आयुर्वेद में वात ऐसा दोष है, जो हमारे अधिकांश शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करता है. भोजन या पर्यावरणीय कारकों के कारण वात असंतुलन हो सकता है. वस्ति (एनिमा) थेरेपी वात-आधारित विषाक्त पदार्थों को निकालने में बेहद प्रभावी हो सकता हैं. आयुर्वेद में मुख्य रूप से 2 वस्ति थेरेपी दी जाती हैं - कषाय वस्ति (अनुस्थापना वस्ति) और अनुवासन वस्ति. इन थेरेपीज का चयन रोगी के शरीर की स्थिति और उपचार की आवश्यकताओं के अनुसार तय किया जाता है.
इस लेख में कषाय वस्ति का अर्थ, कारण, प्रक्रिया, लाभ, फायदे, सावधानियां व कीमत के बारे में बताया गया है -
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