डीपीटी (डीटीपी और डीटीडब्लूपी) के टीके से शिशु का तीन तरह के संक्रामक रोग (डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस) से बचाव किया जाता है। इस टीके से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को इन रोगों से लड़ने के लिए विकसित किया जाता है। यह तीनों रोग शिशु और बच्चों के लिए जानलेवा होते हैं।
डिप्थीरिया में बच्चों को सांस लेने में समस्या होती है। इसके अलावा टेटनस के बैक्टीरिया जो कि मिट्टी में पाए जाते हैं, तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करते हैं, जिसकी वजह से मांसपेशियों में ऐंठन होती है। वहीं पर्टुसिस (Whooping cough: काली खांसी) में नवजात शिशु को खाने, पीने और सांस लेने में पेरशानी होती है। इसकी वजह से बच्चों में निमोनिया, मिर्गी और मस्तिष्क में क्षति होने का खतरा बना रहता है।
इस टीके की उपयोगिता के चलते ही आपको इस लेख में डीपीटी (डीटीपी और डीटीडब्लूपी) के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। साथ ही इसमें आपको डीपीटी वैक्सीन क्या है, डीपीटी को कब लगवाना चाहिए, डीपीटी के साइड इफेक्ट और डीपीटी किन बच्चों को नहीं दिया जाना चाहिए आदि के बारे में भी विस्तार से बताया गया है।
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