जाता है।
विशेषज्ञ बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर को कई अन्य स्थितियों के साथ जोड़कर देखते हैं। माना जाता है कि बीपीडी वाले लोगों को अन्य कई प्रकार की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे चिंता, अवसाद, खान-पान संबंधी विकार आदि हो सकते हैं। ऐसे लोगों में आत्महत्या का विचार आना भी आम बात है। इन समस्याओं से निजात पाने के लिए कई लोग शराब और ड्रग्स का सेवन करना शुरू कर देते हैं। हालांकि, जानकारों का मानना है कि ऐसा करने के हालात और बिगड़ सकते हैं।
इस लेख में हम बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर के लक्षण, कारण और उपचार के बारे में विस्तार से जानेंगे।