शरीर को संतुलित रखने के लिए खून का शुद्ध होना जरूरी होता है. अगर शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों की वजह से रक्त दूषित हो जाए, तो इससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. जंक फूड, बासी भोजन, नींद की कमी, मोटापा, पानी का कम सेवन इत्यादि कारणों से आपके शरीर का रक्त दूषित हो सकता है. आयुर्वेद में रक्त को शुद्ध करने के लिए रक्तमोक्षण उपचार किया जाता है.

यह आयुर्वेद के पंचकर्म उपचारों में एक है. इस थेरेपी की मदद से शरीर में मौजूद दूषित रक्त को साफ किया जा सकता है. आयुर्वेद की इस थेरेपी में जठरांत्र मार्ग के माध्यम से रक्तप्रवाह में अवशोषित विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में मदद मिलती है, जिससे शरीर का रक्त साफ हो सकता है और शारीरिक क्रियाओं को संचारित करने में मदद मिलती है.

इस लेख में हम रक्तमोक्षण का अर्थ, प्रक्रिया, लाभ, नुकसान, सावधानियां व कीमत के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. रक्तमोक्षण क्या है?
  2. रक्तमोक्षण प्रक्रिया
  3. रक्तमोक्षण के लाभ
  4. रक्तमोक्षण के नुकसान
  5. रक्तमोक्षण उपचार में सावधानियां
  6. रक्तमोक्षण की कीमत
  7. सारांश
रक्तमोक्षण चिकित्सा के डॉक्टर

ब्लड डिटॉक्सिफिकेशन की यह प्रक्रिया दो शब्दों 'रक्त और 'मोक्ष' से बनी है, जिनको जोड़कर 'रक्तमोक्षण' शब्द बना है, जिसका अर्थ है रक्त को बाहर निकालना. यह आयुर्वेद में उपयोग की जाने वाली पांच विष-उन्मूलन उपचारों में से एक है.

रक्तमोक्षण को पंचकर्म उपचारों में सबसे महत्वपूर्ण थेरेपी में से एक माना जाता है. इसका उपयोग त्वचा रोग, दाद, पीलिया, फोड़े, मुंहासे, एक्जिमा, खुजली, अल्सर, गाउटलिवर रोग जैसी बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है. यह शरीर से दूषित रक्त को बाहर निकालकर रक्त को शुद्ध करता है.

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रक्तमोक्षण आयुर्वेदिक थेरेपी प्रक्रिया दो प्रकार की होती हैं, जिन्हें शास्त्र विश्रवन और अनुशास्त्र विश्रवन के नाम से जाना जाता है. रोगी की स्थिति और आवश्यकता के अनुसार इनका उपयोग किया जाता है. आइए, इन दोनों विधियों के बारे में जानते हैं -

शास्त्र विश्रवन

रक्तमोक्षण थेरेपी की शास्त्र विश्रवन प्रक्रिया में धातु के उपकरणों का उपयोग किया जाता है. इस प्रक्रिया में रक्त दो प्रक्रियाओं के माध्यम से बाहर निकाला जाता है:-

  • सिरव्याध (नसों में छेद करना)
  • प्रवचन (त्वचा पर कई चीरे लगाना)

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अनुशास्त्र विश्रवन

रक्तमोक्षण थेरेपी की अनुशास्त्र विश्रवण में उपचार धातु के उपकरणों का उपयोग किए बिना किया जाता है. यह प्रक्रिया चार प्रकार की होती हैं-

  • जलौका वचरन- रक्त में पित्त दोष के खराब होने की स्थिति में जलौका या जोंक के प्रयोग को प्राथमिकता दी जाती है.
  • अलाबू- इसमें लौकी की कड़वी, सूखी और तीखी प्रकृति को कफ दोष में रक्तपात के लिए उपयोग किया जाता है. इस प्रकार में त्वचा पर कई चीरे लगाए जाते हैं और फिर प्रभावित क्षेत्र पर एक गर्म बाती लगाई जाती है, जिससे रिक्त स्थान बनता है, जो दूषित रक्त को बाहर निकालने में मदद करता है.
  • श्रुंगा वचनराणा- श्रुंगा वचनराणा में वात दोष होने पर दूषित रक्त को बाहर निकालने के लिए गाय के श्रुंगा या सींग का उपयोग किया जाता है.
  • घटी यंत्र- यह प्रक्रिया अलाबू की तरह होती है, लेकिन इसमें लौकी की जगह बर्तन का इस्तेमाल किया जाता है.

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रक्तमोक्षण आयुर्वेदिक थेरेपी का प्रमुख उपयोग रक्त में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर रक्त को साफ करने के लिए किया जाता है, ताकि शरीर में संतुलन बना रहे और शारीरिक क्रियाओं में किसी प्रकार की बाधा न हो. इसके अलावा, यह ट्यूमर, एडिमासोरायसिस जैसी समस्याओं को दूर करने में भी मददगार हो सकता है. रक्तमोक्षण थेरेपी के अन्य लाभ इस प्रकार हैं - 

  • रक्तमोक्षण रोग पैदा करने वाले दूषित रक्त को शरीर से बाहर निकालने में आपकी मदद कर सकता है.
  • यह आयुर्वेदिक थेरेपी ट्यूमर और एडिमा जैसी गंभीर बीमारी से बचाव करने में मददगार हो सकती है. 
  • शरीर में मौजूद पित्त दोष वृद्धि को संतुलित करने में रक्तमोक्षण आपकी मदद कर सकता है.
  • इस थेरेपी की मदद से रक्तस्राव विकारों को कम किया जा सकता है. 
  • यह लगातार होने वाली एलर्जी की समस्या से राहत दिलाने में भी प्रभावी है. 
  • हाई ब्लड प्रेशर और गठिया में होने वाली समस्याओं को कम करने में भी रक्तमोक्षण थेरेपी असरदार हो सकती है.
  • सोरायसिस जैसी पुरानी बीमारियों के इलाज के लिए भी आप रक्तमोक्षण थेरेपी ले सकते हैं.

रक्तमोक्षण आयुर्वेदिक थेरेपी पूरी तरह से सुरक्षित और प्राकृतिक थेरेपी मानी जाती है. हालांकि, कुछ अपवाद मामलों खासतौर पर पुरानी बीमारी से ग्रसित लोगों को रक्तमोक्षण थेरेपी करवाने से नुकसान हो सकते हैं. इस तरह के लोगों द्वारा थेरेपी लेने से पीठ दर्द, एसिडिटी, तनाव और अत्यधिक पसीना आने की आशंका हो सकती है. ऐसे में थेरेपी करवाने से पहले एक अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक से अपनी जांच जरूर करवाएं, ताकि डॉक्टर आपकी स्थिति के अनुसार आपको परामर्थ दे सके.

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रक्तमोक्षण थेरेपी करवाने में आपको कुछ सावधानियों को बरतने की आवश्यकता होती है, ताकि आपको कोई मानसिक और शारीरिक परेशानी न हों. इसके बारे में नीचे बताया गया है-

  • रक्तमोक्षण थेरेपी के दौरान और बाद में काम, तेज शोर, हैवी एक्सरसाइज, हवाई यात्रा, सीधी धूप के संपर्क में आने और ऐसे अन्य गतिविधियों से परहेज करने की सलाह दी जाती है.
  • इस थेरेपी को लेते समय खुद को गर्म रखें और हवा से दूर रहें.
  • थेरेपी के दौरान अपने विचारों पर नियंत्रण रखें और अधिक सोचने से बचें.
  • इस थेरेपी के दौरान कुछ खाद्य पदार्थ जो रक्त के लिए विषाक्त हैं, जैसे- चीनी, नमक, दही, कैफीन, खट्टा स्वाद वाला भोजन और शराब से परहेज करने की सलाह दी जाती है.
  • रक्तमोक्षण थेरेपी के दौरान हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन लेने की सलाह दी जाती है.
  • एनीमियाबवासीर के रोगियों और गर्भवती महिलाओं को इस थेरेपी को न करवाने की सलाह दी जाती है.

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रक्तमोक्षण थेरेपी को सरकारी और प्राइवेट स्वास्थ्य केंद्रों से करवाया जा सकता है. सरकारी केंद्रों पर लगभग 200 रुपये प्रति सेशन की दर से आप इस थेरेपी को ले सकते हैं. प्राइवेट केंद्रों में इस थेरेपी की शुरुआती कीमत 500 रुपये प्रति सेशन है. थेरेपी के प्रकार और स्थिति के अनुसार हर राज्य और केंद्र में इसकी कीमत अलग-अलग हो सकती है.

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हमारे शरीर के रक्त से विषाक्त पदार्थों को निकालकर रक्त साफ करने में रक्तमोक्षण आयुर्वेदिक थेरेपी बेहद असरदार मानी जाती है. यदि इस थेरेपी को पूर्ण रूप से अपनाया जाए, तो निर्धारित समय में रक्त को साफ करने में मदद मिल सकती है. इस बात का ध्यान रखें कि यह एक विशेष आयुर्वेदिक थेरेपी है. इसलिए इसे करवाने से पहले अपनी जांच करवा लें. यदि आप पहली बार इस थेरेपी को लेने जा रहें, तो अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें.

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