ऐकार्डी सिंड्रोम एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार है, जो कॉर्पस कॉलोसम बनने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। कॉर्पस कॉलोसम एक ऐसी संरचना है, जो मस्तिष्क के दोनों किनारों को जोड़ती है। ऐकार्डी सिंड्रोम से ग्रस्त लोगों में कॉर्पस कॉलोसम या तो आंशिक रूप से या पूरी तरह से गायब होता है। यह विकार विशेष रूप से नवजात लड़कियों में होता है। चिकित्सा से जुड़े शोधकर्ताओं का मानना है कि यह विकार माता-पिता से उनके बच्चों में पारित नहीं हो सकता है।
ऐकार्डी सिंड्रोम के संकेत और लक्षण
ऐकार्डी सिंड्रोम के लक्षण आमतौर पर 2 से 5 महीने की उम्र के बच्चों में दिखाई देते हैं। लक्षणों की शुरुआत बच्चे में मरोड़ या इंफेंटाइल स्पैज्म (शिशुओं में दौरे पड़ने वाला विकार) के रूप में हो सकती है। ये दौरे बाद में मिर्गी का रूप ले सकते हैं। हो सकता है कि बच्चे की आंखों पर पीले धब्बे दिखाई दें। ऐकार्डी सिंड्रोम के अन्य संकेतों व लक्षणों में शामिल हैं :
- कोलोबोमा (आंख की संरचनाओं में से किसी एक में छेद या गैप आ जाना)
- असामान्य रूप से आंखों का आकार छोटा होना
- असामान्य रूप से सिर छोटा होना
- हाथ की बनावट असामान्य होना
- इंट्लेक्चुअल डिसएबिलिटी (जैसे सीखने, प्रॉब्लम को सॉल्व करने या निर्णय लेने में कठिनाई)
- विकास में देरी
- खाने में कठिनाई
- दस्त
- कब्ज
- स्पास्टिसिटी, जो एक ऐसी स्थिति है, जिसमें मांसपेशियां कठोर हो जाती हैं।
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ऐकार्डी सिंड्रोम का कारण
ऐकार्डी सिंड्रोम अत्यधिक दुर्लभ स्थिति है। यदि दुनियाभर में डाटा की बात करें, तो लगभग 4,000 लोग इस विकार से ग्रस्त हैं। इसका सटीक कारण स्पष्ट नहीं है। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि यह बच्चे के जीन में किसी गड़बड़ी के कारण हो सकता है। चूंकि यह विकार मुख्य रूप से महिलाओं को प्रभावित करता है, इसलिए शोधकर्ताओं को लगता है कि एक्स क्रोमोसोन में किसी बदलाव की वजह से ऐसा हो सकता है। बता दें, दो सेक्स क्रोमोसोन होते हैं एक्स और वाई।
महिलाओं में दो एक्स क्रोमोसोन होते हैं जबकि पुरुषों में आमतौर पर एक एक्स (X) और एक वाई (Y) क्रोमोसोन होता है। बता दें, आमतौर पर लोगों में प्रत्येक कोशिका में 46 क्रोमोसोन होते हैं।
फिलहाल, ऐकार्डी सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में ज्यादातर महिलाएं हैं। शोधकर्ताओं का मानना है इस आनुवंशिक गड़बड़ी की वजह से भ्रूण के निर्माण के दौरान एक्स क्रोमोसोन प्रभावित होता है। अनुसंधान से पता चला है कि जब एक एक्स क्रोमोसोन में गड़बड़ी होती है, तब भी महिला भ्रूण जीवित रह सकती है, क्योंकि उनमें एक और एक्स क्रोमोसोन मौजूद होता है।
चूंकि शोधकर्ताओं के पास ऐकार्डी सिंड्रोम के कारणों की सटीक जानकारी नहीं है इसलिए इस विकार का कारण अज्ञात है और यही वजह है इसके जोखिम कारकों को निर्धारित करना मुश्किल हो जाता है।
ऐकार्डी सिंड्रोम का निदान
इस विकार के निदान के लिए मस्तिष्क का एमआरआई किया जाता है। चूंकि ऐकार्डी सिंड्रोम से ग्रस्त व्यक्तियों में दौरे की समस्या होती है इसलिए निदान और उपचार के लिए ईईजी (दिमाग की विद्युत गतिविधि को रिकॉर्ड करने की प्रक्रिया) की मदद ली जा सकती है। एक नेत्र रोग विशेषज्ञ रेटिना को चेक कर सकते हैं, क्योंकि ऐकार्डी सिंड्रोम में, रेटिना के अंदर क्रीमी रंग में छोटे गुहा (कैविटी) दिखाई दे सकते हैं।
ऐकार्डी सिंड्रोम का उपचार
मौजूदा समय में ऐकार्डी सिंड्रोम का कोई सटीक उपचार निर्धारित नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को प्रबंधित किया जा सकता है। हालांकि, इस सिंड्रोम के लक्षण प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं इसलिए इसके उपचार में भी भिन्नताएं हैं।
कुछ उपचार दौरे की गंभीरता और आवृत्ति को कम करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। जबकि फिजियोथेरेपी और स्पीच एंड ऑक्यूपेशनल थेरेपी की मदद से विकास में देरी और दृष्टि से संबंधित समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
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