ग्रीनपीस सर्वेक्षण-2018 के अनुसार, दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में से बीस शहर भारत में हैं। हालांकि, यह सभी डाटा कोरोना वायरस की वजह से लगाए गए लॉकडॉउन के पहले के हैं।
अस्थमा के मामले भारतीय शहरों में तेजी से बढ़ रहे हैं, इस बीमारी से बच्चे भी अछूते नहीं है। विश्व में प्रति 10 अस्थमा रोगियों में से एक भारत में है।
अस्थमा में श्वास नलियों में सूजन आ जाती है, जिस कारण श्वसनमार्ग संकुचित (सिकुड़ना) हो जाता है। यह बीमारी किसी व्यक्ति में आनुवंशिक रूप से भी पारित हो सकती है।
अस्थमा कई कारणों जैसे धूम्रपान, अत्यधिक व्यायाम, कुछ प्रकार की दवाओं और पराग एलर्जी से ट्रिगर हो सकता है। इसके अलावा यह कीटों से होने वाली एलर्जी, धूल से एलर्जी, घर पर पालतू जानवर के फर से एलर्जी, संक्रमण, प्रदूषण या फिर मौसम में बदलाव के कारण भी अस्थमा की समस्या हो सकती है।
अस्थमा का प्रबंधन जरूर किया जा सकता है, लेकिन इसका कोई इलाज नहीं है और यह आजीवन प्रभावित करने वाला विकार है। इसके लक्षणों के प्रबंधन के लिए दवाओं, हल्की शारीरिक गतिविधि और स्वस्थ जीवन शैली की मदद ली जा सकती है।
यदि किसी व्यक्ति को शारीरिक गतिविधि की वजह से अस्थमा का अटैक आता है, तो ऐसे में डॉक्टर से बात करनी चाहिए। ऐसे में एक्सरसाइज कितनी मात्रा में करनी चाहिए, इस बारे में डॉक्टर ही सही परामर्श दे सकते हैं। सामान्य मामलों में वे सांस लेने से जुड़ी मांसपेशियों को मजबूत करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए हल्की मात्रा में एक्सरसाइज करने की सलाह देते हैं।
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