पति-पत्नी के रिश्ते में मनमुटाव होना आम है. कई बार ये मनमुटाव लड़ाई-झगड़े तक पहुंच जाता है. इससे अपने साथी के साथ रिश्ता खराब तो होता ही है, साथ ही इसका असर बच्चों पर भी पड़ता है. कई अध्ययनों से पता चला है कि जिन पार्टनर के बीच बार-बार लड़ाई होती है, उनके बच्चे खुश नहीं रहते हैं और अक्सर तनाव में रहते हैं. रिसर्च में यह भी पता चला है कि माता-पिता की लड़ाई से 6 महीने से लेकर 19 वर्ष की आयु तक के बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं. शोधकर्ताओं का मानना है कि माता-पिता के बीच की लड़ाई का बच्चों के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है.

आज इस लेख में आप जानेंगे कि माता-पिता की लड़ाई का बच्चों पर क्या असर पड़ सकता है -

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  1. पेरेंट्स के झड़ने पर बच्चा कैसा प्रभावित होता है?
  2. ऐसे में क्या करें पेरेंट्स?
  3. सारांश
पेरेंट्स के झगड़े से बच्चे कैसे प्रभावित होते हैं? के डॉक्टर

माता-पिता के बीच हुए झगड़े का असर बच्चे के जीवन पर भी पड़ता है. इस तरह के झगड़े को देखकर बच्चा तनाव में आ सकता है या फिर नकारात्मक सोच का शिकार हो सकता है. आइए, इन समस्याओं के बारे में विस्तार से जानते हैं -

तनाव में रहना

बार-बार की लड़ाई बच्चे में तनाव पैदा कर सकती है. तनाव का बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकता है. यह बच्चे के स्वस्थ विकास में बाधा उत्पन्न कर सकता है. दरअसल, लड़ाई-झगड़े के माहौल में बच्चे की हृदय गति बढ़ जाती है, इससे तनाव हार्मोन प्रतिक्रिया करना शुरू कर सकता है. रिसर्च में यह भी बात सामने आई है कि जिन घरों में अक्सर लड़ाई-झगड़े होते रहते हैं, वहां के बच्चे अवसाद या एंग्जाइटी का शिकार जल्दी हो सकते हैं.

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नींद में कमी

लड़ाई-झगड़े से बच्चे तनाव में रहते हैं, इसकी वजह से उन्हें अनिद्रा की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. तनाव बच्चों में नींद की समस्या पैदा कर सकता है. माता-पिता की लड़ाई देखने के बाद बच्चे की दिमाग में बस वही सब घूमता रहता है, जिस कारण वो आसानी से सो नहीं पाते हैं.

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स्वास्थ्य समस्याएं

कई अध्ययनों से पता चलता है कि माता-पिता की लड़ाई का असर बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है. इसकी वजह बच्चों को पेट दर्द व सिरदर्द की समस्या का सामना करना पड़ सकता है.

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खाने से जुड़ी समस्याएं

माता-पिता के झगड़े से बच्चा ठीक प्रकार से खाना नहीं खा पाता है. शोध से पता चला है कि झगड़े से बच्चों को एनोरेक्सिया या फिर बुलिमिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं. ये खाने से जुड़े विकार हैं.

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नकारात्मक सोच

जिन बच्चों का पालन-पोषण माता-पिता के झगड़ों के बीच होता है, उसका असर बच्चों की सोच पर भी पड़ता है. इससे बच्चों में नकारात्मक विचार आने की आशंका अधिक रहती है. बच्चे खुद को और दूसरे लोगों को नकारात्मक तरीके से देखना शुरू कर देते हैं.

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पेरेंट्स के साथ कम समय बिताना

माता-पिता के लड़ते रहने पर वो अपने बच्चों को अधिक समय नहीं दे पाते हैं. कई शोधकर्ताओं ने भी पाया कि जब माता-पिता लड़ते हैं, तो उन्हें बच्चों की भावनाओं को नियंत्रित करने में कठिनाई होती है. वे अपने बच्चों को अधिक समय नहीं दे पाते हैं, जिसका सीधा असर बच्चे पर होता है.

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दूसरों के साथ गलत व्यवहार

जब बच्चे घर पर माता-पिता के झगड़े देखते हैं, तो वे बाहर की दुनिया में लोगों के साथ अच्छे रिश्ते नहीं बना पाते हैं. इसकी वजह से उनका जल्दी से कोई दोस्त नहीं बन पाता है, ऐसे में लोग भी उन बच्चों के साथ बात करना पसंद नहीं करते हैं.

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असहज महसूस करना

पेरेंट्स के लड़ाई-झगड़े को देखकर बच्चे के मन में ये डर घर कर जाता है कि उसके माता-पिता अलग हो जाएंगे. इस स्थिति में बच्चे के लिए मन में सामान्य स्थिति की भावना रखना मुश्किल हो सकता है. वो हर समय खुद को असहज व असुरक्षित महसूस करते हैं.

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माता-पिता से दूरी बनाना

पति-पत्नी के झगड़े न सिर्फ एक-दूसरे के रिश्ते को प्रभावित करते हैं, बल्कि इससे माता-पिता के साथ बच्चे का रिश्ता भी प्रभावित हो सकता है. इस स्थिति में बच्चे हर समय माता-पिता से नाराज रहते हैं.

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कॉन्फिडेंस लेवल कम होना

एक अध्ययन में पाया गया है कि जिन बच्चों के माता-पिता के बीच झगड़े होते रहते हैं, उनमें कॉन्फिडेंस लेवल कम देखने को मिलता है. वो आसानी से अपनी बात कहने या किसी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने से डरते हैं.

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कुछ बातों को लेकर पति-पत्नी के बीच मन-मुटाव होना स्वाभाविक है, लेकिन इसे झगड़े में बदलना सही नहीं है. इसका असर बच्चे पर पड़ना तय है. माता-पिता के झगड़े में बच्चा न पिसे, इसके लिए निम्न बातों पर ध्यान देना जरूरी है -

  • बच्चे के सामने किसी भी तरह की बहस न करें. एक कमरे में शांति से बैठकर आपस में बात करें और जिन मुद्दों पर आप एक-दूसरे से सहमत नहीं हैं, उस संबंध में एक-एक करके अपनी बात रखें.
  • अगर झगड़ा होता भी है, तो उसके बाद अपने बच्चे से खुलकर बात जरूर करें. उसे विश्वास दिलाएं कि ये किसी बात को लेकर दोनों के बीच बहस हुई थी. ये किसी भी तरह की बड़ी समस्या नहीं है. साथ ही उसे बताएं कि वो अभी भी एक-दूसरे को बहुत प्यार करते हैं और किसी भी तरह से अलग होने का नहीं सोच रहे हैं.
  • बच्चे को विश्वास दिलाएं कि हम सभी एक परिवार हैं और सभी एक-दूसरे को दिल से प्यार करते हैं. साथ ही उसे समझाएं कि पति-पत्नी के बीच बहस होना आम बात है. इसका उनके रिश्ते पर किसी भी तरह का असर नहीं पड़ता है.

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बच्चे जो घर पर देखते हैं, वहीं सीखते भी हैं. अगर बच्चे अपने माता-पिता को लड़ाई-झगड़ा करते हुए देखते हैं, तो इसका असर उनके पूरे जीवन पर पड़ता है. इस स्थिति में बच्चों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बुरी तरह से प्रभावित होता है. इसलिए, अगर आप बच्चे को अच्छा व स्वस्थ जीवन देना चाहते हैं, तो अपने साथी के साथ लड़ाई-झगड़ा करने से बचें. अगर कभी-कभार मनमुटाव होता भी है, तो उसे जल्दी से सुलझाने की पूरी कोशिश करें.

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