आयुर्वेद के जरिए प्राकृतिक रूप से बीमारियों को खत्म करने की कोशिश की जाती है. ऐसे में इसे एक सर्वोत्तम इलाजों में से एक माना जा सकता है. आयुर्वेद में न सिर्फ मूल कारणों का दवाइयों से इलाज किया जाता है, बल्कि इसमें डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव करके आपके समग्र स्वास्थ्य को बेहतर करने की कोशिश की जाती है. 

आयुर्वेद में मौजूद पंचकर्म चिकित्सा वात, पित्त और कफ दोषों के साथ उपशामक और विषहरण दोनों उपाय प्रदान करता है. जब शरीर में ये दोष बढ़ जाते हैं तो इन्हें डिटॉक्स की सलाह दी जाती है और पंचकर्म चिकिस्ता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को प्रत्यक्ष रूप से निकालने में पंचकर्म चिकित्सा में एक ऐसी ही महत्वपूर्ण थेरेपी है जिसका नाम वमन है.

इस लेख में वमन थेरेपी का अर्थ, कारण, प्रक्रिया, फायदे, नुकसान, सावधानियों  के बारे में जानेंगे.

  1. वमन क्रिया क्या है? - What is vamana kriya in Hindi
  2. वमन थेरेपी क्यों दी जाती है? - Why is vamana therapy done in Hindi
  3. वमन की प्रक्रिया - Vamana kriya procedure in Hindi
  4. वमन के फायदे - Vamana treatment benefits in Hindi
  5. वमन थेरेपी के नुकसान - Vamana therapy side effects in Hindi
  6. वमन के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां - Vamana therapy precautions in Hindi
  7. सारांश - Summary
वमन क्रिया क्या होता है? के डॉक्टर

वमन (Vamana) आयुर्वेदिक पंचकर्म चिकिस्ता के पांच थेरेपीज में से एक है. वमन थेरेपी में मुंह से उल्टी करवा के विषाक्त पदार्थों को प्रत्यक्ष रूप से निकाला जाता है, जो औषधीय उत्सर्जन के माध्यम से किया जाता है. यह थेरेपी मुख्य रूप से बढ़े हुए कफ दोष को कम करने और श्वसन और जठरांत्र संबंधी मार्ग से विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए किया जाता है.

यह उपचारात्मक और निवारक उद्देश्यों के लिए की जाने वाली एक पंचकर्म चिकित्सा थेरेपी है. वमन थेरेपी में माना जाता है कि विभिन्न मौसम दोष की मुद्रा वृद्धि पर एक बड़ा प्रभाव पैदा करते हैं.

हेमंत (वसंत ऋतु) में कफ बढ़ता है, शारदा (सर्दियों के मौसम) में पित्त बढ़ता है और ग्रीस्मा (गर्मी के मौसम) में वात बढ़ता है. आपको वसंत ऋतु के लिए आयुर्वेद में वमन कर्म को अपनाना चाहिए क्योंकि यह कफ से संबंधित विकारों को ठीक करने के लिए एक निवारक चिकित्सा के रूप में काम करता है.

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छाती क्षेत्र कफ दोष का स्थान है. मौखिक मार्ग से बढ़े हुए कफ को बाहर निकालना बहुत आसान होता है, इसलिए वमन थेरेपी का उपयोग किया जाता है. बढ़े हुए कफ या बढ़े हुए कफ के साथ जलन और पित्त के लिए वमन थेरेपी को चुना जाता है.

हमारे शरीर में कफ दोष में वृद्धि के कारण कुछ अनियमितताएं हो सकती हैं, जो सर्दी-खांसी, मोटापा, एनीमिया आदि जैसी कई गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती हैं, इनके लिए सबसे प्रभावकारी वमन थेरेपी को माना जाता है. श्वसन संबंधी विकार, मोटापा, एनीमिया, खट्टी डकार, शरीर का भारीपन, डायबिटीज, दस्त जैसे कई बीमारियों के उपचार में भी वमन थेरेपी बेहद फायदेमंद मानी जाती है.

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  • गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और श्वसन पथ से बलगम की अधिकता को खत्म करने के लिए वमन थेरेपी दी जाती है, जिससे कफ की अधिकता समाप्त होती है. 
  • पूर्व उपचार विधि वमन को क्रियान्वित करने से पहले रोगी को कफ बढाने वाला भोजन जैसे दही, मिठाई, बासमती चावल पूर्व रात्रि में दिया जाता है.  यैह कफ को बढ़ाने के लिए किया जाता है ताकि यह शारीरिक प्रणाली से बलपूर्वक समाप्त हो जाए.
  • अगले दिन, वमन में दवाओं का उपयोग करके एक पेय शामिल होता है जिसके तहत मदौफला, नद्यपान, और कैलमस रूट चाय दी जाती है. यह पेय रोगी में उल्टी को ट्रिगर करता है और जीभ को रगड़ कर जारी रखा जाता है.  
  • इस तरह रोगी पूरा कफ बाहर निकाल देता है और कुछ देर बाद हल्का और बेहतर महसूस करता है.
  • थेरेपी के बाद मरीज को पूरा आराम करने को कहा जाता है और हल्का भोजन दिया जाता है. वमन थेरेपी के बाद उपवास की सलाह दी जाती है क्योंकि पूरा शरीकृक तंत्र भारी काम में चला जाता है.

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वमन थेरेपी लेने से शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाला जा सकता है. इससे छाती में हल्कापन, भूख बढ़ाना, फूड पॉइजनिंग की परेशानी से राहत पा सकते हैं. आइए विस्तार से जानते हैं वमन थेरेपी की फायदों के बारे में.

छाती में हलकेपन के लिए वमन के फायदे

वमन थेरेपी से गुजरने के बाद आपको छाती में हल्कापन का महसूस हो सकता है, जिससे सीने में होने वाली जलन, भारीपन और दर्द से आराम मिलता है. अगर आप छाती के भारीपन से परेशान हैं, तो इस थेरेपी को ले सकते हैं. इससे आपको काफी राहत मिलेगा.

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भूख बढ़ाने के लिए वमन के फायदे

अगर आपको भूख न लगने की समस्या है, तो आप आयुर्वेदाचार्य की सलाह पर वमन थेरेपी ले सकते हैं. वमन थेरेपी भूख को बढ़ने में आपकी मदद कर सकता है. यह पित दोष को दूर करके भूख को बढ़ाता है.

फूड प्वाइजनिंग से राहत के लिए वमन के फायदे

फूड प्वाइजनिंग से ग्रसित व्यक्तियों के लिए भी वमन थेरेपी काफी लाभकारी है. यह आपके शरीर से जड़ से अनावश्यक तत्वों को बाहर निकालने में आपकी मदद करता है और पेट में संक्रमण फैलने से रोकता है.

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साइनस से राहत के लिए वमन के फायदे

वमन आयुर्वेदिक थेरेपी लेने से साइनस की समस्या से राहत पाया जा सकता है. यह कंजेशन, सांस फूलने और घरघराहट से राहत दिलाने में आपकी मदद करता है. अस्थमा और सोरायसिस जैसी गंभीर समस्याओं से ग्रसित मरीजों के लिए यह थेरेपी काफी लाभकारी है.

वजन कम करने के लिए वमन के फायदे

वमन थेरेपी वजन, कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स (Triglyceride) को कम करता है. यह कफ हारा क्रिया के एक भाग के रूप में सीडीएल और सीरम कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है. यह पित्त सिरदर्द, चक्कर आना, पुरानी सर्दी, ब्रोंकाइटिस आदि बीमारियों में भी राहत देता है.

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वमन थेरेपी आम तौर पर एक प्राकृतिक और सुरक्षित आयुर्वेदिक थेरेपी मानी जाती है. हालांकि, कभी-कभी साइड इफेक्ट हो सकते हैं. यदि रोगी द्वारा वमन थेरेपी के दौरान सही प्रक्रिया का पालन नहीं करते हैं, तो इससे आपको कुछ साइड-इफेक्ट हो सकते हैं. जिसकी वजह से आपको पेट और पीठ में दर्द, मांसपेशियों में अकड़न जैसी समस्याएं हो सकती हैं. आइए विस्तार से जानते हैं वमन थेरेपी से होने वाले नुकसान-

पेट दर्द

यदि वमन थेरपाय को ठीक नहीं से नहीं किया जाता है तो आपको पेट दर्द की समस्या हो सकती है. यह शरीर पर हुए दुष्प्रभाव के अनुसार कम या अधिक हो सकता है. पेट दर्द होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए.

पीठ दर्द

पीठ दर्द वमन थेरेपी का एक आम साइड इफेक्ट है जो रोगी को थेरेपी के किसी भी स्तर पर हो सकता है. अगर व्यक्ति को पहले से पीठ दर्द की गंभीर समस्या है तो उसे इस थेरेपी को करवाने से पहले अपनी जांच करवा लेनी चाहिए.

मांसपेशियों में अकड़न

यदि आपने वमन थेरेपी को पूरी तरह से नहीं करवाया है तो आपकी मांसपेशियों में अकड़न हो सकती जिससे आपको दैनिक कार्य करने में कठिनाई आ सकती है. ऐसे में थेरेपी को ठीक से करवाने के बाद पर्याप्त आराम लेना चाहिए.

चक्कर आना 

वमन थेरेपी के बाद ठीक से बताये गए भोजन को ग्रहण न करने की वजह से आपको चक्कर आ सकते हैं जो कि गंभीर बात हो सकती है. ऐसी स्थिति में आपको पर्याप्त मात्रा में बताए गए भोजन का सेवन करना चाहिए जिससे आपको चक्कर न आए.

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वमन थेरेपी में कुछ विशेष सावधानियों को अपनाया जाना चाहिए, जिससे आपके शरीर को किसी तरह की परेशानी न हो, जैसे -

  • 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए यह थेरेपी न लेने की सलाह दी जाती है. 
  • मासिक धर्म, गर्भावस्था के दौरान और जो लोग डर, पीड़ा या चिंता जैसी मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, उन्हें भी इस थेरेपी को न लेने की सलाह दी जाती है. 
  • वमन थेरेपी लेने वालों को सबसे पहले गर्म पानी से अपना चेहरा और मुंह धोने के लिए कहा जाता है. साथ ही उसे कुछ समय के लिए लेटने और आराम करने के लिए कहा जाना चाहिए.

इसके अलावा सावधानी के तौर पर रोगी को गतिविधियों से बचना चाहिए जैसे:

  • जोर से न बोलें
  • दिन में न सोएं
  • भारी भोजन बिल्कुल भी न करें. 
  • गुस्से में न रहें. 
  • स्ट्रेस से दूर रहने की कोशिश करें.
  • लंबी दूरी की यात्रा ने करें
  • ज्यादा पैदल न चलें. 
  • जंक फूड का सेवन करने से बचें.

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वमन थेरेपी हमारे लिए काफी लाभदायक है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है. लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखें कि यह आम थेरेपी नहीं है, इसलिए इसे एक अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक के द्वारा ही करवाना चाहिए. वमन थेरेपी का असर तभी संभव है, जब इसकी सम्पूर्ण प्रक्रिया का चरणबद्ध तरीके से पालन किया जाए. यदि आपको पहले से कोई बीमारी है, तो अपनी जांच अवश्य करवाएं और किसी भी स्थिति में डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें.

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