दुनिया भर में टीबी के एक चौथाई मामले केवल भारत में ही पाएं जाते हैं। टीबी बच्चे को किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र के कारण चार साल से कम आयु के बच्चों में टीबी होने की संभावनाएं अधिक होती है।

बीते कुछ वर्षों के आकंड़ों के अनुसार 14 साल तक के करीब दस लाख बच्चों में टीबी के मामले पाए गए थे। अन्य रोगों की तरह ही टीबी भी बच्चे के लिए एक घातक रोग होता है। इस रोग की समय रहते पहचान करने से आप बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव को कम कर सकते हैं।

बच्चों के लिए घातक रोग होने के कारण आपको इस लेख में बच्चों में टीबी के बारे में विस्तार से बताया गया है। साथ ही आपको बच्चों में टीबी के लक्षण, बच्चों में टीबी के कारण, बच्चों का टीबी से बचाव और बच्चों की टीबी का इलाज आदि के बारे में भी विस्तार से बताने का प्रयास किया गया है। 

(और पढ़ें - टीबी में क्या खाना चाहिए)

  1. बच्चों में टीबी के प्रकार - Bacho me TB ke prakar
  2. बच्चों में टीबी के लक्षण - Bacho me TB ke lakshan
  3. बच्चों में टीबी होने का कारण - Bacho me TB hone ke karan
  4. बच्चों मे टीबी का परीक्षण - Bacho me TB ka parikshan
  5. बच्चों का टीबी से बचाव - Bacho ka TB se bachav
  6. बच्चों के टीबी का इलाज - Bacho ke TB ka ilaj

बच्चों में टीबी (ट्यूबरकुलोसिस, यक्ष्मा, तपेदिक या क्षयरोग) एक संक्रामक रोग है, जो एक विशेष तरह के बैक्टीरिया के संपर्क में आने की वजह से होता है। संक्रमित व्यक्ति के छींकने और खांसने के दौरान बैक्टीरिया हवा के द्वारा अन्य बच्चों व लोगों को संक्रमित कर सकते हैं।

आमतौर ये बैक्टीरिया फेफड़ों को प्रभावित करते हैं, लेकिन यह शरीर के अन्य अंगों पर भी अपना प्रभाव दिखा सकते हैं। प्रभावित अंगों के आधार पर ही बच्चों में होने वाले टीबी को निम्नलिखित चार प्रकार में बांटा गया है:

व्यस्कों की तरह ही बच्चों में भी टीबी का संक्रमण निम्नलिखित तीन चरणों में विभाजित किया जाता है:

  • टीबी के संपर्क में आना (Exposure) :
    इस चरण में बच्चे के शरीर में टीबी के बैक्टीरिया प्रवेश करते हैं।
    (और पढ़ें - बैक्टीरियल संक्रमण का इलाज)
     
  • गुप्त टीबी संक्रमण (Latent TB infection):
    इस चरण में बच्चे के शरीर में टीबी के बैक्टीरिया प्रवेश करने के बावजूद भी उसमें कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। अगर प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत हो तो व्यक्ति के शरीर में टीबी के बैक्टीरिया जिंदगी भर निष्क्रिय अवस्था में रह सकते हैं।
    (और पढ़ें - बच्चों के लिए प्रतिरक्षा बूस्टर​)
     
  • टीबी रोग (TB disease) :
    इस चरण में बच्चे के शरीर में टीबी के लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं, इसके साथ ही इस चरण में टीबी की पहचान के लिए किए गए स्किन टेस्ट और सीने के एक्स रे का नतीजा पॉजीटिव आता है।   

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बच्चों में टीबी के बैक्टीरिया अधिक होने और बैक्टीरिया के द्वारा अंगों पर प्रभाव डालने पर, इस रोग के लक्षण सामने आने लगते हैं। आमतौर पर ऐसे में आपका बच्चा बीमार महसूस करने लगता है, साथ ही वह अन्य लोगों को भी टीबी से संक्रमित कर सकता है।

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टीबी के लक्षण हर बच्चे में अलग-अलग हो सकते हैं। हालांकि, संक्रमित होने के बाद बच्चों में टीबी के लक्षण दो महीनों या दो सालों के बाद भी उभर सकते हैं। बच्चों में टीबी के निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं :

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माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस (Mycobacterium Tuberculosis) नामक बैक्टीरिया बच्चों में टीबी होने के कारण होता है। अगर आपके बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है तो इससे वह बैक्टीरिया को रोग फैलाने से पहले ही नष्ट कर देती है। यदि बैक्टीरिया रोग प्रतिरोधक क्षमता नष्ट नहीं हो पाता है, तो यह रक्त और लसिका ग्रंथि के माध्यम से पूरे शरीर में फैल जाते हैं।

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टीबी के बैक्टीरिया बच्चों में हवा के माध्यम से फैलते हैं। फेफड़ों की टीबी से संक्रमित व्यक्ति जब खांसता या छींकता हैं तो बैक्टीरिया हवा के द्वारा अन्य आसपास के लोगों को भी संक्रमित कर देते हैं। फेफड़ों और गले की टीबी एक संक्रामक रोग है। जबकि शरीर के अन्य अंगों में होने वाली टीबी जैसे किडनी और रीढ़ की हड्डी की टीबी आमतौर पर संक्रामक नहीं होती है। टीबी से संक्रमित बच्चे के साथ रहने वाले व्यक्ति को टीबी होने की संभावना काफी अधिक होती है।

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बच्चों को टीबी होने के जोखिम कारक

टीबी होने की संभावना निम्नलिखित तरह के बच्चों में अधिक होती है:

  • बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करने वाले रोग (जैसे एचआईवी) हो तो उनको टीबी होने की संभावना अधिक होती है। इन रोगों के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता टीबी के बैक्टीरिया को नष्ट नहीं कर पाती है। (और पढ़ें - एचआईवी एड्स होने पर क्या करे)
  • घर में टीबी से संक्रमित व्यक्ति के पास रहने से बच्चे को टीबी होने का जोखिम अधिक होता है। (और पढ़ें - बच्चों की सेहत के इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज)
  • जो बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं उनका शरीर कमजोर हो जाता है और वह टीबी के बैक्टीरिया को नष्ट करने में सक्षम नहीं होते हैं।
  • पांच साल से कम आयु के बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, ऐसे में उनको सक्रिय टीबी होने की संभावनाएं अधिक होती है।

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बच्चे में टीबी के लक्षण दिखाई देने के बाद डॉक्टर रोग की पुष्टि के लिए आपको निम्नलिखित टेस्ट कराने की सलाह देते हैं।

  • किसी प्रशिक्षित तकनीशियन से बगलम की जांच या बायोप्सी करवाना।
  • बैक्टीरिया की सक्रियता की जांच के लिए कल्चर टेस्ट करना, इससे डॉक्टर को बच्चे में एंटीबायोटिक्स से होने वाली प्रतिक्रिया को समझने में मदद मिलती है। (और पढ़ें - शिशु के बुखार का इलाज)
  • छाती के एक्स रे से बच्चे के फेफड़ों पर होने वाले नुकसान की जांच की जाती है।
  • गुप्त टीबी की जांच के लिए स्किन टेस्ट किया जाता है। (और पढ़ें - टीबी टेस्ट क्या है)
  • रक्त से आईजीआरए टेस्ट करना, इसमें रोग प्रतिरोधक कोशिकाओं से गुप्त टीबी का निर्धारण किया जाता है।

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बच्चों को टीबी से बचाव के लिए बीसीजी का टीका लगाना, सबसे लोकप्रिय तरीका माना जाता है। केवल बीसीजी का टीका ही टीबी से बचाने का काम करता है। बच्चों को सभी तरह के टीबी से बचाने के लिए टीकाकरण अभियान के अंतर्गत बीसीजी का टीका लगाया जाता है। यदि घर के किसी सदस्य को टीबी या एचआईवी हो, तो ऐसे में बच्चे को संक्रमित व्यक्ति से तब तक दूर रखें जब तक वह ठीक न हो जाए। 

(और पढ़ें - शिशु टीकाकरण चार्ट)

टीबी की सही समय पर पहचान और इलाज करना बेहद जरूरी होता है, नहीं तो यह रोग बच्चों और बड़ों दोनों के लिए ही गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। टीबी के इलाज में अन्य दवाओं के साथ ही आईसोनिआजिड (isoniazid), रिफाम्पीसिन (rifampicin), पाईराजिनामाइड (pyrazinamide) और इथामबूटोल (ethambutol) का भी उपयोग किया जाता है। इलाज का समय बच्चे को दी जाने वाले एंटीबायोटिक दवा के आधार पर निर्धारित होता है।

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कुछ मामलों में बच्चे को तीन या चार तरह की अलग-अलग दवाएं दी जाती हैं। इससे संक्रमण कम होने के साथ ही बैक्टीरिया अन्य हिस्सों में नहीं फैल पाता है।

टीबी में बच्चों की देखभाल

  • डॉक्टर के द्वारा बताई गई दवा को निर्धारित समय पर निश्चित खुराक में दें। अगर दवा से किसी तरह का साइड इफेक्ट दिखे तो तुरंत डॉक्टर से सालह लें।
  • पौष्टिक आहार और जीवनशैली से बच्चे में बीमारी के दौरान कम हुए वजन को दोबारा ठीक स्तर पर लाया जा सकता है। (और पढ़ें - बच्चे की उम्र के अनुसार लंबाई और वजन का चार्ट)
  • बीमारी की वजह से बच्चा थकान व सुस्ती महसूस करता है, ऐसे में बच्चे को ज्यादा से ज्यादा आराम करने दें।
  • बीमारी में बच्चे को स्कूल न भेजें। टीबी के समय बच्चे के स्कूल जाने से अन्य छात्र भी संक्रमित हो सकते हैं।

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बच्चों की टीबी का घरेलू उपचार

आपको नीचे कुछ खाद्य पदार्थ बताए जा रहें हैं जिनकी मदद से आप बच्चे में टीबी के लक्षणों को कम कर सकते हैं-

  • लहसुन : 
    लहसुन में एंटीबैक्टीरियल तत्व मौजूद होते हैं, जो बच्चों के शरीर में टीबी के बैक्टीरिया को बढ़ने नहीं देते हैं। (और पढ़ें - खाली पेट लहसुन खाने का तरीका)
     
  • शरीफा :
    शरीफे (सिताफल) में टीबी को ठीक करने वाले तत्व पाए जाते हैं। यह फल टीबी के लक्षणों को कम करने के भी काम आता है। (और पढ़ें - फल खाने का सही समय)
     
  • संतरा :
    संतरे में मौजूद तत्व वायुमार्गों को बंद करने वाले बलगम को साफ करने में मदद करते हैं। (और पढ़ें - विटामिन सी के स्रोत)
     
  • केला :
    सदियों से बुजुर्ग बच्चों को केला खिलाने की बात कहते आए हैं। दिन में दो बार बच्चे को किसी भी तरह से केला खिलाने से टीबी के लक्षणों में कमी आती है।
     
  • आंवला :
    आंवला में एंटी इंफ्लेमेटरी और ऐसे कई पौष्टिक गुण मौजूद होते हैं, जिससे बच्चे को ऊर्जा मिलती है। आप बच्चे को आंवला और शहद का जूस भी दे सकती हैं। (और पढ़ें - आंवला जूस के फायदे)​
     
  • टीबी को कम करने वाले अन्य आहार :

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