आयुर्वेद के तहत स्वेदन कर्म ऐसी थेरेपी है, जिसमें शरीर से गर्मी की मदद से पसीना निकाला जाता है. इससे शरीर में महसूस होने वाले भारीपन व ठंडक को दूर किया जाता है. सर्दी-जुकाम, शरीर में दर्द व पैरालिसिस की स्थिति में स्वेदन लाभ पहुंचाता है. वहीं, स्वेदन पित्त दोष को बढ़ा सकता है, इसलिए गर्भावस्था, डायरिया व सूजन जैसी स्वास्थ्य स्थितियों में स्वेदन कर्म नहीं किया जाता है.
आज इस लेख में आप स्वेदन कर्म के अर्थ, प्रकार, लाभ व सावधानियों के बारे में जानेंगे -
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