एंगुलर चेलाइटिस - Angular Cheilitis in Hindi

Dr. Apratim GoelMBBS,MD,DNB

August 20, 2020

April 13, 2021

एंगुलर चेलाइटिस
एंगुलर चेलाइटिस

एंगुलर चेलाइटिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें होठों के कोनों पर लालिमा और सूजन आ जाती है। इसे पेर्लेच और एंगुलर स्टोमाटाइटिस के नाम से भी जाना जाता है। एंगुलर चेलाइटिस होठों के एक या फिर दोनों ओर हो सकती है। यह एक प्रकार के इंफ्लामेशन की स्थिति है जो सामान्यत: कुछ दिनों में ठीक हो जाती है। कुछ लोगों में यह क्रोनिक यानी लंबे समय तक रहने वाली समस्या भी हो सकती है। शिशुओं सहित सभी उम्र के लोग इस बीमारी के शिकार हो सकते हैं।

एंगुलर चेलाइटिस का इलाज आसान होता है। इसके अंतर्निहित कारणों का पता करके डॉक्टर इलाज शुरू करते हैं। यदि एंगुलर चेलाइटिस बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्शन के कारण हो रहा हो तो संक्रमण के फैलने का डर रहता है। इतना ही नहीं ऐसी स्थिति में ओरल थ्रश का खतरा भी बढ़ जाता है। ज्यादातर मामलों में बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्शन ही एंगुलर चेलाइटिस का मुख्य कारण होते हैं। इस बीमारी के कारण होने वाली सूजन कई बार होंठ या चेहरे की त्वचा तक बढ़ जाती है।

डॉक्टरों की मानें तो होंठ या मुंह के आसपास अतिरिक्त नमी के कारण यह दिक्कत होती है। सामान्यत: यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि इसे किसी अन्य समस्या के लक्षण के तौर पर देखा जाता है। इस लेख में हम एंगुलर चेलाइटिस के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में जानेंगे।

एंगुलर चेलाइटिस के लक्षण क्या हैं?- Angular Cheilitis symptoms in hindi

एंगुलर चेलाइटिस के लक्षणों को मुंह के कोनों पर लालिमा और सूजन के रूप में देखा जा सकता है। इस स्थिति में कई बार दर्द भी होता है। कई लोगों में लालिमा और सूजन के अलावा खून निकलने की समस्या देखने को मिल सकती है। अगर आपको एंगुलर चेलाइटिस की समस्या है तो उस स्थिति में निम्न लक्षण दिख सकते हैं।

  • खून निकलना
  • लालिमा
  • सूजन
  • फफोले पड़ना
  • खुजली होना
  • दर्द का अनुभव होना
  • मुंह का स्वाद खराब होना
  • होंठ और मुंह में जलन होना
  • होठों का बार-बार सूखना
  • खाने में परेशानी महसूस होना
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एंगुलर चेलाइटिस के कारण क्या है? - Angular Cheilitis causes in hindi

एंगुलर चेलाइटिस के कई अलग-अलग कारण हो सकते हैं। यीस्ट संक्रमण के कारण इस समस्या का होना सबसे आम है। मुंह से निकलने वाला लार होठों के कोनों में चिपक जाता है, जिस वजह से होंठ फटने लगते हैं। ऐसी स्थिति में होंठों के दर्द और सूखेपन को शांत करने के लिए लोग होठों को बार-बार चाटने लगते हैं, ऐसा करने से आसपास नमी बनी रह जाती है जो संक्रमण को बढ़ावा देती है। होंठ के जिस हिस्से में जलन और दर्द होता है कई बार वहां फफोले या दरार भी बन जाते हैं। इस कारण वहां से खून निकलने की भी समस्या देखने को मिल सकती है। होंठों के कोनों की शुष्की और फटी हुई त्वचा भी संक्रमण का कारण हो सकती है।

कैंडिडा या यीस्ट संक्रमण एंगुलर चेलाइटिस का सबसे प्रमुख कारण हो सकता है, जिसमें होठों में जलन और खुजली की भी दिक्कत देखने को मिलती है। कुछ लोगों में स्टैफ और स्ट्रेप जैसे जीवाणु संक्रमण के कारण भी एंगुलर चेलाइटिस की समस्या हो सकती है। कई बार एक साथ कई प्रकार के संक्रमण भी देखने को मिल सकते हैं जैसे एंगुलर चेलाइटिस रोगी को यीस्ट जैसे फंगल इंफेक्शन और स्टैफ जैसे बैक्टीरियल इंफेक्शन एक साथ हो सकते हैं। जिन लोगों को एंगुलर चेलाइटिस होने का खतरा ज्यादा होता है। वे हैं -

  • जिन लोगों को ओरल थ्रश की शिकायत ज्यादा रहती है
  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स या एंटीबायोटिक दवाओं का अधिक सेवन करने वाले
  • जिन लोगों की त्वचा अति संवेदनशील हो
  • जिन लोगों के दांतों में ब्रेसेज लगे हों
  • बहुत अधिक धूम्रपान करने वाले लोग
  • एनीमिया, मधुमेह, या कैंसर से पीड़ित लोग
  • जिन लोगों में विटामिन बी-9, बी-6, बी-2 या बी-3 की कमी है

एंगुलर चेलाइटिस का निदान कैसे किया जाता है? - Diagnosis of Angular Cheilitis in hindi

जैसा कि उपरोक्त पक्तिंयों में स्पष्ट होता है कि एंगुलर चेलाइटिस मुख्य रूप से फंगल या जीवाणु संक्रमण के कारण होने वाली स्थिति है। ऐसे में इसके लक्षण दिखते ही तुरंत चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए। संक्रमण बढ़ने की स्थिति में परेशानी और अधिक बढ़ सकती है। एंगुलर चेलाइटिस जैसी समस्याओं के निदान और इलाज के लिए डर्मेटोलॉजिस्ट यानी त्वचा रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।

समस्या के कारणों का पता लगाने के लिए डॉक्टर सबसे पहले त्वचा की जांच करते हैं साथ ही यह भी जानने की कोशिश करते हैं कि शरीर में कहीं और भी इस तरह की दिक्कत तो नहीं आ रही है? डॉक्टर आपसे ओरल थ्रश और यीस्ट इंफेक्शन की फेमिली हिस्ट्री के बारे में भी पूछते हैं। आपको और क्या-क्या समस्याएं आ रही हैं साथ ही इस दौरान पहले कौन सी दवा लिया है, इस बारे में भी पूछताछ की जाती है।

समस्या का निदान करने के लिए आपके मुंह के कोनों से लार का सैंपल लेकर जांच के लिए भी भेजा जा सकता है। बीमारी के कारण का पता लगाने का यह सबसे बेहतर तरीका होता है।

एंगुलर चेलाइटिस के कारण होने वाली जटिलताएं - Complications of Angular Cheilitis in Hindi

सामान्य तौर पर एंगुलर चेलाइटिस का इलाज करना आसान होता है। बीमारी के निदान के बाद डॉक्टर इसके अंतर्निहित कारणों का इलाज शुरू कर देते हैं जो आमतौर पर जल्दी ही ठीक हो जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में यह तमाम प्रकार की जटिलताओं को भी जन्म दे सकती है। यदि निदान में एंगुलर चेलाइटिस का मुख्य कारण जीवाणु या कवक संक्रमण सामने आता है तो ऐसी स्थिति में कुछ लोगों में त्वचा के अन्य हिस्सों में संक्रमण के फैलने का खतरा रहता है। यह ओरल थ्रश का भी कारण बन सकता है।

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एंगुलर चेलाइटिस का इलाज कैसे किया जाता है? -Treatment of Angular Cheilitis in Hindi

एंगुलर चेलाइटिस के लिए किए गए परीक्षणों से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर इलाज की शुरुआत होती है। परीक्षण के दौरान यदि पोषण संबंधी कमी की शिकायतें सामने आती हैं तो डॉक्टर आपको पौष्टिक आहार अथवा सप्लीमेंट के सेवन की सलाह दे सकते हैं। यदि समस्या का कारण यीस्ट संक्रमण हो तो ऐंटीफंगल क्रीम और कुछ दवाएं दी जा सकती हैं जो संक्रमण को खत्म करने के साथ उन्हें बढ़ने से रोकती हैं। वहीं अगर किसी प्रकार की बैक्टीरिया के कारण एंगुलर चेलाइटिस की समस्या हो रही हो तो एंटीबायोटिक दवाओं के साथ प्रभावित हिस्से पर लगाने के लिए एंटीबायोटिक क्रीम दी जा सकती है।

उपरोक्त उपायों के ​इलावा इलाज के निम्न तरीकों को भी आवश्यकतानुसार प्रयोग में लाया जा सकता है।

  • कई बार होठों के फटने से घाव हो जाता है, ऐसी स्थिति में घावों को साफ रखने के लिए एंटीसेप्टिक्स क्रीम या लोशन दिया जाता है।
  • स्टेरॉयड मरहम से भी कुछ लोगों को राहत मिल सकती है।
  • एंगुलर चेलाइटिस की स्थिति में मुंह को सूखने से बचाने पर विशेष ध्यान देना होता है। इसके लिए थोड़ी-थोड़ी देर पर पानी पीते रहना चाहिए। आप टॉफी भी चूस सकते हैं।
  • होंठों को फटने से रोकने के लिए नियमित रूप से लिप बाम का उपयोग करें
  • मुंह के कोनों पर पेट्रोलियम जेली या नारियल का तेल लगाने से भी फायदा मिलता है।


संदर्भ

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  2. Park KK, Brodell RT, Helms SE. Angular cheilitis, part 1: local etiologies. Cutis. 2011 Jun;87(6):289-295.
  3. Öhman, S.C., Dahlen, G., Moller, A. and Öhman, A. (1986), Angular cheilitis: a clinical and microbial study Journal of Oral Pathology & Medicine, 15: 213-217.
  4. Warnakulasuriya, K.A.A.S., Samaranayake, L.P. and Peiris, J.S.M. (1991), Angular cheilitis in a group of Sri Lankan adults: a clinical and microbiologic study Journal of Oral Pathology & Medicine, 20: 172-175

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