नवजात शिशु को बुखार में देखकर माता-पिता को बेहद ही परेशानी हो जाते हैं। पहली बार मां-बाप बने कई लोगों को यह मालूम ही नहीं होता कि शिशु को बुखार आने पर उनको क्या करना चाहिए। नवजात शिशु को बुखार आना एक सामान्य प्रक्रिया है। लेकिन जब शिशु कुछ ही सप्ताह का हो और उसको बेहद तेज बुखार हो तो ऐसे में माता-पिता का परेशान होना जायज है। नवजात शिशुओं में बुखार होना यह संकेत भी देता है कि शिशु का शरीर किसी प्रकार के संक्रमण से लड़ रहा है।

इस लेख में नवजात शिशु के बुखार के बारे में विस्तार से बताया गया है। साथ ही इसमें आपको नवजात शिशु में बुखार के लक्षण, नवजात शिशु को बुखार के कारण, शिशु के शरीर का तापमान कैसे नापें, नवजात शिशु को बुखार होने पर क्या करें, शिशु को बुखार होने पर डॉक्टर के पास कब ले जाएं और नवजात शिशु को बुखार में जटिलताएं आदि विषयों को भी विस्तार से बताया गया है।

(और पढ़ें - नवजात शिशु की देखभाल)

  1. नवजात शिशु में बुखार के लक्षण - Navjat shishu me bukhar ke lakshan
  2. नवजात शिशु को बुखार के कारण - Navjat shishu ko bukhar ke karan
  3. किस तापमान में शिशु को बुखार माना जाता है - Kis tapmaan me shishu ko bukhar mana jata hai
  4. शिशु के शरीर का तापमान कैसे नापें - Shishu ke shareer ka tapmaan kaise dekhe
  5. नवजात शिशु के बुखार का इलाज और उपाय - Navjat shishu ke bukhar ke upay aur ilaj
  6. नवजात शिशु को बुखार होने पर डॉक्टर के पास कब ले जाएं - Navjat shishu ko bukhar hone par doctor ke pass kab jaye
  7. नवजात शिशु को बुखार से क्या परेशानियां हो सकती हैं - Navjat shishu ko bukhar hone se kya pareshaniyan ho sakti hain
नवजात शिशु को बुखार के डॉक्टर

शिशु का माथा गर्म होना उसको बुखार होने का ही एक सामान्य संकेत हैं, लेकिन कई बार शिशु का माथा गर्म न होने पर भी कई बार उसको बुखार हो सकता है। बुखार होने पर शिशु का व्यवहार में बदलाव हो जाता है और वह सामान्य दिनों की अपेक्षा ज्यादा चिड़चिड़ा और परेशान रहने लगता है। 

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नवजात शिशु में बुखार होने के अन्य लक्षणों को नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।

  • बुखार होने पर शिशु खेलने में रूचि नहीं दिखाता।
  • शिशु का शरीर गर्म महसूस होता है। 
  • सोने की अदाद्तों में बदलाव:
  • शिशु के व्यव्हार में बदलाव आ सकता है:
    • बुखार में शिशु सुस्त और कम एक्टिव हो जाता है।
    • हो सकता है शिशु सामान्य से ज्यादा रो रहा हो। 
  • खान-पान की आदतों में बदलाव:

ऐसा कम होता है, परन्तु मांसपेशियां में अचानक से ऐंठन आ जाना या दौरे पड़ना भी शिशु को बुखार होने का लक्षण हो सकता है ।

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नवजात शिशु के बुखार को रोग नहीं माना जाना चाहिए। यह किसी समस्या का संकेत भी हो सकता है। आमतौर पर शिशु का बुखार इस बात का संकेत होता है कि शिशु का शरीर रोग से लड़ रहा है और रोग प्रतिरोधक क्षमता क्रियाशील है। शिशु को बुखार होने के अन्य कारणों को निम्नतः बताया जा रहा है।

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शिशु के बुखार की सही स्थिति को समझने के लिए आपको यह जानना बेहद जरूरी है कि उसके शरीर के किस तापमान को बुखार माना जाए। जानकारों के अनुसार शिशु के शरीर का सामान्य तापमान 97 डिग्री फारेनहाइट (36.11 डिग्री सेल्सियस) से 100.3 डिग्री फारेनहाइट (37.94 डिग्री सेल्सियस) तक हो सकता है। लेकिन आपके नवजात शिशु के शरीर का तापमान इससे अधिक हो, तो इसको बुखार माना जाता है।

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नवजात शिशु के शरीर का तापमान नापने के कई तरीके होते हैं, शिशु का तापमान आप उसके मुंह, कान, अंडर आर्मस (कांख) और गुदा से भी नाप सकते हैं। शिशु के बुखार को नापने के लिए विशेषज्ञ डिजीटल थर्मामीटर का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। शिशुओं के बुखार को नापने के लिए मरकरी थर्मामीटर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसके टूटने से थर्मामीटर में मौजूद मरकरी (पारे) से शिशु को खतरा हो सकता है।

  • गुदा से शिशु का तापमान जांचे –
    शिशु के शरीर के तापमान की सटीक जानकारी लेने के लिए उसके गुदा से शरीर का तापमान नापा जाता है और यह अन्य के मुकाबले एक आसान तकनीक है।

    गुदा से तापमान लेने के लिए आप सबसे पहले थर्मामीटर को साफ कर लें। इसको साफ करने के लिए आप किसी साबुन और पानी या अल्कोहल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तकनीक से शिशु के शरीर के तापमान को जानने के लिए उसको पेट के बल पर लेटा दें। ऐसे में ध्यान दें कि शिशु के घुटने छाती को छुए होने चाहिए। इसके बाद आप थर्मोमीटर के ब्लब पर थोड़ी सी पेट्रॉलियम जैली को लगा लें। ऐसा करने के बाद शिशु के गुदा से मलाशय के शुरूआती छोर तक बेहद ही सावधानी के साथ इस थर्मामीटर को करीब एक इंच अंदर तक डालें। दो मिनट तक थर्मामीटर को सावधानी से पकड़े और थर्मामीटर के आवाज करने पर ही इसको बाहर निकाले। थर्मामीटर को बेहद ही सावधानी से बाहर निकालें और शरीर के तापमान की रीडिंग को पढ़ें। (और पढ़ें - शरीर का तापमान कितना होना चाहिए)
     
  • कांख या बगल से तापमान को जांचना –
    अंडर आर्म से शिशु के शरीर के तापमान को नापने के लिए आपको उसके कपड़े उतारने होंगे। ऐसे में ध्यान दें कि शिशु के अंडर आर्मस सूखे हुए हो और थर्मामीटर लगातार शिशु की त्वचा को छूना चाहिए। इस तरीके से शिशु के तापमान के जो रिजल्ट सामने आते हैं, उनके सटीक होने की संभावनाएं गुदा से प्राप्त रिजल्ट के मुकाबले कम होती है। अगर आपके शिशु की आयु तीन माह से कम है तो विशेषज्ञों द्वारा इस तरीके को अपनाने की सलाह नहीं दी जाती है।

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शिशु का शरीर जब कई तरह के बैक्टीरिया और वायरस से लड़ता है तो उसको बुखार हो जाता है। बुखार आपके शिशु के लिए लाभकारी भी होता है, इससे शिशु के शरीर में सफेद रक्त कोशिकाएं बनती है, जो प्राकृतिक रूप से संक्रमण से लड़ने का कार्य करती है। यदि आपको शिशु को ज्यादा कपड़े पहनने या गर्मी के कारण बुखार हो गया हो तो उसके कुछ कपड़ों को उतार दें और शिशु को ठंडी जगह पर आराम करने दें। इसके अलावा शिशु को किसी अन्य कारण से बुखार हो तो आपको अपने डॉक्टर से इस बारे में सलाह लेनी चाहिए।

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शिशु को बुखार होने पर क्या करें 

आपके शिशु के बुखार को कम करने के लिए डॉक्टर कुछ दवाएं दे सकते हैं, लेकिन ये दवाएं 6 माह से अधिक आयु के शिशुओं को ही देने की सलाह दी जाती है। शिशु को बुखार की दवाएं देते समय आपको अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता पड़ती है। दवा देते समय निम्न टिप्स पर भी ध्यान दें।

  • शिशु के वजन के अनुसार उसको दवा की खुराक दें।
  • डॉक्टर के द्वारा बताई गई खुराक से अधिक दवा शिशु को न दें।
  • एस्पिरीन जैसी द्वाओं को शिशु को देने से बचें, क्योंकि इससे रेये सिंड्रोम (Reye’s syndrome) होने की संभावनाएं अधिक होती है। (और पढ़ें - बच्चे को मिट्टी खाने की आदत)

शिशु के बुखार में किए जाने वाले कुछ घरेलू उपाय

अगर आपका शिशु एक माह से कम आयु का हो तो उसको बुखार होने पर डॉक्टर के पास ले जाएं। लेकिन शिशु के एक माह होने पर आप निम्न तरह के उपाय अपना सकते हैं।

  • गुनगुने पानी से शिशु को नहलाएं और शिशु को नहलाने से पहले पानी की गर्माहट को अपनी हथेलियों से एक बार जरूर जांचें। (और पढ़ें - नवजात शिशु को खांसी क्यों होती है)
  • शिशु को हल्के वजन के कपड़े पहनाएं।
  • शिशु को आवश्यकता अनुसार तरल पदार्थ दें, जिससे उसके शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) न हो। इसके लिए आप शिशु को स्तनपान, इलेक्ट्रोलाइट सॉल्युशन या पानी, शिशु की आयु के अनुसार दे सकती हैं। इसकी सही जानकारी आप अपने डॉक्टर से भी ले सकती हैं। (और पढ़ें - डायपर रैश का उपचार)
  • जहां तक संभव हो शिशु को ज्यादा तेज धूप में न ले जाएं। साथ ही उसको घर के किसी ठंडे स्थान पर आराम करने दें।
  • शिशु को बुखार होने पर, उसके कमरे का पंखा ज्यादा तेज न चलाएं या संभव हो तो पंखे को बंद ही रखें।

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शिशु को बुखार होने पर आपको नीचे बताए गए कुछ लक्षण दिखाई दें तो तुरंत ही अपने डॉक्टर से मिलें।

  • शिशु का डायपर कम गंदा करना। (और पढ़ेें - नवजात शिशु के पेट में दर्द)
  • बुखार के साथ ही शिशु को उल्टी होना। (और पढ़ें - बच्चों की खांसी के घरेलू उपाय
  • अगर आपके शिशु को बुखार हुए 24 घंटे से ज्यादा समय हो गया हो।
  • दौरे पड़ना। (और पढ़ें - शिशु की मालिश कैसे करें)
  • बुखार के दौरान शिशु को सांस लेने में मुश्किल होना।
  • दस्त होना।
  • बिना किसी कारण रैश होना।
  • शिशु का ज्यादा सुस्त होना या सामान्य से अधिक नींद लेना।
  • शिशु के शरीर का तापमान 100.4 डिग्री फारेनहाइट या इससे अधिक होना।

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शिशु को बुखार होने पर कई तरह की जटिलताएं उत्पन्न हो सकती है, जिनमें से कुछ जटिलताओं को नीचे बताया गया है।

  • बार-बार बुखार आना –
    कुछ मामलों में शिशु को तीन से चार दिनों तक बुखार रहता है और वह इतने ही दिनों के बाद दोबारा हो जाता है। यह तब होता है जब संक्रमण पूरी तरह ठीक नहीं हो पाता है और इसको ठीक होने के लिए लंबे इलाज की आवश्यकता होती है। (और पढ़ें - नवजात शिशु की कब्ज का इलाज)
     
  • बिना किसी लक्षण के बुखार होना –
    कई मामलों में शिशु को सर्दी जुकाम, उल्टी, खांसी और दस्त आदि लक्षणों के बिना भी बुखार हो सकता है। इसमें शिशु को बुखार होने के सही कारणों के पता लगाने में मुश्किल होती है। ऐसे में आपको बुखार के कारण जानने के लिए डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। (और पढ़ें - नवजात शिशु को दस्त)
     
  • बुखारी दौरे – 
    बुखार शिशु में बुखारी दौरे (Febrile seziure) का भी कारण हो बन सकता है। इस स्थिति में शिशु के शरीर में ऐंठन आ जाती है। इसके साथ ही बुखारी दौरे के लक्षण में शिशु को उल्टी, लार और आंखें ऊपर की ओर घुम जाती है। (और पढ़ें - नवजात शिशु का वजन कितना होना चाहिए)
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